सहारा समूह प्रमुख सुब्रत राय 28 फरवरी को अदालत में पेश होने से पहले रास्ते में ही बकायदारों की अदालत में घिर सकते हैं। खबर है कि अपने बकाया वेतन के लिए संघर्ष कर रहे सहारा के कर्मचारियों ने अदालत में दाखिल होने से पहले ही सहारा श्री को घेर कर तकाजा करने की योजना बनाई है। बताया जाता है कि पीड़ित कर्मचारी एकजुट होकर अदालत परिसर में ही इनसे संवाद स्थापित करने की कोशिश करेंगे और अपनी बकाया राशि का भुगतान करवाने की गुहार लगायेंगे।
गौरतलब है कि सहारा समूह के हजारों कर्मचारी बकाया वेतन के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। इसमें जो नौकरी में बरकरार हैं उन्हें कभी-कभी आधा अधूरा वेतन मिल जाता है, फिर भी ये नौकरी बचाये रखने के लिए खुल कर विरोध नहीं कर पाते। तनख्वाह ना मिलने के कारण जो नौकरी छोड़कर दूसरी कंपनी में नौकरी ज्वॉइन कर चुके हैं या सहारा से निकाले जाने के बाद जो बेरोजगार हैं, ऐसे एक्स सहार मुलाजिमों की बहुत बड़ी तादाद है। ऐसे हजारों लोग लाखों रूपये के बकाया वेतन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। निकाले जाने या तनख्वाह ना मिलने के कारण सहारा छोड़ देने वालों की तनख्वाह के अलावा इनका पीएफ भी नहीं दिया गया। ऐसे तमाम परेशान हाल लोगों ने आत्महत्या कर ली।
इनके परिजनों का आरोप है कि उनकी मेहनत की कमाई की लाखों रूपये की बकाया राशि ना मिलने से आर्थिक संकट से परेशान होकर भुक्तभोगियों ने आत्महत्या की। आर्थिक प्रताड़ना में मौत के मुंह में भेजने पर मजबूर करने के आरोप लगने के बाद भी इस संस्थान के कान पर जूं नहीं रेंगी। आर्थिक तंगी से परेशान कर्मचारी लगातार अपने हक की बकाया राशि के लिए संघर्ष कर रहे हैं। किंतु सहारा समूह ना तो तनख्वाह की रकम दे रहा है और ना ही इनसे बात करने को तैयार है। भुक्तभोगियों को आश्वासन तक नहीं दिया जा रहा है। समूह के प्रबंधनतंत्र/ एच आर/ एकाउंट सेक्शन से लेकर सहारा के बड़े अधिकारियों के चक्कर काटते- काटते थक चुके कर्मचारियों ने सहारा श्री सुब्रत राय से मिलने की खूब कोशिशें की लेकिन सफलता नहीं मिली। सहारा समूह प्रमुख सुब्रत राय से मिलने का कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा था। इस दौरान ये खबर आयी कि अदालत ने इस बार सुब्रत राॅय के वकीलों का आग्रह ना सुनकर स्वयं उन्हें हाजिर होने का हुक्म सुना दिया। बस यहीं पीड़ित कर्मचारियों को उनसे मिलने का रास्ता दिखायी दिया।
तनख्वाह और पीएफ के लिए परेशान कुछ कर्मचारियों ने बताया कि तमाम कर्मचारियों ने एकजुट होकर एक योजना बनायी है। 28 फरवरी को नयी दिल्ली के सुप्रीम कोर्ट में जब सहारा श्री कोर्ट में दाखिल होने जायेंगे तब कर्मचारी न्यायालय परिसर में उन्हे घेर कर अपने बकाया वेतन की गुहार करेंगे।
जाहिर सी बात है कि इस तरह एक तीर से दो निशाने लगेंगे। पहला तो ये कि बकायदार सुब्रत राय से सीधा संवाद कर तकाजा कर सकेंगे, दूसरा ये कि अदालत तक ये संदेश जायेगा कि वो अदालत के सामने जिस वित्तीय अनियमितताओं की बेगुनाही पेश करने आये हैं, बकाया राशि को चुकाने की दलीलें देने पेश हुए हैं उन दलीलों और दावों की धज्जियां अदालत की चौखट के बाहर उड़ गयीं। क्योंकि अदालत के बाहर ही बकायदार तकाजे के लिए उन्हें घेरने पर मजबूर हो गये।
बताते चलें कि उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय को निर्देश दिया कि वह सेबी-सहारा मामले में निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए 25,700 करोड़ रुपये जमा नहीं करने के मामले में 28 फरवरी को उसके समक्ष पेश हों। शीर्ष अदालत ने कहा उसके अंतिम आदेश में सहारा को राशि का बंदोबस्त करने के लिए छह महीने का समय दिया गया था। लेकिन इस अवधि में जो कुछ हुआ, उससे अदालत का भरोसा मजबूत नहीं होता। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि समूह ने केवल 15 हजार करोड़ रुपये जमा किये हैं।पीठ में न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति एसके कौल भी हैं।
पीठ ने रॉय और अन्य निदेशकों को पिछले आदेशों का पालन करने के लिए और समय देने से मना कर दिया। पीठ ने कहा कि उसने मामले पर आगे बढ़ने का फैसला किया है ताकि कानून अपना काम करे. पीठ ने रॉय और अन्य निदेशकों से अगली सुनवाई की तारीख पर निजी तौर पर पेश होने का निर्देश दिया। अब देखना ये है कि अदालत में पेश होने से पहले यदि सहारा प्रमुख बकायदार कर्मचारियों के बीच घिर जाते हैं तो इसका क्या नतीजा सामने आयेगा। क्या सुब्रत राॅय बकायदार कर्मचारियों का भुगतान करने का आश्वासन देते हैं ! या फिर विशेष सुरक्षा के कारण कर्मचारी उनसे मिलने में नाकाम हो जाते हैं ! या फिर 28 फरवरी से पहले इन बकायदारों को बकाया राशि का कुछ अंश या आश्वासन देकर शांत कर दिया जाता है !!
-नवेद शिकोह, लखनऊ
8090180256