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मजीठिया के लिए भड़ास की जंग : दैनिक भास्कर, हिसार के महावीर ने सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए हस्ताक्षर किया

भड़ास ने मजीठिया वेज बोर्ड दिलाने के लिए जो अखिल भारतीय पहल की है, उससे देश भर के प्रिंट मीडिया कर्मियों में उत्साह है. सैकड़ों लोगों ने इस लड़ाई में शिरकत का ऐलान किया है. एक नए घटनाक्रम के तहत दैनिक भास्कर, हिसार से जुड़े रहे महावीर ने दिल्ली आकर भड़ास की पहल पर सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए तैयार याचिका और वकालतनामा पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. हालांकि जो भी लोग खुलेआम अपने नाम पहचान के साथ मजीठिया के लिए मीडिया मालिकों से लड़ना चाहते हैं, उनके लिए दिल्ली आकर याचिका व वकालतनामा पर साइन करने की तारीख 27 जनवरी और 31 जनवरी रखी गई है लेकिन महावीर का मामला इसलिए अपवाद है क्योंकि इनको मजीठिया मांगने पर भास्कर प्रबंधन ने न सिर्फ उत्पीड़ित व परेशान किया बल्कि इन्हें टर्मिनेट भी कर दिया था. सात आठ महीनों से कर्ज लेकर परिवार पाल रहे महावीर दिल्ली सिर्फ यह देखने समझने आए थे कि भड़ास की लड़ाई कितनी सार्थक और सटीक है.

((सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील उमेश शर्मा के साथ दैनिक भास्कर, हिसार यूनिट के मीडियाकर्मी महावीर और भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह.))


 

भड़ास ने मजीठिया वेज बोर्ड दिलाने के लिए जो अखिल भारतीय पहल की है, उससे देश भर के प्रिंट मीडिया कर्मियों में उत्साह है. सैकड़ों लोगों ने इस लड़ाई में शिरकत का ऐलान किया है. एक नए घटनाक्रम के तहत दैनिक भास्कर, हिसार से जुड़े रहे महावीर ने दिल्ली आकर भड़ास की पहल पर सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए तैयार याचिका और वकालतनामा पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. हालांकि जो भी लोग खुलेआम अपने नाम पहचान के साथ मजीठिया के लिए मीडिया मालिकों से लड़ना चाहते हैं, उनके लिए दिल्ली आकर याचिका व वकालतनामा पर साइन करने की तारीख 27 जनवरी और 31 जनवरी रखी गई है लेकिन महावीर का मामला इसलिए अपवाद है क्योंकि इनको मजीठिया मांगने पर भास्कर प्रबंधन ने न सिर्फ उत्पीड़ित व परेशान किया बल्कि इन्हें टर्मिनेट भी कर दिया था. सात आठ महीनों से कर्ज लेकर परिवार पाल रहे महावीर दिल्ली सिर्फ यह देखने समझने आए थे कि भड़ास की लड़ाई कितनी सार्थक और सटीक है.

((सुप्रीम कोर्ट के जाने-माने वकील उमेश शर्मा के साथ दैनिक भास्कर, हिसार यूनिट के मीडियाकर्मी महावीर और भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह.))

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भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह ने महावीर से मुलाकात और उनकी पूरी कहानी सुनने के बाद उन्हें एडवोकेट उमेश शर्मा के दफ्तर ले गए और महावीर से वकालतनामा व याचिका पर हस्ताक्षर करवाया. महावीर के पास तब तक वकील साहब को फीस के बतौर छह हजार रुपये देने के लिए पैसे भी नहीं थे. महावीर ने वादा किया कि वे हिसार लौटते ही कहीं से भी कर्ज लेकर वकील साहब के एकाउंट में छह हजार रुपये जमा करा देंगे और उन्होंने किया भी यही. अगले ही दिन महावीर ने छह हजार रुपये जमा कर दिए. इस तरह भड़ास की मजीठिया की लड़ाई के तहत खुलकर लड़ने वाले पहले मीडियाकर्मी बन गए हैं महावीर.

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राजस्थान के मूल निवासी महावीर दैनिक भास्कर, हिसार में एकाउंट में विभाग में कार्यरत थे. एक दौर था जब महावीर के लिखे पत्रों-सुझावों पर भास्कर के मालिक सुधीर अग्रवाल ध्यान दिया करते थे. लेकिन जब मजीठिया को लेकर प्रबंधन द्वारा कागजातों पर जबरन हस्ताक्षर कराना शुरू किया गया तो महावीर ने साइन करने से इनकार कर दिया. इसके बाद न तो सुधीर अग्रवाल ने महावीर की पीड़ा सुनी और न ही लेबर डिपार्टमेंट ने. हिसार के भ्रष्ट लेबर डिपार्टमेंट के लेबर आफिसर ने प्रबंधन को जब तलब किया तो प्रबंधन के लोगों के न आने पर महावीर से कह दिया कि आप कहीं और जाओ, प्रबंधन के लोग यहां नहीं आ रहे हैं. ऐसा करना लेबर डिपार्टमेंट के भ्रष्टाचार का प्रतीक है. महावीर को एडवोकेट उमेश शर्मा ने समझाया कि लेबर आफिसर की ये हैसियत ही नहीं है कि वह ऐसा कह दे. एडवोकेट उमेश शर्मा की सलाह पर महावीर अब लेबर डिपार्टमेंट में उच्च अधिकारियों से मिलकर लिखित में शिकायत कंप्लेन करेंगे और उसे रिसीव करके रखेंगे ताकि कागजातों के साथ कोर्ट में भास्कर प्रबंधन को मुंहकी खिलाई जा सके.

तो ये रही महावीर की कहानी. महावीर जैसे दर्जनों लोगों ने अपने अपने प्रबंधन के खिलाफ खुलेआम लड़ाई का ऐलान किया है. इन सभी के नाम इनकी सहमति से याचिका दायर होने के बाद खोले जाएंगे. वे जो लोग खुलकर लड़ना चाहते हैं और इसके लिए तैयार हैं, साथ ही वकील साहब की फीस जमा कर चुके हैं, उनसे अनुरोध है कि वे याचिका व वकालतनामा पर साइन करने 27 जनवरी या 31 जनवरी को दिल्ली पहुंचे. इन्हीं दो तारीखों में हस्ताक्षर किए जाएंगे. ज्यादा जानकारी के लिए आप भड़ास के संपादक यशवंत सिंह से उनकी मेल आईडी [email protected] के जरिए संपर्क कर सकते हैं और अपने सवाल पूछ सकते हैं.

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0 Comments

  1. ant

    January 23, 2015 at 8:14 am

    Doston jo mahaveer ji ne kiya bahut sahi kiya. Ye waqt sochne ka nahin kuch karne ka hai. Abhi nahin to umarbhar pachatate rahoge.

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