एक पत्रकार को अखिलेश सरकार ने फूंक दिया, दूसरे को शिवराज सरकार ने लील लिया…

Share the news

Krishna Kant : अखिलेश सरकार ने एक पत्रकार को फूंक दिया. दो चार दिन के प्रदर्शन के बाद सब शांत हो गया. अबकी बार शिवराज सरकार ने एक को लील लिया. घोटाले करो. हत्याएं करो. जो जबान खोले उसकी हत्या कर दो. कौन पूछता है! मध्य प्रदेश सरकार के व्यापमं कारनामे के बाद इससे जुड़े गवाहों—आरोपियों और अन्य 44 लोगों को अबतक निपटाया जा चुका है. शिवराज सिंह इस देश के मिस्टर क्लीन मुख्यमंत्री हैं. हद है.

Sushant Jha : व्यापम घोटाले में पत्रकार अक्षय सिंह की मौत निंदनीय है। कहते हैं कि यह इस घोटाले में 44 वीं मौत(या हत्या? ) है। अब पानी सिर से ऊपर जा चुका है। इस मामले की उच्च स्तरीय और समयवद्ध न्यायिक जांच होनी चाहिए। इतनी जिंदगियां तो कई दंगों में नहीं जांती, जितना यह व्यापम घोटाला लील गया है-हालांकि दंगा और साक्ष्य मिटाने के लिए हो रही हत्याओं की तुलना ठीक नहीं है क्योंकि राही मासूम रजा ने अपनी एक किताब में दंगों में हुई मौत को सभ्यताओं की मौत कहा है। नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने का कोई वक्त अगर है तो दनादन हो रही इतनी मौतों के बाद शिवराज सिंह चौहान को जरूर इस्तीफा दे देना चाहिए। क्या पता इससे उनका घटता कद कुछ ठिठक जाए। यूपी में जगेंद्र सिंह की हत्या के बाद अब अक्षय सिंह की हत्या यहीं बताती है कि पूंजी के के बढ़ते आकार के सामने पत्रकार की हैसियत दो कौड़ी की हो गई है। बिहार में कुछ साल पहले एक माफिया विधायक ने एक टीवी पत्रकार का, कहते हैं नाखून निकाल लिया था-उस समय बड़ा हंगामा हुआ था। लेकिन अब तो सीधे जिंदा जला दिया जा रहा रहा है। अगर पत्रकारों के हत्यारों को सजा नहीं मिली तो यकीन मानिये दिल्ली-मुम्बई जैसी बड़ी पूंजी के अड्डों पर आनेवाले दिनों में और पत्रकारों की हत्या होंगी-क्योंकि हत्यारों का मनोबल बढता जाएगा। एक सवाल मोदी सरकार से भी है। क्या मोदी सरकार अपना मुंह खोलेगी? क्या मोदी, शिवराज सिंह चौहान से राजधर्म का पालन करने के लिए कहेंगे? क्या अब इतने देर से ‘राजधर्म’ उनकी जुबान से शोभा देगा? सिर्फ वर्तमान की भी बात की जाए तो क्या उनके विदेश मंत्री और राजस्थान के मुख्यमंत्री पर लगे आरोपों के बाद उन्हें राजधर्म का पालन नहीं करवाना चाहिए था? मोदी सरकार का पहला साल बिना घोटालों के और बिना किसी बड़ी नकारात्मक घटना के बीता था। लेकिन अब तो ऐसा लग रहा है कि रोज ही कुछ न कुछ अपशकुन फिजा में तैर रहे हैं। फेसबुक पर कहीं पढ़ रहा था कि शिवराज सिंह चौहान खुद को मध्यप्रदेश के बच्चों का मामा कहते हैं-लेकिन यह मामा अब कंस बन गया है।

Badal Saroj : व्यापमं : एसटीएफ की खोखली बयानबाजी.. व्यापमं घोटाले की जांच के लिए बनी एसटीएफ दो दिन से बयानबाजी में अचानक अति-सक्रिय हो गयी है। बिना शक शुबहे के कहा जा सकता है कि यह उतावली कुछ करने या किये को बताने की नहीं है बल्कि अनकिये को छुपाने की है। इंदौर जेल में हुयी युवा मृत्यु के बाद व्यापमं के राजदारों की संदेहास्पद मौतों को लेकर प्रदेश में व्याप्त बेचैनी को कम करने के लिए हवा में लट्ठ भांजे जा रहे हैं। अभी भी समय है जब सरकार को दर्शनीय और भरोसा जगाने वाली पहल करनी चाहिए। ऐसा करने के लिए तीन जरूरी कदम उठाये जाने चाहिये : 1- मुख्यमंत्री का इस्तीफ़ा, 2- सुप्रीम कोर्ट की निगरानी वाली सी बी आई जांच और 3- दौराने जांच जिन जिन के नाम आये हैं उन सभी आला व्यक्तियों की गिरफ्तारी। बिना ऐसा किये टेबल पर बनाई जा रही खबरों से कोई समाधान नहीं निकलने वाला है.

पत्रकार कृष्ण कांत, सुशांत झा और बादल सरोज के फेसबुक वॉल से.



भड़ास का ऐसे करें भला- Donate

भड़ास वाट्सएप नंबर- 7678515849



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *