संजय कुमार-
प्रिय मित्र सचिन खरे नहीं रहे। फिलहाल वो न्यूज़ 24 में थे। कल रात उनकी मौत हो गई।
आज सुबह पता चलने पर इसकी पुष्टि के लिए अभिलाष मिश्रा से बात की तो पता चला कि वे कई बीमारियों से ग्रस्त थे।
सचिन खरे ईटीवी यूपी चैनल और नेशनल हिंदी डेस्क पर साथ थे। मस्तमौला अंदाज और बेफिक्री के कायल थे हमलोग। बहुत याद आओगे दोस्त। श्रद्धांजलि आपको।
दिनेश कांडपाल-
आज सचिन खरे चला गया। ये उम्र जाने की तो नहीं थी, लेकिन नियति पर किसका वश चला है। सचिन से पहली मुलाकात 2003 में ETV में हुई, उस वक़्त लगभग रोज़ ही मिलते थे, जम कर खाते पीते थे, दिल्ली आये तो मिलने का ये सिलसिला यूं कम होता चला गया कि आज उनके निधन की खबर भी 2 घंटे बाद कन्फर्म हुई।
ये भी याद नहीं कि आखिरी मुलाकात कब हुई, लेकिन सचिन कुछ ऐसा कर गया कि उसे जीवन भर भूलना संभव नहीं होगा। सचिन एक बेहतर कुक था, और पूरे मनोयोग से खिलाता था। हैदराबाद के दिनों में तो किसी भी साथी के जन्मदिन पर 30/40 लोगों का खाना बना देना उसके लिए मानो बाएं हाथ का काम था। कई बार उसे खींच खींच कर अपने फ्लैट में ले जाता था ताकि उसके हाथ का खाना खा सकूं, थोड़ा भाव खाता था लेकिन फिर आ भी जाता था। खूब खाया, बार बार खाया। 3 साल तक खाया।
फिर से वादा था कि हम मिलेंगे और सचिन खरे के हाथ का खाना खाएंगे, लेकिन कौन जानता था कि वो दिन कभी नहीं आएगा, और यूं विदाई का संदेश लिखना पड़ेगा।
अलविदा दोस्त। ईश्वर तुम्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें। ऊँ शांतिः।