विवेकानंद कुशवाहा-
क्या इसी दिन के लिए बनी थी आम आदमी पार्टी? ये आम आदमी पार्टी वाले बातें बड़ी-बड़ी करेंगे। लोकतंत्र और देश के पहरुआ बने फिरेंगे, लेकिन सत्ता में आते ही चरित्र वही है, जिसके लिए ये भाजपा को घेरते फिरते हैं। कभी कांग्रेस को घेरा करते थे। कल पंजाब में टाइम्स नाउ नवभारत की रिपोर्टर और भारतीय जन संचार संस्थान में हमारी सहपाठी रहीं भावना किशोर को एक फर्जी रोडरेज के मामले में पंजाब पुलिस द्वारा न सिर्फ गिरफ्तार किया गया, बल्कि उस पर एससी-एसटी एट्रोसिटी एक्ट भी लगा दिया।
भावना आप बीट की रिपोर्टर रही है और वह वहां अरविंद केजरीवाल के कार्यक्रम को कवर करने गयी थी। टाइम्स नाउ के प्रति खुन्नस निकालने के लिए पंजाब की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी की पूरी पटकथा लिख दी गयी। उसकी शिकार बन गयी भावना, जबकि वह गाड़ी चला भी नहीं रही थी। ऊपर से क्या सड़क पर चलते हुए किसी को यह पता होता कि सामने वाला अनुसूचित जाति का है, तो उसको धक्का मार दूं?
खैर, अच्छी खबर है कि भावना को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गयी है। वह जल्द रिहा होंगी, लेकिन यह स्पष्ट है कि सारी राजनीतिक जमातों का एक ही चरित्र है, बस वे सत्ता में हों। जब ये विपक्ष में होते हैं, तो डेमोक्रेसी और अभिव्यक्ति की आज़ादी के सबसे बड़े रखवाले बन जाते हैं।
एक प्रतिक्रिया यह भी-
सिद्दीक कप्पन पर अगर यूएपीए का मामला बन सकता है तो भावना पर एससी एसटी के तहत क्यों नहीं? सरकार और पार्टी अलग है, पुलिस तो वही है। जो आका करवाएंगे, सिखाएंगे करेगी। योगी की पुलिस करे तो ठीक और केजरीवाल (मान की कहना चाहिए) की करे तो गलत – ये नहीं चलेगा। -संजय कुमार सिंह