हिमाचल में जो सब हुआ आज वही लीड है, दूसरी खबरें दब गईं
संजय कुमार सिंह
आज के मेरे सभी अखबारों में हिमाचल प्रदेश की खबर लीड है। शीर्षक से इसे कांग्रेस का आंतरिक मामला बताने की कोशिश की गई है और कोई भी शीर्षक ऐसा नहीं है कि तोड़-फोड़ की इस कोशिश में भाजपा का हाथ दिखे या उसके शामिल होने की शंकाओं की पुष्टि हो या उसे मजबूती मिले। यह है हेडलाइन मैनेजमेंट। राज्यसभा चुनाव में पार्टी लाइन से हटकर मतदान कराने की कोशिश अनैतिक है और कायदे से ऐसा होना ही नहीं चाहिए। इसे प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिये और जो ऐसा करे उसे हतोत्साहित किया जाना चाहिये। यह सब करने (या नहीं कर पाने पर शांत रहने) की बजाय हिमाचल प्रदेश की सरकार गिराने की भी कोशिश की गई। और सरकार भले नहीं गिरी हेडलाइन मैनेजमेंट तो हुआ ही है। आज ज्यादातर अखबारों में हिमाचल प्रदेश की खबरें लीड हैं अगर हिमाचल में जो हुआ वह नहीं होता तो आज जो खबरें हैं उनमें से कोई दूसरी खबर लीड बनती।
आज की कुछ प्रमुख खबरें इस प्रकार हैं, 1. गुजरात तट के पास ड्रग्स की सबसे बड़ी खेप पकड़ी। कहने की जरूरत नहीं है कि यह बड़ा मामला है। पंजाब और पंजाब के युवकों को नशे की गिरफ्त में बताया जाता है लेकिन नशे की खेप आती और पकड़ी गुजरात में जाती है। फिर उसका पुलवामा हो जाता है। पता ही नहीं चलता कि किसने किसके लिये कहां से मांगाया है। टन के मामले मे तो यह हाल है पर ग्राम के मामले में मीडिया का हंगामा और सरकार की कार्रवाई आप देख चुके हैं। ऐसे में मौजूदा खेप 3300 किलो और 2000 करोड़ रुपये की बताई गई है। इसकी बरामदगी गुजरात के पास होने के अपने मायने हैं और समझने वाले समझ जायेंगे। इसीलिए इस खबर के साथ खबर छपी और छपवाई गई है, नशामुक्त भारत बनाने की प्रतिबद्धता का परिणाम है। यह दावा और प्रचार है वरना सच यही है कि पकड़ा गया मतलाब आ रहा था और आ रहा था क्योंकि मांग है और मांग है क्योंकि खपत है। उसे रोकने के लिए 10 साल में क्या हुआ है?
खुदरा स्तर पर नशे का सेवन रोकने रोकने की कोशिश में आर्यन खान को गिरफ्तार किया गया था। जिसके बारे में कहा गया (और संकेत भी थे) कि वसूली की कोशिश थी। उसपर कोई स्पष्टीकरण नहीं है। मीडिया को कोई चिन्ता नहीं है। वह सरकारी प्रचार में लगा है और उसमें पतंजलि जैसे ब्रांड जो करते हैं उसके लिए सुप्रीम कोर्ट में कार्रवाई होती है पर खबर को वो प्रमुखता नहीं मिलती है जो कुछ ग्राम ड्रग की बरामदगी पर मिलती है। दूसरी प्रमुख खबर मणिपुर में अब तक 219 मरे, 800 करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका की है। मणिपुर का मामला आप जानते हैं, उससे संबंधित खबरों को भी। नहीं जानते हैं तो तथ्य यह है कि मई से वहां हिंसा चल रही है। मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कल राज्य विधानमंडल को बताया कि पिछले साल मई से पूर्वोत्तर राज्य में हुई जातीय हिंसा में अब तक 219 लोग मारे गए हैं, इससे सरकारी खजाने को लगभग ₹800 करोड़ का नुकसान हुआ है। यह जातीय समूहों के बीच झड़पों में मरने वालों की संख्या पर पहली आधिकारिक समेकित संख्या है।
इसमें मारे गये लोगों और उनके परिवार को हुए नुकसान और संपत्ति का आंकड़ा शामिल नहीं ही होगा। जो चर्च जलाये गये उनकी गिनती नहीं है आदि। फिर भी यह आधिकारिक खबर है पर मेरे एक ही अखबार हिन्दुस्तान टाइम्स में पहले पन्ने पर है। यहां भी मणिपुर की यह खबर गुवाहाटी डेटलाइन से हैं। मणिपुर की राजधानी से नहीं। इतना ही नहीं, द हिन्दू की खबर के अनुसार मणिपुर पुलिस ने वहां की हिंसा से संबंधित एक समूह की इकाई के खिलाफ प्रदर्शन किया। उसकी खबर भी दूसरे कई अखबारों में नहीं है। अपने प्रदर्शऩ के तहत पुलिस वालों ने हथियार डाल दिये। वे एक पुलिस अधिकारी के अपहरण का विरोध कर रहे थे। राज्य की यह हालत दिल्ली में पहले पन्ने की खबर नहीं है और चुनाव के समय कांग्रेस को कमजोर दिखाने वाली खबरों का मकसद समझना मुश्किल नहीं है। बेशक यह सब करना या इसमें शामिल होना पत्रकारिता नहीं है। पर यह सब तथ्य है।
इसके बावजूद प्रधानमंत्री ने कहा है और यह आज की तीसरी बड़ी खबर है 3) देश को बांटने में लगी है कांग्रेस डीएमके। आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री अभी तक मणिपुर नहीं गये हैं, वहां की सरकार हिंसा रोकने में नाकाम रही है। सरकार के खिलाफ कार्रवाई तो छोड़िये, हिंसा रोकने की अपील भी सरकार, प्रधानमंत्री या उनकी पार्टी की ओर से नहीं की गई है। यहां मेरा मतलब ऐसी अपील और कोशिश से है जो हिंसा रोकने के प्रयास में की गई लगती। राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा कर चुके हैं। उसकी खबरें कम छपती थीं पर अब वे कांग्रेस पर देश तोड़ने का आरोप लगा रहे हैं। अखबार प्रमुखता से छाप रहे हैं।
जाने को प्रधनमंत्री कश्मीर भी नहीं गये हैं और अब वहां जाएंगे, जैसी खबर का शीर्षक है, अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद पहली बार जायेंगे। इन और आज की दूसरी खबरों से लग रहा है कि सरकार अनैतिक रूप से अपने राज्यसभा उम्मीदवारों को जितवाने की कोशिश करे या उसमें कामयाब रहने से निर्वाचित सरकार को गिराने की कोशिश करे हेडलाइन मैनेजमेंट का काम साथ-साथ होता ही है। इसमें कांग्रेस को बदनाम करना और अपनी बदनामी कम करने की रणनीति होती है जिसे अच्छी कामयाबी मिल रही है। कहने की जरूरत नहीं है कि किसी भी निर्वाचित सरकार को जो काम वह कर रही है उसे स्वतंत्रतापूर्वक करने देना चाहिये और जनता की नजर में अच्छी होगी तो फिर चुनी जाएगी या जनता हरा देगी। अगर विपक्ष को उसकी आलोचना करनी है तो चुनाव के पहले इसका समय मिलता ही है। लेकिन भाजपा ऐसी राजनीति नहीं करती वह हमेशा चुनाव मोड में रहती है और इसीलिए प्रधानमंत्री ने कहा है और अमर उजाला ने लीड के बराबर में टॉप पर तीन कॉलम में छापा है। इसका शीर्षक है, तमिलनाडु सरकार के विज्ञापन में चीनी रॉकेट, पीएम बोले – डीएमके को देश की तरक्की पसंद नहीं। अमर उजाला में मणिपुर की खबर पहले पन्ने पर नहीं है।
प्रियंका गांधी का ट्वीट
हिमाचल में जो हुआ उसपर प्रियंका गांधी का एक ट्वीट भी है। इसमें उन्होंने कहा है, “लोकतंत्र में आम जनता को अपनी पसंद की सरकार चुनने का अधिकार है। हिमाचल की जनता ने अपने इसी अधिकार का इस्तेमाल किया और स्पष्ट बहुमत से कांग्रेस की सरकार बनाई। लेकिन भाजपा धनबल, एजेंसियों की ताकत और केंद्र की सत्ता का दुरुपयोग करके हिमाचल वासियों के इस अधिकार को कुचलना चाहती है। इस मक़सद के लिए जिस तरह भाजपा सरकारी सुरक्षा और मशीनरी का इस्तेमाल कर रही है, वह देश के इतिहास में अभूतपूर्व है। 25 विधायकों वाली पार्टी यदि 43 विधायकों के बहुमत को चुनौती दे रही है, तो इसका मतलब साफ है कि वो प्रतिनिधियों के खरीद-फरोख्त पर निर्भर है। इनका यह रवैया अनैतिक और असंवैधानिक है। हिमाचल और देश की जनता सब देख रही है। जो भाजपा प्राकृतिक आपदा के समय प्रदेशवासियों के साथ खड़ी नहीं हुई, अब प्रदेश को राजनीतिक आपदा में धकेलना चाहती है।“कहने की जरूरत नहीं है कि यह कांग्रेस का पक्ष होने के साथ-साथ हिमाचल में जो हुआ उसका जवाब भी है। लेकिन अखबारों ने इसे महत्व नहीं दिया है।
एक देश एक चुनाव
सरकार का नया फितूर है। ऐसी कोशिशों और काम के साथ मीडिया का बड़ा हिस्सा लगा हुआ है। उसकी कोशिश रहती है कि चुनाव में सरकार को लाभ वाली खबरें छपें लेकिन इंडिया गठबंधन के फायदे की खबर नहीं छपे। इसी तरह भाजपा के फायदे की खबरें तो छपें पर नुकसान कम से कम हो। इसके सारे उपाय किये जाते हैं और वह दिखता भी है। उदाहरण के लिए आज इंडियन एक्सप्रेस में एक देश एक चुनाव से संबंधित एक्सक्लूसिव खबर है और सरकार की यह तैयारी इस तथ्य के बावजूद है कि वह चुनी हुई सरकार को गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ती या कोई मौका नहीं चूकती। यह जनादेश का अपमान है और पार्टी पर इसकी कोशिश का आरोप न लगे इसलिए हिमाचल प्रदेश में जो हुआ उसके लिए अदाणी समूह को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की जा रही है ताकि भाजपा को इस पाप से पाक-साफ दिखाया जा से। यह अलग बात है कि अदाणी और सरकार में खास फर्क नहीं है और इस तरह भाजपा मजबूत है जबकि कांग्रेस तो अपने विधायक को भी जोड़कर साथ नहीं रख पा रही है। यह प्रचार भी हो रहा है। कुल मिलाकर मीडिया जिस तरह सरकार का साथ दे रहा है उसमें लगता है कि भाजपा पर प्रतिबंध जरूरी है।