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हरियाणा

पत्रकार की कलम न रुकनी चाहिए, न झुकनी चाहिए : राधेश्याम

पंचकूला : कलम न रुकनी चाहिए और न झुकनी चाहिए, कलम न अटकनी चाहिए और न ही भटकनी चाहिए। एक पत्रकार की सबसे बड़ी पूंजी होती है उसकी कलम। ये सहज उदगार व्यक्त कर रहे थे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के संस्थापक कुलपति राधेश्याम शर्मा। अवसर था आदि पत्रकार देवर्षि नारद की जयंती। 

पंचकूला : कलम न रुकनी चाहिए और न झुकनी चाहिए, कलम न अटकनी चाहिए और न ही भटकनी चाहिए। एक पत्रकार की सबसे बड़ी पूंजी होती है उसकी कलम। ये सहज उदगार व्यक्त कर रहे थे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के संस्थापक कुलपति राधेश्याम शर्मा। अवसर था आदि पत्रकार देवर्षि नारद की जयंती। 

पंचनद शोध संस्थान, पंचकूला एवं विश्व संवाद केंद्र, हरियाणा के तत्वावधान में सेक्टर 12ए के रोटरी क्लब भवन में एक सीधे सादे पत्रकार सम्मान समारोह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राधेश्याम शर्मा ने अपने पत्रकारिता के अनुभव को लोगों से साझा किया। उन्होंने कहा कि चुनौतियां हर युग में रही हैं। रामायण और महाभारत के काल में भी सज्जन पुरूषों को परेशान किया जाता था लेकिन उस जमाने में भी नारद जैसे लोग लोकोपयोगी कार्य करने में कोताही नहीं बरत रहे थे। नारद ब्रह्मा के मानस पुत्र हैं। इसलिए उन्हें आदि पत्रकार का ओहदा प्राप्त है। 

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श्री शर्मा ने कहा कि जिस प्रकार से हमारे पूर्ववर्ती वक्ता आज के चित्र को नकारात्मक ढंग से चित्रित करते हैं, उससे मैं सहमत नहीं हूं। आज चुनौती जरूर है लेकिन आशा की कुछ किरणें भी दिख रही हैं। हमें सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज पत्रकार अपने दायित्व को भूल रहे हैं। पत्रकारिता भारतीय लोकतंत्र का चौथा खंभा है। भारत का लोकतंत्र तभी मजबूत होगा जब हमारे देश की पत्रकारिता परिपक्व होगाी। दुनिया के कई देशों में नकारात्मक खबर के प्रकाशन पर अघोषित प्रतिबंध है लेकिन भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। हमारे लोकतंत्र को ठीक करने में समाचार माध्यमों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता लेकिन नकारात्मक खबरों के कारण देश और समाज का माहौल खराब होता है। पत्रकारों को इसका खयाल जरूर रखना चाहिए। 

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कार्यक्रम में चंडीगढ दूरदर्शन केन्द्र के पूर्व निदेशक केके. रत्तू ने पत्रकारिता के धर्म और उसकी दिशा पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने अनुभव लोगों के साथ साझा किया और कहा कि समाचार माध्यमों में निराशा का वातावरण बन रहा है। इसे ठीक करने की जरूरत है। 

कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों और समाचार पत्रों की मौजूदा स्थिति पर चर्चा हुई और आये हुए पत्रकारों को संस्था की ओर से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ. संजीव सोनी ने मुख्यातिथि को पुष्प देकर स्वागत किया, जबकि राकेश शर्मा ने केके. रत्तू को पुष्प देकर आदर प्रदान किया। अंत में पत्रकारों का सामूहिक चित्र मुख्य अतिथि के साथ करवाकर कार्यक्रम संपन्न हुआ। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन अमर उजाला के वरीय उप संपादक दिनेश शर्मा ने किया।

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