अवैध खनन में पीलीभीत में दर्ज मुकदमों की सीबीआई जांच की मांग उठाई
मुख्यमंत्री के पंचम तल में विधायक के पत्र पर गृह सचिव से मांगी रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार में उन्हीं की पार्टी के कद्दावर नेता व विधायक को अपनी पुलिस पर भरोसा नहीं है। पीलीभीत पुलिस पर तो कतई नहीं, तभी तो वह मामला मुख्यमंत्री के पास तक ले गए और अवैध खनन के मामले में जनपद के विभिन्न थानों में दर्ज मुकदमों की विवेचना केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की फरियाद की है, जिसके बाद सीएम ने बीसलपुर के भाजपा विधायक के पत्र पर राज्य के गृह सचिव से रिपोर्ट मांगी है।
काबिले गौर है कि अवैध खनन के मामले में उत्तर प्रदेश के ही दर्जा राज्यमंत्री के भाई के विरुद्ध बीसलपुर कोतवाली में अभियोग दर्ज है।
विधायक रामसरन वर्मा ने 13 फरवरी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर उन्हें एक पत्र सौंपकर कहा कि जनपद पीलीभीत की तहसील बीसलपुर के अंतर्गत राजस्व गांव राजपुर कुण्डरी, कर्रखेड़ा, मलका रायपुर तथा खन्नौत, कटना, अमेड़ी व रपटुआ नदी के किनारे घाटों के आस पड़ोस सार्वजनिक स्थलों व कैलाश रजवाहा पर गांव धुंधरी से माधोपुर तक 3 किलोमीटर क्षेत्र में भारी मात्रा में रेत/ मिट्टी खनन हुआ है।
इसके अलावा तहसील अमरिया के राजस्व गांव खली नवादा तहसील सदर के राजस्व गांव मीरापुर एहतमाली में नदियों व नहरों से रेत/मिट्टी खनन अभी भी हो रहा है। यह सारा अवैध खनन करके उत्तर प्रदेश खनिज (परिहार) नियमावली 1963 की व्यवस्था के विपरीत अपराध किया गया है। जोकि खान एवं खनिज विकास का विनियमन अधिनियम 1957 की धारा 21, सार्वजनिक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 2 व 3 तथा भारतीय दंड विधान की धारा 379 के अंतर्गत गंभीर अपराध कारित किया गया है।
पत्र में विधायक का आरोप है कि संबंधित लेखपाल, खनन कर्मी, प्रधान, व्यवहारिक रूप से लिप्त लोगों को संरक्षण प्रदान करते हुए प्रशासन ने अभियोग संख्या- 0053/2020 थाना बीसलपुर, अभियोग संख्या 0054/2020 थाना बीसलपुर, अभियोग संख्या 0056/2020 थाना पीलीभीत सदर में पंजीकृत कराए। जबकि अनेकों अवैध खनन संबंधी प्रकरण पंजीकृत नहीं किए हैं। यह संरक्षण तथा प्रोत्साहन प्रत्यक्ष रुप से जिला प्रशासन का है। विलंब अथवा पूर्णतया अपेक्षित कार्रवाई ना होना संदिग्धता का द्योतक है।
विधायक का साफ-साफ आरोप है कि अवैध खनन में अत्यंत प्रभावशाली अधिकारी, राजस्व व खनन कर्मी, ग्राम प्रधान, खनन माफिया लिप्त हैं, इनके विरुद्ध भी अभियोग पंजीकृत होने चाहिए। पंजीकृत एवं अपंजीकृत अभियोग में उपयुक्त धाराएं भी आरोपित होनी चाहिए। जांच हेतु सीबीआई ही विश्वसनीय संस्था है अन्यथा सीबीसीआईडी अथवा वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों अभियंताओं व खनन विशेषज्ञों की सामूहिक उच्च समिति से परीक्षण/ विवेचना/ जांच अपेक्षित है। मुख्यमंत्री की ओर से उनके विदेश सचिव विशाख जी ने राज्य के अपर मुख्य सचिव गृह से रिपोर्ट मांगी है।
डीसीबी के चेयरमैन पर भी दर्ज है मुकदमा
पीलीभीत। अवैध खनन के मामले में बीसलपुर कोतवाली में लेखपाल नीरज की ओर से 5 फरवरी को अवैध खनन का जिन धर्मेंद्र प्रताप सिंह राठौर पर मुकदमा दर्ज किया गया है, वह शाहजहांपुर जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन है। बीसलपुर में उनकी फर्म मैसर्स अर्थ एंड स्पेस कांट्रैक्टर को खनन का ठेका मिला हुआ है। वह सूबे के कद्दावर भाजपा नेता व पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष जेपीएस राठौर के सगे भाई हैं। जेपीएस राठौर वर्तमान में दर्जा राज्यमंत्री प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष हैं।
सीओ की जांच रिपोर्ट में पुलिस महकमे ने किया किनारा
राज्य के गृह सचिव ने पीलीभीत के पुलिस अधीक्षक से विधायक रामसरन वर्मा के पत्र पर रिपोर्ट मांगी तो उन्होंने क्षेत्राधिकारी सदर को यह काम सौंप दिया। क्षेत्राधिकारी सदर ने 26 फरवरी को दी गई रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा कि अमरिया के भौनी गांव के नरेश कुमार को सिंचाई विभाग शारदा सागर खंड ने कैलाश रजवाहा पर गांव धुंधरी से माधोपुर तक 3 किलोमीटर क्षेत्र मैं सिल्ट सफाई का कार्य उनके निजी खर्च पर करने की अनुज्ञा जारी की है।
इसी के तहत नरेश कुमार ने सिल्ट सफाई का कार्य किया है। जांच रिपोर्ट में क्षेत्राधिकारी सदर ने कहा कि विस्तृत जांच व आवश्यक कार्यवाई कार्यालय जिलाधिकारी खनिज अनुभाग से किया जाना समाचीन होगा। पुलिस स्तर से कार्रवाई अपेक्षित नहीं है। प्रकरण का संबंध कार्यालय जिलाधिकारी अनुभाग पीलीभीत से है।
बरेली से वरिष्ठ पत्रकार निर्मलकांत शुक्ला की रिपोर्ट.