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सुख-दुख

मधोक की किताब का अंश- ‘अटल बिहारी वाजपेयी ने 30, राजेंद्र प्रसाद रोड को व्यभिचार का अड्डा बना दिया है’

अपनी पुस्तक के तीसरे खंड के पृष्ठ संख्या 25 पर मधोक ने लिखा है “मुझे अटल बिहारी और नाना देशमुख की चारित्रिक दुर्बलताओं का ज्ञान हो चुका था। जगदीश प्रसाद माथुर ने मुझसे शिकायत की थी कि अटल (बिहारी वाजपेयी) ने 30, राजेंद्र प्रसाद रोड को व्यभिचार का अड्डा बना दिया है। वहां नित्य नई-नई लड़कियां आती हैं। अब सर से पानी गुजरने लगा है।

<p>अपनी पुस्तक के तीसरे खंड के पृष्ठ संख्या 25 पर मधोक ने लिखा है "मुझे अटल बिहारी और नाना देशमुख की चारित्रिक दुर्बलताओं का ज्ञान हो चुका था। जगदीश प्रसाद माथुर ने मुझसे शिकायत की थी कि अटल (बिहारी वाजपेयी) ने 30, राजेंद्र प्रसाद रोड को व्यभिचार का अड्डा बना दिया है। वहां नित्य नई-नई लड़कियां आती हैं। अब सर से पानी गुजरने लगा है।</p>

अपनी पुस्तक के तीसरे खंड के पृष्ठ संख्या 25 पर मधोक ने लिखा है “मुझे अटल बिहारी और नाना देशमुख की चारित्रिक दुर्बलताओं का ज्ञान हो चुका था। जगदीश प्रसाद माथुर ने मुझसे शिकायत की थी कि अटल (बिहारी वाजपेयी) ने 30, राजेंद्र प्रसाद रोड को व्यभिचार का अड्डा बना दिया है। वहां नित्य नई-नई लड़कियां आती हैं। अब सर से पानी गुजरने लगा है।

जनसंघ के वरिष्ठ नेता के नाते मैंने इस बात को नोटिस में लाने की हिम्मत की। मुझे अटल के चरित्र के बारे में कुछ जानकारी थी। पर बात इतनी बिगड़ चुकी है, ये मैं नहीं मानता था। मैंने अटल को अपने निवास पर बुलाया और बंद कमरे में उससे जगदीश माथुर द्वारा कही गई बातों के विषय में पूछा। उसने जो सफाई दी बात साफ हो गई। तब मैंने अटल (बिहारी वाजपेयी) को सुझाव दिया कि वह विवाह कर ले अन्यथा वह बदनाम तो होगा ही जनसंघ की छवि को भी धक्का लगेगा।”

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उक्त उद्धरण से स्पष्ट है कि संघ की धारणा है कि भारतीय समाज में पुरुष विवाह इस कारण करते हैं कि वह बदनाम न हो और जिन सामाजिक राजनैतिक संस्थानों में वह काम करता है उन की छवि को धक्का न लगे।

एडवोकेट दिनेश राय द्विवेदी की एफबी वॉल से.

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0 Comments

  1. Kundan Kumar

    October 13, 2016 at 12:26 pm

    Choti muh, badi baat. I was invited to Late Balraj Madhok’s elder daughter at their home some 20 years ago. During hour-long chat, he told me about in great details about Vajpayee’s personal life. He said that Vajyapee had friends in all political parties and media and they ensured that his love for women and drink did not become a topic of political discussion. Vajpayee never forgave Madhak for peeping into his personal life and took revenge in own inimitable way to keep the late Jan Sangh leader out of the BJP hierarchy at the time of its formation in 1980. Late Madhok jee was an interesting individual and leader and had deep understanding of Indian politics and culture.

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