आज के हिन्दुस्तान टाइम्स में एक शीर्षक ध्यान खींचता है। अंग्रेजी में यह शीर्षक है, “विद एयर स्ट्राइक्स, मोदी लॉक्स हिज पॉलिटिकल स्क्रिप्ट फॉर पॉल्स”। इसका हिन्दी होगा, ‘हवाई हमलों से प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव के लिए अपना राजनीतिक स्क्रिप्ट तय कर लिया है’ – हिन्दुस्तान टाइम्स में ‘खबरों से आगे’ की यह खबर प्रशांत झा ने लिखी है। प्रशांत की एक किताब 2017 में आई थी, हाऊ द बीजेपी विन्स (भाजपा कैसे जीतती है)।
इस खबर को चुनाव के लिए भाजपा की रणनीति समझने के लिए पढ़ सकते हैं। प्रशांत ने लिखा है, चुनौतीपूर्ण राजनीतिक माहौल में आए इस स्क्रिप्ट में एक-दूसरे से जुड़ी तीन प्रमुख चीजें होंगी – एक “निर्णायक” और “शक्तिशाली” नेता की जिसपर भरोसा किया जा सकता है; एक “राष्ट्रवादी” पार्टी की जो भारतीय हितों की रक्षा करने के लिए तैयार हैं और एक “मजबूत” भारत की जो जिसने अपने विरोधी से निपटने ता तरीका बदल दिया है।
इसे राजस्थान के चुरू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंगलवार के भाषण से जोड़कर पढ़िए तो प्रधानमंत्री ने कहा कि देश सुरक्षित हाथों में है और देश से ऊपर कुछ भी नहीं है। हवाई हमलों का जिक्र किए बिना मोदी ने ‘‘सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं मिटने दूंगा… ” कविता पढ़ी और कहा कि उनके लिए खुद से बड़ा दल और दल से बड़ा देश है। आम मतदाताओं के सामने कविता के बहाने ही हवाई हमले के बाद, “मैं देश नहीं मिटने दूंगा” कहने का मतलब है।
प्रशांत झा ने लिखा है, यह सही है कि पुलवामा हमले को और ना ही उसपर भारत की प्रतिक्रिया का राजनीतिकरण होना चाहिए पर दुनिया में कहीं भी राजनीति की प्रकृति ऐसी होती है कि हमले और इस तरह की कार्रवाई का उपयोग चुनाव प्रचार में किया जाएगा। हालांकि, अभी की स्थिति में कुछ कहा नहीं जा सकता है और पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी है ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि आगे यह क्या रूप लेगा और भारत क्या करेगा।
लेकिन यह तो तय है कि पुलवामा हमला और सीमा पार की गई कार्रवाई ने चुनाव में भाजपा के लिए चर्चा का मुद्दा दे दिया है और विपक्ष अभी इसका जवाब ही तलाशने में लगा हुआ है। प्रशांत ने अंत में लिखा हैं, हवाई हमलों से चुनाव के नतीजे पूरी तरह बदल सकते हैं या नहीं भी बदल सकते हैं। पर इनसे राजनैतिक चर्चा की प्रकृति बदल जाएगी और निश्चित रूप से अभियान को दिशा मिलेगी। यह भाजपा के अनुकूल है। विपक्ष को अपनी पहल वापस लेने के लिए अभिनव तरीके तलाशने होंगे।
वरिष्ठ पत्रकार और अनुवादक संजय कुमार सिंह की रिपोर्ट।