छत्तीसगढ़ के जंगल में दो पत्रकार मिले. इनके साथ दो चार स्थानीय लोग भी बैठे. पियक्कड़ी शुरू हुई. पहले दारू, फिर गांजा. दे दनादन. इसके बाद गाली गलौज. मारपीट.
पियक्कड़ी में ये सब होता है. समझदार पियक्कड़ ‘रात गई बात गई’ कहकर पूरे मामले से मुक्त हो जाते हैं और आगे की तरफ देखते हैं. पर नए नवेले पियक्कड़ ‘कल हुआ क्या था’ के चक्कर में पड़कर फजीहत करा लेते हैं.
अब बप्पी राय और ऋषि वालिया को ही देखिए. इनकी कहानी मीडिया वालों के बीच फैल गई है.
कहानी कहने का शौक पहले ऋषि वालिया को जागा. दिल्ली से जाकर छत्तीसगढ़ के जंगल में बैठकर दारू-गांजा सूत रहे थे. फिर गाली-गलौज करने लगे. ऐसा बप्पी राय का कहना है. फिर कूकर उठाकर मारने पीटने लगे.
सच्चाई जो भी हो लेकिन ये सच है कि सब कुछ नशेबाजी में हुआ.
ऋषि वालिया की करतूत के बारे में बप्पी राय बता रहे हैं. पहले ऋषि वालिया खुद को पीड़ित बता रहे थे और बप्पी राय को आरोपी. बप्पी के बयान सुनने के बाद लगता है कि यहां न कोई पीड़ित है और न कोई आरोपी. आरोपी और पीड़ित दोनों तरफ बराबर बराबर हैं.
सुनिए ऋषि वालिया-बप्पी के बीच संवाद :
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