लखनऊ के ताज होटल में साधना प्लस चैनल की तरफ से आयोजित एक संगीतमय कार्यक्रम में एबीपी न्यूज लखनऊ के पत्रकार पंकज झा, नवभारत टाइम्स लखनऊ के पत्रकार मनीष श्रीवास्तव, पत्रकारिता शिक्षक डा. दिग्विजय सिंह राठौर समेत कई लोगों को सम्मानित किया गया है. साधना प्लस चैनल के हेड ब्रजमोहन सिंह ने इस आयोजन में चीफ गेस्ट के रूप में यूपी सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव को बुलाया था. सारे सम्मान शिवपाल यादव के हाथों दिलाए गए. कार्यक्रम का आकर्षण जानी मानी गायिका अलका याज्ञनिका का लाइव संगीत शो था.
उन्होंने अपने गाए कई मशहूर फिल्मी गानों पर दर्शकों श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया. पुरस्कार सम्मान के दौरान पत्रकारिता, स्वास्थ्य, शिक्षा समेत विभिन्न क्षेत्रों के दर्जनों लोगों को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए दिल्ली से वरिष्ठ पत्रकार प्रसून शुक्ला, यशवंत सिंह समेत दर्जन भर से ज्यादा लोग आए थे. लखनऊ के पत्रकार हेमंत तिवारी को भी सम्मानित किया गया. आयोजन में आकर्षण का केंद्र अभिनेत्री नेहा धूपिया और अमीषा पटेल रहीं. इन दोनों ने लखनऊ और उत्तर प्रदेश से अपने लगाव के बारे में विस्तार से बताया.
कार्यक्रम के आयोजक साधना प्लस चैनल के हेड ब्रजमोहन सिंह ने अपने सफल संचालन के दौरान बार बार इस बात की तरफ इशारा किया कि सपा की अंदरुनी राजनीति में अब दोनों नावों (अखिलेश और शिवपाल) पर एक साथ चलने वाले भविष्य में एक्सपोज होंगे. अब वक्त आ गया है कि लोग अपनी अपनी नाव चुने. ब्रजमोहन ने आशा व्यक्त की कि शिवपाल का सरल और सहज व्यक्तित्व उन्हें लगातार लोकप्रिय बनाए रखेगा और आगे आने वाले दिनों में वह उत्तर प्रदेश का नेतृत्व करेंगे. आयोजन में आचार्य प्रमोद कृष्णन भी मौजूद थे. उन्होंने मंच से अपनी आवाज में स्वरचित सूफी गीत का गायन करके सबका दिल जीत लिया.
प्रमोद कृष्णन ने शिवपाल के जमीनी और सरल व्यक्तित्व की प्रशंसा की. इसके पहले कार्यक्रम के आयोजक ब्रजमोहन और कैबिनेट मंत्री शिवपाल ने दिल्ली से आए प्रसून, यशवंत आदि का बुके देकर स्वागत किया. यशवंत ने अपने संबोधन में शिवपाल द्वारा कौमी एकता दल के सपा में विलय कराने के फैसले की तारीफ करते हुए कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में कौमी एकता दल के साथ बेहद गरीब मुसलमान और हिंदू जुड़े हुए हैं. जुलाहा, अंसारी, मुसहर आदि जातियों का वोट अगर कौएद के माध्यम से सपा में चला आता तो आगामी चुनाव में सपा की नैया पूर्वांचल में पार हो जाती लेकिन मीडिया ने एक निहित स्वार्थी एजेंडे के तहत अपराधीकरण के मामले को बेवजह तूल दिया और इसके झांसे में अखिलेश आ गए जिसके चलते इस विलय को रद्द कर दिया गया.
कौएद के विलय के दौरान शिवपाल ने स्पष्ट कर दिया था कि अपराधी मुख्तार अंसारी को पार्टी में शामिल नहीं किया गया है. इससे साफ है कि कौएद का विलय राजनीतिक विलय था जिससे सपा की ताकत बढ़ रही थी. इस बढ़ती ताकत से परेशान विपक्षी दलों और मीडिया ने अखिलेश को टारगेट किया और अखिलेश इनके झांसे में आते हुए विलय को रद्द कर बैठे. अगर आने वाले दिनों में फिर विलय होता है, जैसी कि सुगबुगाहट है तो यह सपा के हित में होगा. यशवंत ने मीडिया के निहित स्वार्थी एजेंडे से सतर्क रहने की सलाह देते हुए कहा कि जो कुछ दिखाया या छापा जा रहा है, उस पर भरोसा करने से पहले उसके दूसरे पक्ष को सोशल मीडिया, न्यू मीडिया, वेब, ब्लाग आदि के जरिए पता कर लेना चाहिए ताकि संपूर्ण राय बना सकें.