सौरभ जैन-
LIC का मार्केट कैप 1 साल में 5.48 लाख करोड़ रुपए से घटकर 3.59 लाख करोड़ रुपए रह गया है। अब तक 35% की भारी गिरावट।

इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार की टिप्पणी पढ़ें-
पिछले साल जब LIC का IPO आया था, तब कई लोगों ने इसके शेयर इस भरोसे पर ख़रीदे कि सरकार का है और यह संस्था इतनी बड़ी है कि घाटा नहीं होगा। अब रिपोर्ट आई है कि एक साल में LIC के शेयरों के दाम में 35 प्रतिशत की गिरावट आ गई है। इसके एक शेयर का दाम था 949 रुपये लेकिन आज 575 पर आ गया है। 17 मई को शेयर मार्केट में इसके शेयर सूचीबद्ध हुए थे, तब से लेकर आज तक इसे दो लाख करोड़ का नुक़सान हो चुका है। LIC अब बजाज कैपिटल और कोटा महिंद्रा बैंक से पीछे चली गई है।
भारत का निर्यात क्यों घट रहा है? अप्रैल महीने में वस्तु निर्यात(goods export) में जो गिरावट आई है, वो तीन साल में सबसे अधिक है। पिछले सात महीनों में पांच महीने ऐसे गुज़रे हैं, जब मर्चेंडाइज़ निर्यात में कमी आई है। टैक्सटाइल, चमड़ा, हीरा और जवाहरात, इंजीनियरिंग गुड्स के निर्यात में कमी आई है।
इसका मतलब यह हुआ कि मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की हालत खस्ता है। जिससे एक और मतलब निकलता है कि सबसे अधिक रोज़गार देने वाला यह सेक्टर रोज़गार देने की हालत नहीं है। टाइम्स ऑफ इंडिया में अमित बासोले ने लिखा है कि मैन्यफैक्चरिंग सेक्टर में 12 प्रतिशत लोग काम करते हैं। 1980 के दशक से लेकर आज तक इसमें ख़ास बदलाव नहीं आया है। दिसंबर 2022 में यह आँकड़ा 12.7 प्रतिशत था। इसका मतलब है कि यह सेक्टर इतने दशकों में बहुत ज़्यादा ऊपर नहीं उठ सका और लोगों को रोज़गार नहीं दे सका है।