Yashwant Singh : गुरु, दिल्ली आते ही एक प्रयोग कर दिया मैंने. अपने गुरुवर और प्रिय कवि वीरेन डंगवाल को श्रद्धांजलि देने के लिए उनकी एक कविता का पाठ किया. इस सबको रिकार्ड कराया. ये पहला प्रयोग है. अगर आप लोग सराहेंगे तो आगे वीरेनदा समेत नए पुराने ढेरों कवियों की कविताओं का यूं ही पाठ करके उसका डिजिटलाइजेशन किया जाएगा और बड़े पाठक समूह तक पहुंचाया जाएगा. आप सभी मित्रों का फीडबैक चाहूंगा, इस वीडियो पर. https://goo.gl/sU1gbe
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह के उपरोक्त फेसबुकी स्टेटस पर आए कमेंट्स में से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं…
Narendra M Chaturvedi : अति सुन्दर और सराहनीय कदम…?
Avinash Singh Gautam : बहुत खूब भईया। प्रशंसनीय। बढ़े चलिये।
गुप्ता सेल्स राहुल गुप्ता : Suna अच्छा था। लेकिन हाथ में जो कोल्ड ड्रिंक था या सोमरस? समुंदर मंथन बाला। माफ़ी इस मजाक के लिए। लेकिन श्रधांजलि देने के लिए हाथ में वह नहीं होना चाहिए था। बस इतना ही कहना है। लेकिन पहल उम्दा है, और सार्थक भी। जो चले गए उनकी रचनाएं किताबों के साथ डिजिटल रूप में भी हो, भले ही उनकी आवाज में न सही, लेकिन उनके भाब और काशिस जरूर प्रस्तुत करने बाले की आवाज में आएगी।
Yashwant Singh : मैंने वीडियो में बोला है कि सुबह सुबह नीबू की चाय पीते हुए 🙂
Mukesh Yadav : डंगवालजी की कविता तो अपनी पसंदीदा है ही यशवंत विचार भी पसंद आया…अब हर रोज देखे सुनेंगे. शुभकामनाएं
Shambhu Nath Shuklla : सराहनीय
Yashpal Singh : फिर लीक से हट कर.जुदा जुदा
Yashwant L Choudhary : Condensor mic use karein, noise bahut jyada hai
Shambhu Dayal Vajpayee : सराहनीय प्रयोग।
कल्बे कबीर : अच्छा सार्थक प्रयोग।
Krishna Kant : बढ़िया है सर
Indu Karasi : Commendable effort try to do same for rest of other Poet also e.g. Kavi Dushyant, Neeraj etc
Palash Biswas : bahut sahi.ab bhadas jaldi se update bhi karo
Ashok Das : भइया शानदार प्रयोग है। लेकिन काला चश्मा नहीं रहता तो भावनाएं ज्यादा अच्छे से दर्शकों तक पहुंचती। वो आपके और हमारे बीच रुकावट डाल रही हैं।
Rahul Pandey : सानदार जबरजस्त जिंदाबाद
Arun Srivastava : मेरे भी गुरु थे और एक बेहद नेक इंसान ।
Shailesh Bharatwasi : अच्छा आइडिया है।
Gulab Singh : यशवंत जी आपको देखकर हौसला बढ जाता है।
Dev Gupta : पहली बात भईया आपकी फोटउना एकदम जानदार है। रही बात कविता पाठ की आपका अपना ही अंदाज है। जो बेहद खास है।
डॉ. अजित : ये मेरी भी प्रिय कविता है सर। आपका ये आईडिया दमदार है इसी बहाने हम भी सुना करेंगे। सादर
Jagmohan Shakaal : yashwant bhai subhkamnaye
Sanjay Sharma : Jabardast
Anuj Awasthi : Shandaar sir
Praveen Trivedi : बहुत मारू लग रहे हो लम्बरदार 🙂
Shivam Srivastava : इतने दुर्गम मत बन जाना
सम्भव ही रह जाय न तुम तक कोई राह बनाना
अपने ऊंचे सन्नाटे में सर धुनते रह गए
लेकिन किंचित भी जीवन का मर्म नहीं जाना
बहुत ही बढ़िया प्रयास Yashwant Singh भाई. बहुत ही उम्दा कविता है. पहली बार सुनी. आगे और का इंतज़ार है
Anil Kumar Singh : बहुत बढ़िया। जारी रहे।
Alok Paradkar : बढ़िया
Harish Tiwari : Adam Gondavi Ji ki kch kavitao ko digitalise kijiye…bhut Hi kam available hai..
Comments on “वीरेन दा की कविता ‘इतने भले न बन जाना साथी’ का यशवंत ने किया पाठ, देखिए वीडियो”
Wow.
Jama diya Yashwant ji.
Mumbai ki bhasha me bole to JHAKAAS.
This must continue. Muktiboth aur Dushyant ko bhi laiye.
सुंदर