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सुख-दुख

जहां सच्चाई दम तोड़ देती है उसे आकाशवाणी कहते हैं…

हम सभी जानते हैं कि हर संस्थान का अपना मैन्यूअल होता है जिसे हम नियमावली भी कहते हैं, जिसमें उस संस्थान को चलाने के कुछ नियम विधि संगत तरीके से रखे जाते हैं और उनका पालन करके ही कोई भी संस्थान अपने को चला पाती है, गैर सरकारी संस्थानों में मैन्यूअल की अनदेखी जग जाहिर है, नियम सिर्फ किताबों में रह जाते हैं उनका पालन शायद ही होता है।

<p>हम सभी जानते हैं कि हर संस्थान का अपना मैन्यूअल होता है जिसे हम नियमावली भी कहते हैं, जिसमें उस संस्थान को चलाने के कुछ नियम विधि संगत तरीके से रखे जाते हैं और उनका पालन करके ही कोई भी संस्थान अपने को चला पाती है, गैर सरकारी संस्थानों में मैन्यूअल की अनदेखी जग जाहिर है, नियम सिर्फ किताबों में रह जाते हैं उनका पालन शायद ही होता है।</p>

हम सभी जानते हैं कि हर संस्थान का अपना मैन्यूअल होता है जिसे हम नियमावली भी कहते हैं, जिसमें उस संस्थान को चलाने के कुछ नियम विधि संगत तरीके से रखे जाते हैं और उनका पालन करके ही कोई भी संस्थान अपने को चला पाती है, गैर सरकारी संस्थानों में मैन्यूअल की अनदेखी जग जाहिर है, नियम सिर्फ किताबों में रह जाते हैं उनका पालन शायद ही होता है।

सरकारी संस्थानों में मैन्यूअल को आम तौर पर सख्ती से लागू किया जाता है, दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में आने वाले सरकारी संस्थान अपने मैन्यूअल का पालन करते है सिर्फ आकाशवाणी को छोड़ कर। अब आप जानना चाहेंगे की आकाशवाणी में कौन से मैन्यूअल का पालन नहीं हो रहा तो जान जाइये कि वहां भ्रष्टाचार अपने चरम पर है और वहां अंडरटेकिंग नाम का जो खेल चल रहा है उसके कारण हज़ारों कैज़ुअल एनाउंसर अपने काम से हमेशा के लिए निकाले जा रहे हैं।

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अंडरटेकिंग एक तुग़लकी फरमान है जिसमें ये लिखा है कि आप एक महीने में 6 से ज़्यादा ड्यूटी नहीं करेंगे यानी एक साल में 72 से कम ड्यूटी करने का वादा, साथ में हर माह एक गवाह के हस्ताक्षर भी होने चाहियें। अब आइये आपको आकाशवाणी मैन्यूअल में क्या अंडरटेकिंग के बारे में ज़िक्र है या आकाशवाणी की नियमावली में अंडरटेकिंग की चर्चा है ? इस विषय पर माननीय उच्च न्यायालय और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज और विधि विशेषज्ञों से हमने तीन सवाल किये।

सवाल -1 आकाशवाणी के मैन्यूअल में क्या कैज़ुअल एनाउंसर से अंडरटेकिंग लेने कि बात लिखी है?

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उत्तर – आकाशवाणी कि नियमावली यानि मैन्यूअल में कैज़ुअल एनाउंसर से अंडरटेकिंग लेने की कोई बात किसी भी पेज पर नहीं लिखी है और नाही इसकी कोई चर्चा है, यानी अंडरटेकिंग अवैध illegal है।

सवाल – 2 आकाशवाणी में जिस समय कैज़ुअल एनाउंसर के रूप में हमें चयनित किया गया था, क्या उस समय आकाशवाणी के विज्ञापन में अंडरटेकिंग देने की कोई चर्चा या आवेदन में अंडरटेकिंग का उल्लेख था कि आपसे हर महीने अंडरटेकिंग पर गवाह के हस्ताक्षर के साथ अंडरटेकिंग देना ही होगा।

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उत्तर – ऐसी कोई भी सूचना या अंडरटेकिंग का उल्लेख उस समय के विज्ञापन में नहीं था और नाही रेडियो से प्रसारित लाइव उद्घोषणा में अंडरटेकिंग देने की कोई चर्चा थी, यानी अंडरटेकिंग अवैध illegal है।

सवाल – 3 आकाशवाणी में ड्यूटी के लिए क्या कोई कॉन्ट्रैक्ट हम साइन करते हैं ?

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उत्तर – आकाशवाणी में काम करने वाले कैज़ुअल एनाउंसर P-5 नाम का कॉन्ट्रैक्ट साइन करते हैं, जो भारत के महामहिम राष्ट्रपति जी की ओर से निर्गत होता है , उसी कॉन्ट्रैक्ट के पीछे ड्यूटी से सम्बंधित आदेश भी छपे होते हैं, लेकिन उन आदेशों में कही भी अंडरटेकिंग देने की बात नहीं है, यहाँ महत्वपूर्ण  तथ्य ये है कि जब कैज़ुअल ड्यूटी के लिए हम P-5 नाम का कॉन्ट्रैक्ट साइन कर रहें हैं, तो फिर एक अलग से अंडरटेकिंग देने की क्या ज़रुरत है, एक ही काम के दो दो कॉन्ट्रैक्ट नहीं होते हैं, ये अवैध है गलत है illegal है।

मेरे मित्रों ये गलत अवैध और illegal अंडरटेकिंग धरल्ले से आदेशानुसार आकाशवाणी महानिदेशक पूरे देश के आकाशवाणी केन्द्रों में भेजा गया है और जिन लोगो ने इस अंडरटेकिंग पर साइन नहीं किया है उनकी ड्यूटी हमेशा के लिए बंद कर दी गई है, यानी अवैध गलत illegal काम ज़ोर शोर से चल रहा है आकाशवाणी में। आशा करता हूँ आप मित्रों का सार्थक सहयोग इस अवैध अंडरटेकिंग को हटाने में मिलेगा, आपका और भड़ास का साथ रहेगा तो हौसला बना रहेगा दोस्त।

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लेखक अशोक अनुराग जाने माने रेडियो एनाउंसर हैं. उनसे संपर्क 9350921457 या [email protected] के जरिए किया जा सकता है.


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