भारतीय मीडिया जगत में कभी यूएनआई /वार्ता एक सशक्त एजेंसी हुआ करती थी। चम्मच पीटीआई / भाषा को आगे बढ़ाने के लिए यूएनआई /वार्ता का कुंडा कैसे पिटा, उसकी कहानी कभी बाद में । अभी बस ये कि इस एजेंसी में कैसे मैनेजमेंट वहां के कर्मचारियों को परेशान कर रही है। साथ में बोनस ये कि वहां की यूनियन प्रबंधन के साथ मिलकर कैसे संस्था को खत्म करने में लगी है।
सबसे पहले तो यहां की यूनियन द्वारा प्रबंधन के खिलाफ मजीठिया वेज बोर्ड लागू कराने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया क्योंकि यूनियन को डर है कि प्रबंधन जो दस-दस या, पन्द्रह-पन्द्रह महीने के बाद कर्मचारियों को वेतन दिया जा रहा है, वह भी इसके बाद नहीं मिलेगा । इसलिए किसी को इसकी जरूरत नहीं है।
वेतन न देना या वेतन न जुटा पाना प्रबंधन की मजबूरी हो सकती है लेकिन इसके लिए कर्मचारियों को परेशान करना कहां तक उचित है। एक तो वेतन नहीं दे रहे और ऊपर से महिला कर्मचारियों को ऐसी जगह तबाला कर रहे हैं, जिससे परेशान होकर वे नौकरी छोड़ दें। एक ऐसी कर्मी, जिनकी बेटी दसवीं में पढ़ रही है, उन्हें परेशान करने के लिए बॉर्डर के राज्य में तबादला कर दिया गया। इसकी जानकारी देकर यूनियन से मदद मांगी गई लेकिन यूनियन के नेता कान में तेल डाल कर सो रहे हैं।
खबर है कि यूएनआई प्रबंधन और यूनियन मिलकर इस बार कुछ नया करने की योजना बना रहे हैं। इस योजना में उनकी नजर कंपनी की कीमती जमीन पर भी है। शायद जमीन के विवाद के कारण ही यूएनआई का ये हाल हो रहा है। पिछली बार तो जैसे -तैसे प्रबंधन के मंसूबे फेल कर दिए गए थे। इस बार क्या हेागा, किसी को पता नहीं। कुछ पता चलेगा तो हम आप से शेयर करते रहेंगे क्योंकि यूएनआई को बचाना जरूरी है। हमारी समझ से आप सबको भी ऐसा ही लगता होगा।
मजीठिया मंच के फेसबुक वॉल से