वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव को फर्जी मामलों में फ़साने का आखिर क्या है मकसद?
ऐसा क्या था उस कंप्यूटर लैपटॉप में जो पुलिस लूट कर ले गयी…
बगैर सर्च वारेंट सर्च को लेकर सवालों के घेरे में पुलिस….
रायपुर : छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव के गिरफ्तार और उनके आफिस-घर में बगैर सर्च वॉरेंट सर्च और कंप्यूटर-लैपटॉप की जप्ती किये जाने और इन् दोनो ही सामग्री का ब्यौरा कॉर्ट में पेश न किये जाने को लेकर छत्तीसगढ़ पुलिस की कार्यवाही सवालों के घेरे में है। सवाल यह भी उठ रहा है कि उस कंप्यूटर-लैपटॉप में ऐसा क्या था जिसके चलते बगैर सर्च वॉरेंट के पत्रकार सुनील नामदेव के आफिस-घर में पुलिस को दाखिल होना पड़ा।
इस मामले की जांच ही नहीं बल्कि आला अधिकारियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही किये जाने को लेकर सुनील नामदेव ने रायपुर SP को आवेदन भेजा है। इस आवेदन में उन्होंने रायपुर के तत्कालीन SP अजय यादव और मैजूदा रेंज IG आनंद छाबरा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की है।
मय दस्तावेजी प्रमाणों और तथ्यों के साथ भेजी गई शिकायत को लेकर अधिकारी पशोपेश में हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि आखिर कैसे अपने वरिष्ठ अधिकारियों से इस बारे में पूछताछ की जाए।
उधर इस तथ्य को लेकर चर्चा छिड़ी हुई है कि आखिर उस कंप्यूटर-लैपटाप में ऐसा क्या मटेरियल था, क्या कोई स्टिंग आपरेशन था जिसे हासिल करने के लिए पुलिस आधिकारियों ने कानून को ताक में रख कर सुनील नामदेव को अपनी हिरासत में ले लिया था। फिर उनके आफिस से चार लैपटॉप और चार कंप्यूटर को लेकर चम्पत हो गए। यही नहीं 21 मार्च 2021 को घटित इस वाक्ये के बाद पुलिस ने पत्रकार सुनील नामदेव की दो दिनों तक कस्टडी रिमांड ली।
पुलिस हिरासत में उन्हें सेनेटाइजर पिला कर उनकी जान लेने का प्रयास किया गया।
जानकारी के मुताबिक रायपुर के डॉक्टर भीमराव अम्बेडर अस्पताल में MLC दर्ज कर डॉक्टरों ने फौरन इलाज कर उनकी जान बचायी। यही नहीं 23/03/21 को पुलिस रिमांड खत्म होने के दौरान जब सुनील नामदेव को कोर्ट में पेश किया गया तब इस घटना के संज्ञान में आते ही कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया। इस दौरान रायपुर के मुख्य न्याययिक मजिस्ट्रेट (CJM) ने रायपुर SSP को निर्देश दिया कि इस घटना की जांच कर दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की जाए। इस कार्यवाही से कोर्ट को भी अवगत कराया जाए।
यह तथ्य भी सामने आया कि पत्रकार सुनील नामदेव ने कोर्ट को बताया था कि कुछ स्टिंग आपरेशन को लेकर मुख्य मंत्री भूपेश बघेल की OSD सौम्य चौरसिया और एक IPS अधिकारी आंनद छाबडा उनकी जान लेना चाहते हैं। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि पुलिस हिरासत में प्लांनिग के साथ उन्हें सेनेटाइजर पिलाया गया। गंभीर तथ्य यह भी है कि इस घटना के आठ माह बीत जाने के बावजूद पुलिस ने इस मामले की कोई जांच नही की।
पत्रकार सुनील नामदेव के खिलाफ 21 मार्च से लेकर 25 मार्च अर्थात चार दिनों में रायपुर पुलिस ने चार मामले पंजीबद्ध किये थे। इन चारों ही मामलों की वैधानिकता और FIR निरस्त करने की मांग को लेकर भी पत्रकार सुनील नामदेव ने कोर्ट से गुहार लगाई है।
छत्तीसगढ़ पुलिस के कुछ चुनिंदा अफसरों ने आखिर सुनील नामदेव के खिलाफ आखिर किसके निर्देश पर मोर्चा खोला और उनके खिलाफ की गई कार्यवाही का मकसद क्या था? इसकी पड़ताल बेहद जरूरी है। कोर्ट में प्रस्तुत पुलिस चालान के दस्तावेजों से इस साजिश का कुछ हिस्सा सामने आया है। यह काफी हैरान करने वाला है।
दस्तावेज बताते है कि रायपुर पुलिस ने दिनांक 22/03/21 को पत्रकार सुनील नामदेव के घर एवं आफिस में तलाशी के लिए कोर्ट में आवेदन किया था। इस पर कोर्ट ने सर्च वॉरेंट जारी किया। इसके तहत दिनांक 23 मार्च 2021 को सुनील नामदेव के घर एवं ऑफिस में पुलिस ने तलाशी ली।
दिनांक 23/03/21 को पुलिस ने सुनील नामदेव के निवास एवं ऑफिस में कोर्ट के निर्देश पर सर्चिंग कर 5 कंप्यूटर और 1 लेपटॉप जप्त किया उसका ब्यौरा तो कोर्ट में दिया गया लेकिन 21/03/21 को जो चार कंप्यूटर और चार लेपटॉप जप्त किये गए उसका कोई हवाला चालान में प्रस्तुत नहीं किया गया है। रायपुर के तत्कालीन SP और मौजूदा IG की साजिश पर पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर ने भी अपनी मोहर लगायी है।
सब इंस्पेक्टर विपिन किशोर टोप्पो ने अपने पुलिस बयान में कोर्ट को सूचित किया है कि दिनांक 21/03/ 21 को SSP रायपुर के निर्देश पर उन्होंने पत्रकार सुनील नामदेव के ऑफिस एवं घर मे सर्चिंग की थी। इस दौरान जप्त किये गए कंप्यूटर, लेपटॉप की वीडियोग्राफी कर उसकी CD उनके द्वारा थाना प्रभारी माना कैम्प को सौंपी गई है। इस दिन जप्त कंप्यूटर – लैपटॉप की जप्ती का ब्यौरा कोर्ट को नहीं दिए जाने का मामला गंभीर तो है ही। लेकिन उन कॉम्प्यूटर – लेपटॉप में संरक्षित की गई सामग्री भी काफी गंभीर बताई जा रही है।
पत्रकार सुनील नामदेव के मुताबिक दिनांक 21/03/21 को स्थानीय पुलिस ने गैर कानूनी ढंग से न केवल उनकी गिरफ्तारी की बल्कि उनके कथित ऑफिस और घर की सर्चिंग की थी। उन्होंने बताया कि 21/03/21 को बगैर वॉरेंट उनके घर और कथित ऑफिस में पुलिस के दाखिल होने पर जब उन्होंने आपत्ति की तो उन्हें एक इंस्पेक्टर ने रायपुर के तत्कालीन DJ और वर्तमान विधि सचिव राम कुमार तिवारी द्वारा जारी सर्चिंग वॉरेंट दिखाया था।
पुलिस द्वारा कोर्ट में पेश किए गए चालान में इस सर्चिंग वॉरेंट और जप्त सामग्री का हवाला नही दिए जाने पर उन्हें आश्चर्य हुआ। उन्होंने बताया कि मामले की अपने स्तर पर उन्होंने पड़ताल की। इस दौरान पता पड़ा कि रायपुर DJ कोर्ट ने दिनांक 21/03/21 को उनके निवास एवं ऑफिस की सर्चिंग के लिए कोई वॉरेंट जारी नही किया था। उन्होंने कहा कि पुलिस ने साजिश कर उनके खिलाफ सभी फर्जी प्रकरण दर्ज किये हैं, लिहाजा मामले की निष्पक्ष जांच CBI से करने को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।