सुप्रीम कोर्ट ने एक माह में डायरेक्टर्स को पैसा लौटाने का निर्देश दिया… आम्रपाली ने जेपी मॉर्गन, धोनी और फ़र्ज़ी कंपनियों में किया खरीदारों का पैसा डायवर्ट
उच्चतम न्यायालय ने आम्रपाली समूह की फॉरेंसिक ऑडिटर्स की रिपोर्ट और इसमें सामने आयी धोखाधड़ी से प्रथमदृष्टया फेमा के उल्लघन एवं अन्य धोखाधड़ीपूर्ण गतिविधियों, मनी लॉन्ड्रिंग के संकेत मिलने पर प्रवर्तन निदेशालय और संबंधित अधिकारियों को ऐसे उल्लंघन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की जांच करने और दायित्व तय करने का निर्देश दिया है।उच्चतम न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय से कोर्ट के समक्ष प्रगति रिपोर्ट और पुलिस की अब तक की गई जांच की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए हैं।
दरअसल आम्रपाली समूह ने अमेरिकी कंपनी जेपी मॉर्गन की भारतीय इकाई सहित भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी साक्षी धोनी की कंपनियों और दर्जनों फ़र्ज़ी कंपनियों में घर खरीदारों का पैसा डायवर्ट कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने अपने मंगलवार को दिए गए फैसले के छठवें निर्देश में कहा है कि अब इसकी ईडी जांच होगी।270 पृष्ठों के फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि तमाम कंपनियों के डायरेक्टर्स जिनके पास भी फॉरेंसिक ऑडिटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक होम बॉयर्स के पैसे हैं, वे एक महीने में वापस करें, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।
आम्रपाली और रिति स्पोर्ट्स के बीच हुए करार को फॉरेंसिक ऑडिटर्सकी रिपोर्ट ने अवैध बताया है । 20 मार्च 2015 को स्पॉन्सरशिप करार के तहत आम्रपाली ग्रुप को आईपीएल 2015 के लिए चेन्नै सुपर किंग्स के लोगो स्पेस के विज्ञापन का अधिकार मिला। इसके लिए करार सादे कागज पर था ।आम्रपाली केस में साढ़े 6 करोड़ रुपये के अवैध डायवर्जन का मामला सामने आया है। फॉरेंसिक ऑडिटर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस ग्रुप ने रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को 6 करोड़ 52 लाख रुपये दिए, जो अवैध डायवर्जन था। यह पैसा घर खरीदारों का था, जिसे वसूल किया जाना चाहिए।इसके लिए आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी अनिल कुमार शर्मा ने बिना किसी आधिकारिक प्रस्ताव के रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड से करार किए। करार के तहत आम्रपाली की शर्त यह थी कि रिति स्पोर्ट्स कंपनी क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को ग्रुप के लिए तीन दिन के लिए उपलब्ध कराए। गौरतलब है कि धोनी आम्रपाली ग्रुप के ब्रैंड ऐंबेसडर रह चुके हैं।
फॉरेंसिक ऑडिटर्स की रिपोर्ट में बताया गया कि 2009 से लेकर 2015 के बीच 6.52 करोड़ रुपये रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को आम्रपाली ग्रुप के आम्रपाली शफायर डिवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने दिया था। यह रकम एक करार के तहत दी गई थी। इसके लिए आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी अनिल शर्मा और रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने करार किए थे। हालांकि इसके लिए कोई प्रस्ताव पारित नहीं था, लेकिन आम्रपाली ग्रुप की ओर से सीएमडी ने करार किए।24 नवंबर 2009 को हुए करार में लिखा हुआ था कि क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी रिति स्पोर्ट्स के रिप्रजेंटेटिव के साथ आम्रपाली ग्रुप के सीएमडी के लिए उपलब्ध होंगे।
20 मार्च 2015 को स्पॉन्सरशिप करार के तहत आम्रपाली ग्रुप को आईपीएल 2015 के लिए चेन्नै सुपर किंग्स के लोगो स्पेस के विज्ञापन का अधिकार मिला। इसके लिए करार सादे कागज पर था और यह करार सिर्फ आम्रपाली ग्रुप और रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के बीच था। इस ऐग्रिमेंट में चेन्नै सुपर किंग्स की तरफ से किसी भी रिप्रजेंटेटिव का साइन नहीं था।रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड के फेवर में कोई प्रस्ताव नहीं था कि वह ऐग्रिमेंट करेंगे। रिपोर्ट में कहा गया कि तमाम करार रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को पेमेंट करने के इरादे से किए गए थे। करार दिखावटी था। फॉरेंसिक ऑडिटर्स का कहना था कि उनके समझ से ये पैसा होम बॉयर्स का था, जिसे अवैध तरीके से डायवर्ट किया गया। उसे रिकवर किया जाना चाहिए क्योंकि ऐग्रिमेंट कानून संगत नहीं था।
छह खंडों की फॉरेंसिक ऑडिटर्स की रिपोर्ट में कहा गया कि आम्रपाली के प्रमोटरों ने रीति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्रा. लि. और आम्रपाली माही डेवलपर्स प्रा. लि. के साथ एक फर्जी समझौता किया। धोनी के प्रशंसक उन्हें माही के नाम से भी जानते हैं। रीति में धोनी के पास बहुमत हिस्सेदारी है जबकि उनकी पत्नी साक्षी आम्रपाली माही डेवलपर्स प्रा. लि. की डायरेक्टर हैं। संयोगवश, धोनी अप्रैल 2016 तक आम्रपाली ग्रुप के ब्रांड एम्बेसडर थे। फ्लैट के लिए भटक रहे हजारों खरीदारों के विरोध के चलते उन्हें आम्रपाली से अलग होना पड़ा।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी साक्षी धोनी को नकद में शेयर पूंजी प्राप्त हुई और सभी खर्चों का भुगतान नकद में किया गया। फॉरेंसिक ऑडिटर्स की रिपोर्ट में कहा गया कि हमें मौखिक रूप से सूचित किया जाता है कि इस कंपनी को रांची में एक परियोजना के विकास के लिए शामिल किया गया था। पार्टियों के बीच एक एमओयू भी दर्ज किया गया था, हालांकि हमें उसकी प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार आम्रपाली मीडिया विजन प्राइवेट लिमिटेड को फिल्में बनाने के लिए फंड दिया गया है। डायवर्ट करने के लिए बनाया गया था। पेशेवर शुल्क और विज्ञापन खर्च आदि के लिए रिति स्पोर्ट्स मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को 24 करोड़ रुपये भुगतान किया गया।रिपोर्ट के अनुसाररिति ग्रुप को आम्रपाली की तरफ से 2009 से 2015 के बीच 42.22 करोड़ रुपये भुगतान किया गया। इसके अलावा आम्रपाली ग्रुप की अन्य कंपनी से रहिति को 6.52 करोड़ रुपये भुगतान किया है। ये स्पष्ट नहीं है कि रिति को इतने पैसे क्यों दिए गए।
आम्रपाली मामले में जेपी मॉर्गन कंपनी ने फेमा कानूनों का उल्लंघन करते हुए मुनाफे के बगैर डिविडेंड दे दिया। इसके अलावा इसने कई सारी फर्जी कंपनियां बनाने में आम्रपाली समूह की मदद की और शेयरों की कीमत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया। कंपनी ने 2010 में आम्रपाली जोडिएक में उसके शेयरों की खरीद के जरिये 85 करोड़ रुपये का निवेश किया था। बाद में इन शेयरों को रीयल्टी कंपनी की सहायक कंपनियों और ऑफिस में कार्यरत चपरासी व ऑडिटर के भतीजे को 140 करोड़ रुपये में बेच दिया था। फॉरेंसिक ऑडिटरों ने कहा कि जेपी मॉर्गन रीयल एस्टेट फंड और आम्रपाली समूह के बीच शेयर खरीद करार कानून के प्रावधानों का उल्लंघन था। इस पर पीठ ने जेपी मॉर्गन और उसके भारतीय प्रभारी के वकील से कहा कि कंपनी को कई चीजें स्पष्ट करने की जरूरत है। अब गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) इस मामले को देखेगा।
इसबीच प्रवर्तन निदेशालय ने कर्ज में फंसी रीयल एस्टेट कंपनी आम्रपाली समूह तथा उसके प्रवर्तकों के खिलाफ मनी लौंड्रिंग (धनशोधन) का आपराधिक मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। कंपनी कथित तौर पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में 40 हजार से अधिक मकान खरीदारों को फ्लैट देने में असफल रही है। ईडी के लखनऊ कार्यालय ने नोएडा पुलिस के समक्ष कंपनी के खिलाफ कम से कम 16 प्राथमिकी दर्ज होने का संज्ञान लेते हुए इस महीने की शुरुआत में धन शोधन रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने कहा कि ईडी कंपनी के प्रवर्तकों से पूछताछ करने तथा धन शोधन संबंधी कानून का उल्लंघन करने को लेकर जब्त किये जाने योग्य संपत्तियों की पहचान करने पर विचार कर रही है।
वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार जेपी सिंह की रिपोर्ट.
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