संजय कुमार सिंह-
ट्वीटर पर मिले दो ट्वीट। एक ‘राजनीतिक आंसू’ और एक ‘आजाद’ आंसू है। पहली बार पूरा ‘राजनीतिक आंसू’ इनवर्टेड कॉमा में है जो किसान नेता राकेश टिकैत के लिए है और दूसरी बार नरेन्द्र मोदी के मामले में सिर्फ आजाद इनवर्टेड कॉमा में है, आंसू नहीं और खेल इसी में है।


राजनीतिक और आजाद का खेल चैनल ने पूरे जोर-शोर और बेशर्मी से किया। आलोचना का बचाव करने की जरूरत हुई तो इनवर्टेड कॉमा काम आएगा।
नहीं तो जो नंगई है उसे छिपाने, ढंकने की जरूरत कोई नहीं समझता है। उल्टे कोई मौका नहीं चूकता है।
बाकी सार्वजनिक रूप से रोना ही राजनीति है। टिकैत रोएं या मोदी। एक बार रोएं या बार-बार। वरना इंदिरा गांधी को संजय गांधी की मौत पर या उसके बाद कभी किसी ने रोते नहीं देगा।
मेरे ख्याल से राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी भी टीवी पर रोती नहीं दिखीं। सार्वजनिक रूप से रोना (ग्रामीण महिलाओं को छोड़कर) बहुत बड़ी बात है।
बिग बॉस के एक प्रतियोगी के रोने को घड़ियाली आंसू कहने पर उसने बहुत दबंगई से कहा कि मैं कब-कब रोया हूं याद है और उसके रोने को घड़ियाली आंसू कहना गलत है। पर यहां तो रोने का ही खेल चल रहा है और उसका भी वर्गीकरण।


Comments on “सुमित अवस्थी की ये कैसी पक्षपाती पत्रकारिता!”
is he CHATUJIVI?
लगे रहो मोदी का कुछ नही बिगाड़ पाओगे
सारा भड़ास खिलाफ हो जाये
राहुल सोनिया का गुण गए
अरे अपना नजरिया है सुमित का
आपका अपना है आप भी कोई चैनल पकड़ लो इतनी तकलीफ है तो