विधु शेखर का मानसिक दिवालियापन : सेलरी के लिए प्रदर्शन करने गए अपने कर्मचारियों पर लगाया डकैती का आरोप

पी7 न्यूज़ में कुछ रोज पहले सुबह के वक्त कर्मचारियों का एक जत्था फरीदाबाद स्थित एचआर हेड विधु शेखर के घर पहुंचने लगा था। पी7 के दफ़्तर पर भी कर्मचारी इकट्ठा हुए और फिर फरीदाबाद सेक्टर 37 पहुंच गये। वहां पहुंचने पर पता चला कि विधु शेखर की सोसायटी का गेट बंद कर दिया गया था और वहां 8-10 लठैतों को तैनात किया गया था। कर्मचारियों ने तय किया कि वो कोई ज़ोर जबरदस्ती नहीं करेंगे और शांति पूर्वक प्रदर्शन करेंगे। प्रदर्शन शुरू ही हुआ था कि वहां फरीदाबाद पुलिस पहुंच गई और कर्मचारियों में से कुछ को उठाकर थाने लेकर गई।

केसर सिंह, शरद दत्त, विधू शेखर और उदय सिन्हा के खिलाफ नोटिस जारी

: उड़ीसा में भी विधु शेखर और केसर सिंह पर केस, अनशन कर रहे संजय कुमार की हालत खराब : पी7 न्यूज सैलरी विवाद की आंच उड़ीसा तक जा पहुंची है। जिस तरह से चिटफंड कंपनी पीएसीएल के पीड़ित लोग पूरे देश से सामने आ रहे हैं, उसी तरह पीबीसीएल के न्यूज़ चैनल पी7 से जुड़े पीड़ित पत्रकार भी देश भर से अपने हक की आवाज़ उठाते नज़र आ रहे हैं। पी7 चैनल मुख्यालय नोएडा में सैकड़ों पत्रकार कई दिनों से अपने हक के लिए डेरा डाले हैं। वहीं उड़ीसा में भी पत्रकारों ने पी7 न्यूज़ चैनल के खिलाफ लेबर कोर्ट में मामला दाखिल कर दिया है।

केसर सिंह के बाद अब विधु शेखर का घर घेरेंगे पी7 के आंदोलनकारी

चिटफंड कंपनी पीएसीएल का मालिक भंगू अपने खिलाफ मामले हटवाने और जांच एजेंसियों को प्रभावित कराने के नाम पर भले ही अरबों खरबों रुपये फूंक रहा हो लेकिन उसे अपने इंप्लाइज का जेनुइन बकाया देने में नानी याद आ रही है. यही कारण है कि पी7 न्यूज चैनल के सैकड़ों कर्मचारी अपने फुल एंड फाइनल सेटलमेंट के लिए फिर से सड़कों पर हैं. आंदोलन के जरिए एक राउंड सैकड़ों कर्मचारी अपने हक का पैसा पा चुके हैं लेकिन अब तक जिन्हें पूरा बकाया पैसा नहीं मिला है वो फिर आंदोलन की राह पर है. ये आंदोलन धीरे धीरे अनशन में तब्दील होता जा रहा है और न्याय न मिलने पर आमरण अनशन की भी तैयारी है.

केसर सिंह के घर के सामने पी7 के आंदोलनकारी मीडियाकर्मियों का प्रदर्शन

चिटफंड कंपनी पीएसीएल द्वारा संचालित न्यूज चैनल पी7 न्यूज भले बंद हो गया हो लेकिन इसके कर्मियों की दिक्कतें लगातार जारी है. यहां काम करने वालों की एक बड़ी संख्या ऐसी है जिसे अभी तक पूरा भुगतान नहीं मिला है. ये सैकड़ों कर्मी अपने फुल एंड फाइनल पेमेंट के लिए लगातार आंदोलनरत हैं. पी7 के नोएडा स्थित दफ्तर से लेकर पी7 के डायरेक्टर केसर सिंह के घर तक ये कर्मी अपनी आवाज उठा रहे हैं.

खुश खबरी : पी7 न्यूज के हड़ताली और आंदोलनकारी कर्मियों का हुआ फुल एंड फाइनल सेटलमेंट

पी7 न्यूज चैनल के मीडियाकर्मियों ने अपने हक के लिए दो-दो बार आफिस पर कब्जा किया और लंबा व संगठित आंदोलन चलाया. इसका रिजल्ट उन्हें अब मिला. हर तरफ से दबावों के कारण झुके प्रबंधन ने अपने वादे के अनुरूप कर्मियों का फुल एंड फाइनल सेटलमेंट कर दिया. इसे कहते हैं जो लड़ेगा वो जीतेगा. जो डरेगा, झुकेगा वो हारेगा. पी7 न्यूज चैनल के करीब दो सौ कर्मचारियों को इस फाइनल सेटलमेंट का लाभ मिला है.

पी7 चैनल के कर्मियों के दूसरे राउंड वाले आंदोलन को समर्थन देने वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय भी पहुंचे थे. साथ में हैं वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्द्धन त्रिपाठी.

”P7 में आपका दुबारा स्वागत है…” लेकिन ध्यान से, कहीं फंस मत जइहो भइये

पी7 यानि पीएसीएल उर्फ पर्ल्स ग्रुप का न्यूज चैनल.  लगातार फ्रॉड करते रहने वाले इस ग्रुप के चैनल का अंत भी फ्रॉडगिरी करके हुआ, सैकड़ों मीडियाकर्मियों की तनख्वाह मार के. लेकिन मीडियाकर्मी लड़े और जीते. लेकिन पर्ल्स ग्रुप ने पैंतरा मारते हुए फिर नया खेल किया है. सूत्रों के मुताबिक चैनल को कांग्रेस के नेता जगदीश शर्मा ने खरीद लिया है. इसे देखते हुए पर्ल्स ग्रुप का नया पैतरा ये है कि कर्मचारियों के फुल एंड फाईनल सेटेलमेंट से ठीक पहले पी7 मैनेजमेंट ने अपने आफिस के गेट पर लुभावने आफर वाला एक नोटिस चस्पा कर दिया है.

पी7 के 450 में से सिर्फ 153 कर्मियों को ही फुल एंड फाइनल पेमेंट मिलेगा

पिछले दिनों ये खबर आई थी कि आन्दोलनकारी पत्रकारों के जिद और जुनून के आगे पी7 प्रबंधन झुक गया और उन्हें नवम्बर तक की सैलरी दे दी गयी. साथ ही 15 जनवरी तक तीन महीने का कम्पनसेशन भी दे दिया जाएगा. इस खबर को सुनकर पी7 के सभी कर्मचारी/श्रमिक ख़ुशी से झूम उठे, लेकिन इनकी ख़ुशी में तब विराम लग गया जब इन्हें पता चला कि पी7 के सभी कर्मचारियों को नहीं बल्कि केवल 450 में से केवल 153 (लगभग) लोगों को ही ये सुविधा मिलेगी. इसके बाद, दूसरे ही दिन अन्य कर्मचारियों ने तत्काल बैठक बुलाई और सब एकत्रित हो कर दुबारा बड़ी संख्या में लेबर कमिश्नर के पास नयी कंप्लेन दायर कर आये.

आंदोलनकारी पत्रकारों के जिद और जुनून की हुई जीत, फिर झुका धोखेबाज पी7 प्रबंधन

पिछले कई दिनों से 24×7 आंदोलन कर रहे पी7 न्यूज चैनल के कर्मियों को बड़ी जीत हासिल हुई है. पी7 चैनल के आफिस पर कब्जा जमाए आंदोलनकारियों के दबावों और चौतरफा प्रयासों को नतीजा यह हुआ कि पुलिस, प्रशासन, लेबर डिपार्टमेंट के दबाव के आगे चैनल प्रबंधन ढेर हो गया और सारा बकाया चुकाने के लिए राजी हो गया, वह भी नियत समय पर. नवंबर महीने की सेलरी तुरंत मिल जाएगी सभी को. 15 जनवरी को फुल एंड फाइनल पेमेंट देने का जो पूर्व का वादा था, वह कायम रहेगा और उसी रोज सारा हिसाब कर सभी के एकाउंट में डिपोजिट करा दिया जाएगा. साथ ही फुल एंड फाइनल पेमेंट होने तक पी7 चैनल प्रबंधन चैनल से जुड़ी कोई भी संपत्ति नहीं बेच सकेगा.

ये संपादक लोग अपने चैनल के अंदर कर्मचारियों के चल रहे सतत् शोषण-उत्पीडऩ से अनजान क्यों बने रहते हैं

: मजीठिया पर सुप्रीम कोर्ट की नोटिस को चैनलों ने भी खबर आइटम बनाने की जहमत नहीं उठाई : ‘पी 7 चैनल के पत्रकार कर्मचारी लंबी लड़ाई के मूड में हैं।’ इस चैनल के पत्रकारों के जारी आंदोलन और उनकी तैयारियों की बाबत भड़ास पर प्रकाशित इस पंक्ति सरीखी अनेक पंक्तियों एवं फोटुओं-छवियों से पूरी तरह साफ हो जाता है कि इस चैनल के पत्रकार कर्मचारी अपने मालिक की बेईमानी, वादाखिलाफी, कर्मचारियों को उनका हक-पगार-सेलरी-बकाया-दूसरे लाभ देने के लिए किए गए समझौते के उलट आचरण-बर्ताव करने का दोटूक, फैसलाकुन, निर्णायक जवाब देने के लिए तैयार-तत्पर-सक्रिय हो गए हैं। उनके रुख से साफ है कि वे किसी भी सूरत में झुकेंगे नहीं और अपना हक लेकर, अपनी मांगें पूरी करा कर रहेंगे।

क्या दिल्ली में पाए जाने वाला सरोकारी संपादक नाम का जीव विलुप्त हो गया है?

सुना है कि देश की राजधानी दिल्ली में सरोकारी संपादक नाम का कोई जीव पाया जाता था. आजकल यह जीव विलुप्त हो गया है क्या? वैसे सरोकारी संपादक नाम की प्रजाति के जीव मीडिया हाउसों को खोलने का ठेका खूब लेते हैं. मीडिया कर्मियों के हितों का ठेका लेने की डींगें भी इस प्रजाति के जीव हांकते पाये जाते हैं. लगता है सोशल मीडिया पर शेर की तरह दहाड़ने वाले बड़का सरोकारी संपादक लोग बेरोजगार मीडिया कर्मियों की दिहाडी में लगी आग से हाथ गरम कर रहे हैं. एक के बाद एक न्यूज टीवी चैनल बंद हो रहे हैं. जर्नलिस्ट और नॉन जर्नलिस्ट्स के साथ-साथ चैनलों में काम करने वाले सैकड़ो कर्मचारी बेरोजगार हो रहे हैं.

इंडिया वांट्स टू नो, व्हाई मीडिया इज सो इनसेन्सिटिव अबाउट इट्स ओन पीपल! क्योंकि ‘सच ज़रूरी है’

‘सच ज़रूरी है’ की टैगलाइन के साथ ख़बरों के बाज़ार में कुछ सालों तक सच का कारोबार करने वाला न्यूज चैनल पी7 बंद हो गया। 400 से ज्यादा स्थाई कर्मचारी एक झटके में सड़क पर आ गए और आजकल वो अपने हक के लिए दफ्तर में धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। वो लोग जिन्होंने इस चैनल को एक मुकाम पर पहुंचाने के लिए जी-जान लगाकर काम किया वही लोग आज मालिकान के सामने अपनी सैलरी और बकाया रकम के भुगतान के लिए धरने पर बैठने को मजबूर हैं। अपने ही मेहनत की कमाई पाने के लिए उन्हें कानून का सहारा लेना पड़ रहा है।

पी7 के आंदोलनकारी पत्रकारों की इस छिपी प्रतिभा को देखिए

Yashwant Singh : आंदोलन अपने आप में एक बड़ा स्कूल होता है. इसमें शरीक होने वाले विभिन्न किस्म की ट्रेनिंग लर्निंग पाते हैं. सामूहिकता का एक महोत्सव-सा लगने लगता है आंदोलन. अलग-अलग घरों के लोग, अलग-अलग परिवेश के लोग कामन कॉज के तहत एकजुट एकसाथ होकर दिन-रात साथ-साथ गुजारते हैं और इस प्रक्रिया में बहुत कुछ नया सीखते सिखाते हैं. पी7 न्यूज चैनल के आफिस पर कब्जा जमाए युवा और प्रतिभावान मीडियाकर्मियों के धड़कते दिलों को देखना हो तो किसी दिन रात को बारह बजे के आसपास वहां पहुंच जाइए. संगीत का अखिल भारतीय कार्यक्रम शुरू मिलेगा.

पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने (देखें तस्वीरें) : पार्ट 4

इस बार पी7 के आंदोलनकारी पत्रकार लंबी लड़ाई के मूड में आए हैं. इसीलिए उनके आंदोलन में कोई अफरातफरी और कोई उतावलापन नहीं है. सब कुछ शांति के साथ और प्लानिंग के साथ हो रहा है. एक आह्वान पर सभी पत्रकारों का आफिस पहुंच जाना और आफिस के मुख्य द्वारा से लेकर अंदर रिसेप्शन तक पर कब्जा कर लेना. फिर वहीं अनशन धरना शुरू कर देना. फिर आफिस के हर कोने पर हाथ से बनाए गए बैनर पोस्टर चस्पा कर देना. फिर श्रम विभाग से लेकर पुलिस, प्रशासन, भड़ास आदि को सूचित कर तस्वीरें सूचनाएं आदि शेयर करने लगना. खाने से लेकर सोने तक की व्यवस्था कर देना.

पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने (देखें तस्वीरें) : पार्ट 3

श्रम विभाग के पास ताकत बहुत है, बस वह ईमानदारी से अड़ जाए, डंट जाए. श्रम विभाग नोएडा में कई तेजतर्रार अधिकारियों के होने के कारण मीडिया से जुड़े मामलों पर इन दिनों काफी सक्रियता और तेजी दिखाई जा रही है. श्री न्यूज से लेकर भास्कर न्यूज और पी7 न्यूज तक में पत्रकारों व मीडियाकर्मियों का प्रबंधन से सेलरी-बकाया आदि को लेकर विवाद है. इन चैनलों के मामले श्रम विभाग पहुंचे तो श्रम विभाग ने कड़ा रुख अपनाया और प्रबंधन पर सख्ती की.

आंदोलनकारी पत्रकारों के बीच बैठे श्रम विभाग, नोएडा के असिस्टेंट लेबर कमिश्नर शमीम अख्तर (मोबाइल से बात करते हुए).

पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने (देखें तस्वीरें) : पार्ट 2

दुनिया भर के अन्याय उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले पत्रकारों की आवाज कौन उठाएगा? कोई नहीं. क्योंकि मीडिया हाउसेज के मालिक अपने पत्रकारों की आवाज को हमेशा कुचलते रहे हैं और उनकी आवाज को मीडिया माध्यमों से ब्लैकआउट करते रहे हैं. धन्य हो न्यू मीडिया और सोशल मीडिया की. इसके आ जाने से परंपरागत मीडिया माध्यमों की हेकड़ी, अकड़, दबंगई, मोनोपोली खत्म हुई है. आज फेसबुक ट्विटर ह्वाट्सएप ब्लाग वेबसाइट जैसे माध्यमों के जरिए पत्रकारों की आवाज उठने लगी है और मीडिया हाउसों के अंदर की बजबजाहट बाहर आने लगी है. पी7 चैनल के आंदोलनकारी पत्रकारों की बड़ी सीधी सी मांग है.

पी7 चैनल के आफिस में रात गुजारी आंदोलनकारी पत्रकारों ने (देखें वीडियो और तस्वीरें) : पार्ट 1

पत्रकारों का ऐसा एकजुट आंदोलन बहुत दिन बाद देखने को मिला. पिछली बार जब आंदोलन किया तो प्रबंधन झुका और लिखित समझौता कर सब कुछ देने का वादा किया. लेकिन तारीखें बीतने के बाद जब पता चला कि प्रबंधन झूठा निकला तो पत्रकारों ने दुबारा आंदोलन करने में तनिक भी देर न लगाई. ह्वाट्सएप पर इन आंदोलनकारी पत्रकारों का ग्रुप बना हुआ है. इस ग्रुप पर आंदोलन फिर से शुरू करने और आफिस नियत समय पर पहुंचने का आह्वान होते ही सब पत्रकार कल पी7 चैनल के नोएडा स्थित आफिस पहुंच गए. अंदर घुसकर रिसेप्शन समेत पूरे आफिस पर कब्जा जमा लिया और अनशन पर बैठ गए. लेबर डिपार्टमेंट की तरफ से तेजतर्रार और जनसरोकारी अधिकारी शमीम अख्तर मौके पर पहुंचे तो भड़ास की तरफ से यशवंत सिंह ने पी7 के आफिस जाकर आंदोलनकारियों को समर्थन दिया.

अपने हक के लिए चैनल के आफिस में अनशन करते पत्रकारों ने आफिस के भीतर ही रात गुजारी.