झांसी। राजकीय संग्रहालय सभागार, झॉसी में स्व0 पं0 रामेश्वर दयाल त्रिपाठी (नन्ना) की पुण्य स्मृति में स्थापित रामेश्वरम् हिन्दी पत्रकारिता पुरस्कार का बारहवां सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ। डा. इकबाल खान ने वर्ष 2015 का राष्ट्रीय स्तर पर रामेश्वरम् हिन्दी पत्रकारिता पुरस्कार रवि मिश्रा (हिंदुस्तान, झांसी) को देने की घोषणा की। इसके बाद उन्हे मुख्य अतिथिद्वय के कर कमलों द्वारा 11,000 (ग्यारह हजार) रूपये का नगद पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। रवि मिश्र ने पूरी संजीदगी से अपना काम करते रहने का संकल्प दोहराया। उन्होंने ये पुरस्कार माता-पिता और झांसी के लोगों को समर्पित किया।
इस समारोह में इलेक्ट्रानिक मीडिया से धर्मेंद्र साहू प्रिट मीडिया के पत्रकारों हरिकृष्ण चतुर्वेदी, बृजेंद्र खरे, मुकेश त्रिपाठी, दीपक चंदेल, रवींद्र सिंह गौर, और शीतल तिवारी को प्रशस्तिपत्र, शाल्र व श्रीफल भेंटकर सम्मानित किया गया। इन सभी ने पत्रकारिता जगत की विसंगतियों एवं खामियों का भी उल्लेख किया। सम्मान के लिए संस्थान के प्रति आभार भी व्यक्त किया। समारोह की अध्यक्षता कर रहे कैलाशचन्द्र जैन ने अपने सम्बोधन में स्व0 पं0 रामेश्वर दयाल त्रिपाठी (नन्ना) के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। संस्थान के अध्यक्ष सुधांशु त्रिपाठी को इस अच्छे कार्य के लिए साधुवाद भी दिया। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को संबल देने की जरूरत है।
इस समारोह में डा. धन्नूलाल गौतम, बार के अध्यक्ष महेंद्रपाल वर्मा, जयदेव पुराोहित, वीरेंद्र शर्मा, आरएन शर्मा, मनोहरलाल चतुर्वेदी, भरत राय, सलिल रिछारिया, हरीश लाला, महेश पटैरिया, राधाचरण शांडिल्य, राजेश राय, रामजीवन ओझा, पुष्कर पंडित, नफीसा सिददीकी, दिलीप अग्रवाल, ओमप्रकाश राय, देवीदयाल यादव, डा. श्यामाकांत पाराशर, मंसूर अहमद आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण जैन ने किया। जिला बार के सचिव प्रणय श्रीवास्तव एडवोकेट ने सभी आये हुए आगन्तुक महानुभावों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार गिरिजाशंकर और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अविनाशचंद्र पाण्डेय बतौर मुख्य अतिथि शामिल थे। वरिष्ठ पत्रकार कैलाशचन्द्र जैन की अध्यक्षता में कार्यक्रम हुआ। शुभारम्भ गिरिजाशंकर ने स्व0 पं0 रामेश्वर दयाल त्रिपाठी जी के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इस समारोह के विशिष्ट अतिथि पूर्व मंत्री हरगोविन्द कुशवाहा, वरिष्ठ पत्रकार बंशीधर मिश्र, विष्णुदत्त स्वामी, गिरीश सक्सेना, मोहन नेपाली और मुकेश अग्रवाल रहे। इनका स्वागत संस्थान के पदाधिकारियों डा0 सुधीर त्रिपाठी, प्रतीक चौरसिया, राहुल शुक्ला, संजय गुप्ता, सुनील पाण्डेय, उमेश शुक्ल, डा. मानव अरोरा, डा. मो नईम, मनोज गुप्ता, डा. अरूण पटैरिया ने पुष्पगुछ भेंट करके किया।
संस्थान के अध्यक्ष सुधांशु त्रिपाठी ने संस्थान की प्रगति आख्या प्रस्तुत की तथा उसकी गतिविधियों के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए समस्त अतिथियों व आगन्तुको का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता की समाज में अहम भूमिका है इतिहास गवाह है कि जब-जब शासन निरंकुश हुआ है तब-तब पत्रकारों ने उनके खिलाफ आवाज बुलन्द की है।
वरिष्ठ पत्रकार बंशीधर मिश्र ने पत्रकारिता जगत के समक्ष उत्पन्न संकटों का जिक्र करते हुए कहा कि इनके निराकरण के लिए समाज को पहल करने की आवश्यकता है। वरिष्ठ पत्रकार गिरीश सक्सेना ने पत्रकारों से अपने चरित्र की रक्षा करते हुए दायित्व का निर्वहन करने की सीख दी। मोहन नेपाली ने प्रेस की महत्ता का उल्लेख किया। साथ ही पत्रकारों के संघर्षो की चर्चा न होने की बात भी कही।
मुख्य अतिथि एवं वरिष्ठ पत्रकार गिरिजाशंकर ने कहा कि आज के दौर में जब पूरी पत्रकारिता गाली का पात्र बन गई हे ऐसे में पत्रकारों का सम्मान होते देखना सुखद और महत्वपूर्ण है। उन्होंने हिंदी पत्रकारिता की चुनौतियों का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा कि सम्मान से पत्रकारों की उर्जा बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को आकर्षण से बचकर रहना है और साथ ही साथ अपने दायित्वों का निर्वहन भी करना है।
मुख्य अतिथि और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो अविनाश चंद्र पाण्डेय ने गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरित मानस के विविध प्रसंगों का जिक्र करते हुए कहा कि क्रोध भी एक प्रकार का मनोविकार है। उन्होंने विविध प्रसंगों का उदाहरण सामने रखते हुए बताया कि कैसे दर्पणों से अलग.अलग समय पर पात्रों को भिन्न प्रकार के संकेत मिले। कुछ ने इन्हें समझा पर कुछ ने इन्हें नहीं समझा या माना। उन्होंने कहा कि दर्पर्णों से मिले संकेतों को न समझना भी ठीक परिणाम नहीं देता है। उन्होंने बुदेलखंड क्षेत्र की रचनाओं को मौलिक मानते हुए उनकी खूबियों का उल्लेख किया। प्रो पाण्डेय ने पत्रकारों से अपील की कि वे लोगों को ऐसे दर्पण दिखाएं कि सभी सच को जान सकें।