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नेशनल दुनिया में चौदह लोगों की नौकरी खाने वाला नहीं बन सका सम्पादक
नोएडा । नेशनल दुनिया का सम्पादक बनने की हसरत रखने वाले संतशरण अवस्थी को उस समय जबरदस्त झटका लगा जब प्रबंध तंत्र ने इन्हें सम्पादक बनाने से साफ मना कर दिया। अभी हाल में नेशनल दुनिया से निकाले गये 14 कर्मियों के पेट पर लात मारने के पीछे इसी आदमी का हाथ माना जा रहा है। दरअसल नवंबर में वेतन समय पर न मिलने के कारण इन चौदह लोगों ने नोएडा में काम रोक दिया था। मैनेजमेंट की तरफ से इसने हड़ताली कर्मचारियों को यह आश्वासन दे किया कि अब समय पर वेतन मिला करेगा। इस आश्वासन के बाद सभी लोग काम पर वापस लौट आये और काम सुचारू रूप से शुरू हो गया। इसके बाद समाचार कोआर्डिनेटर संतशरण अवस्थी ने मैनेजमैंट पर अपना प्रभाव जमाने के लिए 14 कर्मियों पर अराजकता फैलाने और अनुशासन हीनता का आरोप लगाकर उन्हें नेशनल दुनिया से बाहर का रास्ता दिखवा दिया।
अखबार की प्रिंट लाइन पर इस समय बलदेव भाई शर्मा का नाम वरिष्ठ स्थानीय सम्पादक के रूप में चल रहा है। जबसे वह बुक ट्रस्ट आफ इंडिया के चेयरमैन बने हैं, उन्होंने अपनी उपस्थिति कार्यालय में न के बराबर कर ली है। इसीका फायदा उठाकर संतशरण अवसथी ने मैनेजमेंट को खुश करने के लिए पहले तो 14 लोगों को बाहर का रास्ता दिखाया। उसके बाद 27 नवम्बर को नेशनल दुनिया के चेयरमैन शैलेंद्र भदौरिया के सामने बलदेव भाई शर्मा के स्थान पर सम्पादक बनने की पेशकश कर दी। इस पर भदौरिया ने मना कर दिया। चर्चा है कि संतशरण अवस्थी की नियुक्ति केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ के बेटे पंकज सिंह की सिफारिश पर भारी भरकम मोटे पैकेज पर की गई है। यह भी चर्चा है कि भदौरिया को अवस्थी ने अपनी पुरानी गलत सेलरी बताई।
इस चक्कर में इन्हें नौकरी से बाहर कर दिया गया था लेकिन बाद में राजनाथ के बेटे पंकज की सिफारिश पर नौकरी पर वापसी की। इस बार भदौरिया ने अवस्थी का वेतन घटाकर बिलकुल कम कर दिया। बाद में बलदेव भाई ने इनका वेतन बढ़वाया। अवस्थी की इस नौटंकी से निकाले गये चौदह कर्मियों के अलावा नोएडा में बचे अन्य कर्मियों में रोष है। अभी हाल में अवस्थी को नोएडा से हटाकर दिल्ली में बैठने के लिए कहा गया था लेकिन दिल्ली ब्यूरो चीफ कुमार समीर ने इन्हें दिल्ली में बैठने नहीं दिया। माना जा रहा है कि मैनेजमैंट इनसे अब बहुत जल्द पल्ला झाड़ने की योजना बना रहा है। सही कहा है किसी ने… जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है वह देर सबेर खुद उसमें गिर जाता है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.