पहला जूता दिल्ली हाई कोर्ट ने दे मारा । एसीबी को दिल्ली पुलिस के घूसखोरों को पकड़ने का पूरा अख़्तियार है। कोर्ट ने नोटिफिकेशन रद्द कर दिया है। इस फैसले पर मीडिया (टी वी) के क़ानूनी विशेषज्ञ बिलों में दुबक लिए हैं। दरअसल हाईकोर्ट ने 21 मई 2015 के नोटिफिकेशन को भी रद्दी का टुकड़ा बता दिया, जैसाकि कानूनविद कह रहे थे पर मीडिया के ख़ुद गढ़ें फ़र्ज़ी विशेषज्ञ जो क़ानून की उल्टी पट्टी पढ़ा रहे थे, अब बिलों में हैं! इस फैसले से नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा गृहमंत्रालय की आड़ से पाले जा रहे मंसूबों पर पानी फिर गया है और केजरीवाल सरकार का कदम उचित ठहराया गया है।
उपराज्यपाल नजीब जंग और केंद्र सरकार से जंग के बीच दिल्ली की आप सरकार को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाई कोर्ट के एक आदेश से केंद्र सरकार को बड़ा झटका लगा है। एंटी करप्शन ब्यूरो ने दिल्ली पुलिस के जिस कांस्टेबल को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया था, अदालत ने उसे जमानत देने से इनकार कर दिया है।
हाईकोर्ट ने कहा है कि एंटी करप्शन ब्यूरो दिल्ली पुलिस के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है। इसका अर्थ यह निकाला जा सकता है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जो नोटिफिकेशन भेजा था, उसमें एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकार को जिस तरह कम किया गया था, उसे कोर्ट ने मानने से इनकार कर दिया।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया है – ‘बधाई, दिल्ली हाईकोर्ट ने एसीबी को कमजोर करने की केंद्र की कोशिश पर पानी फेरा। केंद्र के पास एसीबी पर नोटिफिकेशन जारी करने का कोई अधिकार नहीं है।’ सिसोदिया ने ट्वीट किया- ‘दिल्ली विधानसभा के अधीन आने वाले विषयों पर एक आदेश के जरिए एक्जीक्यूटिव पावर इस्तेमाल करने का अधिकार केंद्र सरकार के पास नहीं- हाईकोर्ट। ACB को कमजोर करने की केंद्र सरकार की कोशिश नाकाम। हाईकोर्ट ने कहा ACB पर गृह मंत्रालय का आदेश गलत। हाईकोर्ट ने कहा गृह मंत्रालय/ केंद्र सरकार के पास ACB के बारे में आदेश जारी करने का अधिकार नहीं। दिल्ली विधानसभा को धारा 239 AA (3) (a) के तहत कनकरेंट लिस्ट में शामिल विषयों पर कानून बनाने का भी अधिकार है – दिल्ली हाईकोर्ट।’