दुनिया भर के अन्याय उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों की आवाज कौन उठाएगा? कोई नहीं. क्योंकि मीडिया हाउसेज के मालिक अपने पत्रकारों की आवाज को हमेशा कुचलते रहे हैं और उनकी आवाज को मीडिया माध्यमों से ब्लैकआउट करते रहे हैं. धन्य हो न्यू मीडिया और सोशल मीडिया की. इसके आ जाने से परंपरागत मीडिया माध्यमों की हेकड़ी, अकड़, दबंगई, मोनोपोली खत्म हुई है. आज फेसबुक ट्विटर ह्वाट्सएप ब्लाग वेबसाइट जैसे माध्यमों के जरिए पत्रकारों की आवाज उठने लगी है और मीडिया हाउसों के अंदर की बजबजाहट बाहर आने लगी है. पी7 चैनल के आंदोलनकारी पत्रकारों की बड़ी सीधी सी मांग है.
चैनल बंद करने से पहले सारे पत्रकारों और गैर-पत्रकारों जिनकी संख्या करीब चार सौ के आसपास है, उनका फुल एंड फाइनल सेटलमेंट करो. चैनल प्रबंधन ने लिखिति में दिया कि फलां फलां तारीख को इतना इतना पैसा दे दिया जाएगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. सो पत्रकार फिर मैदान में आ गए. हैं. पिछले पार्ट में आपने देखा कि रात में आंदोलनकारी पत्रकार आफिस के अंदर ही रजाई ओढ़कर सो गए. अब देखिए कि सोने के पहले उन्होंने क्या खाया. ये वो ठेला वाला है जो बाटी चोखा लगाता है. चैनल के आफिस के सामने इसने सैकड़ों आंदोलनकारी मीडियाकर्मियों के लिए बाटी चोखा बनाया. एडवांस पैसा पा जाने से इस ठेले वाले बालक की खुशी देखने लायक थी. वह मन ही मन मना रहा था कि ऐसे आंदोलन रोज हों ताकि उसकी बिक्री ऐसे ही उछाल मारती रहे. उपर तस्वीर में देखिए, भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह भी इस बाटी चोखा वाले के सुस्वादु ‘आंदोलित पकवान’ को चखने के लिए मजबूर हो गए. ‘आंदोलित पकवान’ की कुछ अन्य तस्वीरें…
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पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने… देखें तस्वीरें : पार्ट 3
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Comments on “पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने (देखें तस्वीरें) : पार्ट 2”
आप लोग 17(2) की अर्जी लेबर बिभाग मैं लागा कर RC इश्यू करवा कर कंपनी के खिला वाइंडिंग उप पेटिशन लगाई. ESI & EPF बिभाग को मालिके के खिलाफ action और recovery करने को लिखे.