Dayanand Pandey : जो लोग महंथ आदित्यनाथ को जानते हैं , वह जानते हैं कि नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में अपने लिए एक भस्मासुर चुन लिया है।
Nadim S. Akhter : उमा भारती से योगी आदित्यनाथ की तुलना ठीक नहीं। उमा जी बीजेपी की त्रिमूर्ति की प्रिय थीं, मंदिर आंदोलन से जुड़ी थीं और तब बीजेपी सत्ता में आने के लिए संघर्ष कर रही थी। उनका बीजेपी से रूठने-मनाने का दिल वाला रिश्ता है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने चरम पर आसीन आडवाणी जी का सार्वजनिक तिरस्कार किया, बीजेपी से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई, अपनी जिद में थका देने वाली पदयात्रा की, फिर पार्टी में लौटीं और आज केंद्र में मंत्री हैं।
योगी आदित्यनाथ दूसरी मिट्टी के बने हैं। उमा जी का युग और था, ये युग कुछ और है। और मुझे ये कहने में तनिक भी संकोच नहीं कि योगी आदित्यनाथ, अखिलेश यादव से अच्छा यूपी चला के दिखा देंगे। मुज़फ्फरनगर अखिलेश की सरपरस्ती में ही हुआ था और बाबरी मस्जिद कांग्रेसी नरसिम्हा राव के शासन में गिराई गई थी।
Yusuf Ansari : योगी आदित्यनाथ को यूपी का मुख्यमंत्री बनाया जाना चुनावी नतीजों के बाद दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण में कही गई बाते से मेल नहीं खाता। प्रधानमंत्री ने कहा था जब पेड़ फलदार हो जाता है तो वो झुक जाता है। अब भाजपा के नरम होने का वक्त आ गया है। लगता है कि 325 फूल खिलने के बाद पेड़ और तन कर खड़ा हो गया है। इसका दूसरा पहलू ये है कि मोदी ने दूर की कौड़ी चली है।
योगी अगर सत्ता से बाहर रहते तो अपने हिंदुत्व के एजेंडे को लेकर आए दिन बवाल मचा सकते थे। लिहाज़ा मोदी ने योगी को सत्ता की कमान देकर इस फायर ब्रांड नेता को संविधान और कानून के दायरे में बांध दिया है। मोदी ने योगी को “सबका साथ, सबका विकास” का अपना एजेंडा लागू करके दिखाने की बड़ी चुनौती दे दी है। देश का प्रधानमंत्री हो या प्रदेश का मुख्यमंत्री काम सभी को संविधान के दायरे में ही रह कर करना है। लिहाजा योगी के मुख्यमंत्री बनने पर किसी को डरना चाहिए।
अभी तो योगी को नेता चुना गया है। अभी तो शपथ होगी। सरकरी का एजेंडा सामने आएगा। तब कहीं जाकर पता चलेगा कि मोदी के चहेते योगी सचमुच विकास के रास्ते पर आगे बढ़ेंगे या फिर सांप्रदायिक ताक़ते विकास के चोले में छिप कर यूपी को ठीक उसी तरह विनाश के रास्ते पर ले जाएंगी जैसे तालिबानी सोच ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान को बर्बाद करके दिया है। आखिर मोदी जी ने खुद कहा है कि सरकार बनती भले ही बहुमत से हो लेकिन चलती सर्वमत से है। ये देखना दिलचस्प होगा कि प्रचंड बहुमत वाली इस सरकार के फायरब्रांड मुखिया सर्वमत कैसे बनाते है।
पत्रकार त्रयी दयानंद पांडेय, नदीम एस. अख्तर और युसूफ अंसारी की एफबी वॉल से.
rd
March 20, 2017 at 7:02 pm
To aapko kya Pareshani hai bhai sab…?