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स्टिंगबाज उमेश की ‘थ्री-लेयर’ विशेष जांच टीम बड़े-बड़ों को यूं फांसती थी, जानें मोडस आपरेंडी

स्टिंग करने के लिए सीएम त्रिवेंद्र रावत के निजी और सरकारी घर में तीन बार कर ली थी एंट्री! समाचार प्लस चैनल के एसआईटी हेड और स्टिंगबाजी के शिकायतकर्ता आयुष पंडित उर्फ आयुष गौड़ का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री के डिफेंस कालोनी स्थित निजी आवास और कैंट स्थित सरकारी आवास में तीन मर्तबा एंट्री की. डिफेंस कालोनी आवास पर दो बार गया जबकि कैंट आवास पर एक बार. निजी आवास पर उनके भाई बिल्लू व एक भतीजे का स्टिंग किया, मगर कैंट आवास पर मुख्यमंत्री का स्टिंग करने से आयुष ने इन्कार कर दिया. उसने कैमरे वाली जैकेट और मोबाइल बाहर ही छोड़ दिया.

चैनल में स्टिंग के लिए बाकायदा विशेष जांच टीम गठित थी. आयुष ने बताया कि थ्री-लेयर इस ‘गेम’ में पहली टीम राजनेता या नौकरशाहों को महंगे गिफ्ट देकर झांसे में लेती है. दूसरी टीम का काम इस झांसे में आए व्यक्ति को रुपये लेते हुए कैमरे में कैद करने का होता है और तीसरी टीम के जरिये संबंधित व्यक्ति से मोटी रकम वसूली की जाती है. तीसरी टीम के बारे में पहली दोनों टीमों को कोई भनक नहीं होती थी.

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अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश से आयुष पंडित एक व्यवसायी बनकर मिला. चारधाम ऑलवेदर रोड के टेंडर पर बात की. इसके बाद देहरादून में वह जिससे भी मिला, उसे अपना परिचय होटल व्यवसायी के तौर पर दिया. उत्तराखंड में अलग-अलग शहरों में जमीन लेकर ऑलीशान होटल खोलने का हवाला देकर सबसे मुलाकात की गई.

आयुष के मुताबिक उमेश जे कुमार स्टिंग की आड़ में एक संगठित गिरोह चला रहा था. वह एक ही ध्येय लेकर चल रहा था कि यदि मुख्यमंत्री काबू में आ गए तो सब हाथ में होगा. फिर वह सरकार में जो चाहे वह काम करा लेगा. इसलिए उसने उससे कहा था कि मुख्यमंत्री का जो भी रिश्तेदार, सगे-संबंधी, दोस्त, करीबी मिले, उसे गुप्त कैमरे में कैद कर लो.

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हर स्टिंग के बाद उमेश तुरंत आयुष से सभी उपकरण वापस ले लेता था. अप्रैल में मुख्यमंत्री के भाई और भतीजे का स्टिंग करने के बाद आयुष ने उमेश को बताया तो उमेश कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के बेटे की शादी में नंदा की चौकी के समीप एक होटल में था. उमेश ने उसे वहीं बुला लिया और कुछ वरिष्ठ नौकरशाहों से बात कराई. हालांकि, वहां स्टिंग नहीं हो सका और उमेश ने उपकरण वापस ले लिए. इस दिन से पहले हर बार राहुल भाटिया उससे उपकरण ले लेता था.

आयुष ने दावा किया कि स्टिंग के वक्त चैनल की लोकल टीम उन पर नजर रखती थी. उमेश जे कुमार के ‘चहेते’ लोग इस टीम में रहते थे. यह टीम राजनेताओं और नौकरशाहों को गिफ्ट देकर झांसे में लाने का काम करती थी. आयुष ने बताया कि मुख्यमंत्री का स्टिंग न करने के बाद उमेश लगातार उसे धमकी दे रहा था. उसने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र भेजा मगर डेढ़ माह तक कोई मदद नहीं मिली. फिर किसी तरह वह पुलिस अधिकारियों से मिला व अगस्त में शिकायत दर्ज हुई.

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