लक्ष्मी का बहिर्गमन नियंत्रित हो

स्वतंत्रता-प्राप्ति से पूर्व हमारे देशवासियों ने भावी भारत के रूप में सशक्त और समृद्ध राष्ट्र का सपना देखा था। उन्हें विश्वास था कि अंग्रेजों की दासता से मुक्ति मिलते ही हम भारतीयों का ‘स्वराज्य’ स्वावलम्वन से सशक्त और सम्पन्न बनकर ‘सुराज’ की स्वार्णिम कल्पनाएं साकार करेगा। प्रख्यात सुकवि-नाटककार जयशंकर प्रसाद कृत ‘चन्द्रगुप्त’ नाटक के निम्नांकित गीत में इस जनभावना की अनुगूँज दूर तक सुनाई देती है-

‘हिमाद्रि तुंग श्रृंगसे, प्रबुद्ध शुद्ध भारती
स्वयंप्रभा समुज्ज्वला, स्वतंत्रता पुकारती।

आइए, सच्ची दिवाली मनाएं, मन के अंधेरे घटाएं

दिवाली में दिए ज़रूर जलाएं, लेकिन खुद के दिलो-दिमाग को भी रोशन करते जाएं. सहज बनें, सरल बनें, क्षमाशील रहें और नया कुछ न कुछ सीखते-पढ़ते रहें, हर चीज के प्रति संवेदनशील बनें, बने-बनाए खांचों से उबरने / परे देखने की कोशिश करें, हर रोज थोड़ा मौन थोड़ा एकांत और थोड़ा ध्यान जरूर जिएं.

राजिम कुंभ 2017 : चलो नहा आएं… समापन महाशिवरात्रि के दिन..

12 वर्षों के अंतराल में देश के चार प्रमुख तीर्थस्थानों पर कुंभ का आयोजन किया जाता है. छत्तीसगढ़ के राजिम में यह उत्सव हर वर्ष माघी पूर्णिमा से आरंभ होकर महाशिवरात्रि पर पूर्ण होता है. इस बार का राजिम कुंभ विशेष महत्व लिए हुए है इसलिए राजिम कुंभ कल्प-2017 का नाम दिया गया है.  राजिम कुंभ लोगों के मन की सहज श्रद्धा, उनके जीवन की सहज आस्था, सामान्य उल्लास लगने वाले जीवन को अद्भुत उल्लास और पूर्णता से भर देता है. एक ओर जहाँ श्रद्धा के भाव से भरे होते हैं तो दूसरी तरफ मेले के उल्लास के चटख रंग भी यहाँ मौजूद हैं.

कई मर्दों से संबंध रखने वाली ये महिला भी करवा चौथ व्रत कर रही है!

Balendu Swami : मैं करवा चौथ रखने वाली अपने आस-पास की कुछ महिलाओं को व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ: 1) एक महिला, जो 15 साल से विवाहित है और रोज आदमी से लड़ाई होती है, सभी जानते हैं कि इनका वैवाहिक जीवन नरक है। 2) एक और महिला, जिसकी महीने में 20 दिन पति से बोलचाल बंद रहती है और वह उसे छिपाती भी नहीं है तथा अकसर अपनी जिन्दगी का रोना रोती रहती है।

…क्योंकि रावण अपना चरित्र जानता है!

कथा का तानाबाना तुलसीबाबा ने कुछ ऐसा बुना की रावण रावण बन गया। मानस मध्ययुग की रचना है। हर युग के देशकाल का प्रभाव तत्कालीन समय की रचनाओं में सहज ही परीलक्षित होता है। रावण का पतन का मूल सीता हरण है। पर सीताहरण की मूल वजह क्या है? गंभीरता से विचार करें। कई लेखक, विचारक रावण का पक्ष का उठाते रहे हैं। बुरी पृवत्तियों वाले ढेरों रावण आज भी जिंदा हैं। कागज के रावण फूंकने से इन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। पर जिस पौराणिक पात्र वाले रावण की बात की जा रही है, उसे ईमानदार नजरिये से देखे। विचार करें। यदि कोई किसी के बहन का नाक काट दे तो भाई क्या करेगा।

पत्रकार की कलम न रुकनी चाहिए, न झुकनी चाहिए : राधेश्याम

पंचकूला : कलम न रुकनी चाहिए और न झुकनी चाहिए, कलम न अटकनी चाहिए और न ही भटकनी चाहिए। एक पत्रकार की सबसे बड़ी पूंजी होती है उसकी कलम। ये सहज उदगार व्यक्त कर रहे थे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल के संस्थापक कुलपति राधेश्याम शर्मा। अवसर था आदि पत्रकार देवर्षि नारद की जयंती।