मनीष सिंह-
मनसुख शैम्पू लगाएगा, पैसा आपकी जेब मे जाएगा।
सोलह सत्रह साल पहले एमवे नाम की कम्पनी आयी थी। नेटवर्क मार्केटिंग कम्पनी थी। सामान बेचती, वही सामान जो चौथाई दाम में अगल बगल की दुकान में मिल सकता है। लेकिन आपको इस कम्पनी से खरीदना था।
तो कम्पनी ने दो डिस्ट्रीब्यूटर बनाये। उन दोनों ने दो दो बनाये, और उन दोनों ने आगे दो दो बनाये। इस तरह से चेन बनी। हर कोई समान कम्पनी से खरीद रहा है, खरीदी में कमीशन चेन के ऊपर वालों को बंट रहा है। आप भी जुड़िये, तो आपके नीचे वालो का कमीशन आपको मिलेगा।
इस तरह आपके राइट लेफ्ट में दो तीन लेवल बन गए तो आप सिल्वर बनोगे, महीने के दस बीस हजार फोकट में आएंगे। आपके नीचे दस बीस सिल्वर हो गए तो आप डायमंड बन जाओगे। दो चार लाख कमीशन आएगा।
इस तरह आप धीरे धीरे एमराल्ड से प्लेटिनम से टाइटेनियम से प्लूटोनियम से यूरेनियम बनते जाएंगे। आपका कमीशन करोड़ो में आने लगेगा। आप मर्सिडीज ले लेना, प्लेन खरीद लेना, विदेश चले जाना, मंगल ग्रह में प्लाट ले लेना।
आपको बस, अपने नीचे जोड़कर, दूसरों का चू काटना है।
तो मेरे पास एक नेटवर्किंया आया। तमाम फंडा समझाकर बोला- देखा.. मनसुख शैम्पू लगाएगा, पैसा आपकी जेब मे आएगा।
बात मेरी समझ मे न आती दिखी। तो उसने एक मीटिंग में बुलाया। चले गए। वहां उसका सिल्वर आया था- इस बार पावर पॉइंट पर बोला- देखा.. मनसुख शैम्पू लगाएगा, पैसा आपकी जेब मे आएगा।
बात फिर भी समझ मे न आई। तो अगली बार सेमिनार में बुलाया। इस बार डायमंड अंकल ने एलसीडी स्क्रीन पर वीडियो फिडियो दिखाया। बोले- देखा.. मनसुख शैम्पू लगाएगा, पैसा आपकी जेब मे आएगा।
बात फिर भी समझ मे न आई। पहली बात ये, कि आखिर 2 रुपये का शैम्पू जिसे हेमामालिनी नाच नाच के बेचती है, उसे मनसुख 200 रुपये में काहे खरीदेगा।
और दूसरी ये, की एजेंट से लेकर सिल्वर, डायमण्ड, टाइटेनियम तक ये पूरा गैंग, मिलकर मनसुख को शैम्पू नहलाना ही क्यों चाहते है??
उस वक्त बात समझ न आई थी, इतने बरसों बाद समझ मे आयी है। मनसुख और कोई नही, मैंइच था। चू मेरा कट रहा था, और मुझे लगता कि मैं दूसरो का काट रहा हूँ। शैम्पू से मैं नहाता और मंगल में प्लाट एमवे का मालिक लेता।
अब आप पूछेगें- मनीष, उर्फ मनसुख भाई, ये बुद्धत्व अभी जाकर कैसे मिला।
सीधी बात है एयरपोर्ट में घुसूंगा, कार पार्किंग में लगाऊंगा, पैसा अडानी को जाएगा। दस की कॉफी सौ में पियूँगा, पैसा अडानी को जाएगा। बाथरूम में जाकर सुसु किया, पैसा अडानी को जाएगा।
(हांजी, कर लेना बेहतर है, क्योकि मेरे टिकट में एयरपोर्ट चार्ज में उसका पैसा जुड़ा हुआ है। इसलिए एयरपोर्ट जाना हो तो दो दिन से रोककर रख लें। चार्ज की वसूली भरपूर होनी चाहिए)
फिर मैं किसी भी एयरलाइन के प्लेन में उडूँ, पैसा तो अडानी को जाएगा। एयरलाइंस से अलग चार्ज वसूला गया है, जो मुझसे वसूल कर अडानी को दिया गया है
लेकिन एयरपोर्ट जाना भी तो जरूरी नही। मैं टैक्स दूंगा, सरकार बंदरगाह, रेलवे, एयरपोर्ट बनाएगी। पैसा अडानी को जाएगा। मेरे यूज का एक भी सामान, उसका रॉ मटेरियल, बाहर से आयेगा, तो पैसा अडानी की जेब मे जाएगा।
मेरा बनाया एक भी सामान, देश मे दो इंच भी खिसकेगा, पैसा अडानी की जेब मे जाएगा। इसके लिए अडानी ने क्या किया। कुछ नही, देश की पूरी ब्यूरोक्रेसी और सत्ता प्रतिष्ठान को अपना नेटवर्क मार्केटिंग चैनल बना लिया। जो मेरा ही शैम्पू मुझे बेच रहा है।
मेरे उपर एजेंट, सिल्वर, डायमंड वगेरह बैठे हैं। उनका आजकल नाम पन्ना ओर प्रभारी, ब्लाक प्रमुख, जिलाध्यक्ष वगैरह हैं। मीटिंग अब भी होती है, जनसभा कहलाती है बड़े बड़े सेमिनार भी होते हैं। उसे रैली कहते हैं।
रैली में टाइटेनियम यूरेनियम वगैरह निजी प्लेन से आते हैं, आठ हजार करोड़ का प्लेन। आकर बताते है- क्या बताते है..
“मनसुख तेल लगाएगा, विकास तेरी जेब मे आएगा”
न एमवे वालो का चेक आया, न इनका विकास। देश की जनता शैम्पू घिस घिस कर गंजी हो रही है। बार बार डब्बे के डब्बे खरीद रही है। चेन के उपर वाले मजे में हैं। कम्पनी का मालिक मंगल पर प्लॉट लेने में इंटरेस्टेड नही था। उसने ऑस्ट्रेलिया में खदान ले ली है
लेकिन शैम्पू घिस घिसकर गंजा हुआ एक भक्त मनसुख आएगा। गाली देगा। क्योकि उसे अब भी विश्वास है..
“इंडिया शैम्पू लगाएगा, विकास उसकी जेब मे जाएगा”
jitendra verma
October 27, 2021 at 9:55 am
laajawab
Sanjay Verma
October 27, 2021 at 1:03 pm
Right….Yehi baat hai…apne sacch likha…..par bhakto ko to samajh nhi ayega…..unhe to manshukh hi rehna hai…kyoki raastvaad…aur dharm ki afeem chatyi gyi hai…