नयी दिल्ली : समझा जाता है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक निजी गुजराती चैनल को नोटिस जारी कर एक ‘नेता’ से जुड़ी कुछ टिप्पणियों को साफ करने के लिए कहा जो उसके अनुसार नियमों का उल्लंघन करते प्रतीत होते हैं। मंत्रालय ने इस साल फरवरी में गुजराती टीवी चैनल जीएसटीवी को नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया है कि 30 जनवरी को प्रसारित एक समाचार कार्यक्रम में नाथूराम गोडसे के महिमा मंडन और उसके नाम से एक मंदिर के निर्माण से जुड़ी खबर को लेकर चैनल ने टिप्पणी की थी।
मंत्रालय ने नोटिस में कहा कि चैनल ने एक नेता पर यह कहते हुए सवाल उठाया कि वह अलग अलग मंचों पर महात्मा गांधी की प्रशंसा करते हैं लेकिन गोडसे के महिमा मंडन की कोशिश करने वाले लोगों के खिलाफ कभी भी कार्रवाई का संकेत नहीं देते। नोटिस के अनुसार समझा जाता है कि चैनल ने कहा कि उस नेता ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरूआत की और सवाल किया कि वह गांधीवादी विचारधारा में विश्वास करते हैं या नहीं।
नोटिस में कहा गया कि चैनल ने महात्मा गांधी और नेता की जीवनशैली में तुलना करते हुए कहा कि गांधी ने हमेशा सादा जीवन जीया जबकि वह नौ लाख रपए का सूट पहनते हैं और महंगी कारों में घूमते हैं। नोटिस में कहा गया कि जहां चैनल को किसी नेता के आचरण पर सवाल करने का पूरा हक है, उसने जिस तरह से एक खास समाचार कार्यक्रम में उसकी आलोचना की वह जानबूझकर उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने की कोशिश लगती है जोकि उस नेता के प्रतिष्ठित पद के लिए असंगत है। मामले पर इस समय मंत्रालय द्वारा गठित अंतर मंत्रीस्तरीय समिति (आईएमसी) विचार कर रही है।
इस तरह से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने एक गुजराती टीवी न्यूज चैनल को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। मंत्रालय का मानना है कि चैनल ने एक ‘सम्मानित पद’ पर बैठे एक नेता के बारे में आपत्तिजनक कार्यक्रम दिखाया था। नोटिस में कहा गया है, चैनल को किसी नेता के व्यवहार पर सवाल उठाने का हक तो है, लेकिन जिस तरह उसने न्यूज आइटम में उनकी आलोचना की है, उससे लगता है कि उनकी प्रतिष्ठा पर दाग लगाने के लिए जानबूझकर ऐसा किया गया।
दरअसल, चैनल ने महात्मा गांधी की 67वीं पुण्यतिथि पर गांधी हत्या कोनी जवाबदारी (गांधी की हत्या के लिए कौन है जवाबदेह) कार्यक्रम दिखाया गया था, जिसमें गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाने की कुछ कट्टरपंथी हिंदू संगठनों की कोशिशों की निंदा की गई थी और साथ ही गोडसे से जुड़ी ऐसी हरकतों पर लगाम न कसने के लिए सरकार की निंदा करते हुए यूज शो में किसी का नाम लिए बगैर कहा गया था कि महंगे सूट पहनकर या हवा में झाड़ू लहराकर गांधी के सिद्धांतों पर नहीं चला जा सकता है।
2 फरवरी को जारी नोटिस में कहा गया है, चैनल ने यह कहते हुए एक पॉलिटिकल लीडर पर सवाल उठाए हैं कि वह तमाम मंचों पर महात्मा गांधी की प्रशंसा तो करते हैं, लेकिन गोडसे को महिमामंडित करने वालों पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं करते हैं। हालांकि, चैनल ने अपने जवाब में प्रोग्राम कोड का उल्लंघन करने से इंकार किया और कहा कि नोटिस में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को पूरी तरह नजरंदाज कर दिया गया।