Atul Chaurasia : पुलवामा हमले के ठीक अगले रोज आए अखबारों का विश्लेषण करें. शोक और क्षोभ के बीच आज के करोड़ीमल अखबार दैनिक जागरण और दिल्ली-मुम्बई में बिकने वाले अदने अखबार इंडियन एक्सप्रेस का तुलनात्मक विश्लेषण पेश है.
करोड़ीमल एक भी मृत जवान के घर नहीं पहुंच पाया, लेकिन दावा है कि इनके आदमी देश के चप्पे चप्पे पर मौजूद हैं. इधर इंडियन एक्सप्रेस ने 20 से ज्यादा रिपोर्टर को तैनात कर लगभग सभी मृत जवानों के परिजनों की रिपोर्टिंग कर चुका है. पन्ने करोड़ीमल के भी भरे हैं लेकिन लफ्फाजी, रेटोरिक से. रिपोर्टिंग नदारद है. मृतकों से मिलने और इनका पुरसाहाल लेने की सलाहियत तक नहीं है. यह हिंदी पट्टी का वैचारिक रूप से सबसे दरिद्र अखबार है.
वरिष्ठ पत्रकार अतुल चौरसिया की एफबी वॉल से.