सिवनी (मध्य प्रदेश) : नया साल इस तरह से पुलिस के नये चेहरे को लेकर आयेगा इसका भान सपने में भी नहीं था। पुलिस के द्वारा 31 दिसंबर और 01 जनवरी की दर्म्यानी रात में दो जिम्मेदार संपादकों के साथ जिस तरह का बर्ताव किया गया है उसको पाठकों के समक्ष रखा जा रहा है अब पाठक ही फैसला करें और अपना निर्णय दें।
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पत्रकारों की लगातार जघन्य हत्याओं और उत्पीड़न के खिलाफ नोएडा से दिल्ली तक पैदल प्रोटेस्ट मार्च 8 जुलाई को, आप भी आइए
अब हमारे और आपके सड़क पर उतरने का वक्त है… पत्रकारों की लगातार जघन्य हत्याओं और उत्पीड़न के खिलाफ नोएडा से दिल्ली तक पैदल प्रोटेस्ट मार्च का कार्यक्रम तय किया गया है जो 8 जुलाई को यानि कल होना है. इसमें आप भी आइए. चुप रहने, घर बैठे का वक्त नहीं है अब. देश भर में पत्रकारों की लगातार जघन्य तरीके से हत्याएं हो रही हैं. जगेंद्र सिंह, संदीप कोठारी, अक्षय सिंह… समेत दर्जनों हत्या-उत्पीड़न के मामले हैं. यह सिलसिला बदस्तूर जारी है.
बरखा दत्त से व्हिसिल ब्लोअर आशीष ने कहा- ‘मुख्यमंत्री शिवराज न सिर्फ व्यापमं घोटाले में शामिल हैं, बल्कि आरोपी भी हैं’
ग्वालियर : व्यापमं घोटाले के कवरेज के लिए दिल्ली से गए पत्रकार अक्षय सिंह की मौत के बाद मध्य प्रदेश की राजनीति में काफी खलबली है। एनडीटीवी की कंसल्टेंट एडिटर बरखा दत्त ने ग्वालियर में व्यापमं घोटाले के चार व्हिसिल ब्लोअर में से एक आशीष चतुर्वेदी से बातचीत की। आशीष चतुर्वेदी ने बरखा दत्त को बताया, इस मामले को उजागर करने के कारण उनकी भी जान को खतरा है और उन पर पहले भी कई बार जानलेवा हमले हो चुके हैं। आशीष के मुताबिक, जिस तरह से एक के बाद एक इस मामले से जुड़े 44 लोगों की हत्या की जा चुकी है, वैसे में वह भी हर वक्त़ डर के साये में जीने को मजबूर हैं कि कहीं उनकी जान न चली जाए।
कुमार विश्वास ने व्यापमं घोटाले पर सुप्रीम कोर्ट में लगाई जनहित याचिका
आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता डा कुमार विश्वास ने कुख्यात व्यापमं घोटाले में बरती जा रही लापरवाही और घोटाले की जाँच से जुड़े पैंतालीस से ज़्यादा लोगों की संदिग्ध मृत्यु पर मध्य प्रदेश सरकार के खिलाफ उच्चतम न्यायलय में जनहित याचिका दायर की है। कुमार विश्वास ने सोमवार की दोपहर एक जनहित याचिका के माध्यम से उच्चतम न्यायलय से गुहार लगाई है कि वो इस पूरे मामले का संज्ञान लें और इस जाँच प्रक्रिया को तत्काल अपने नियंत्रण में लें ताकि मौतों के सिलसिले और इस घोटाले की निष्पक्ष जाँच हो सके।
अक्षय की मौत पर भाजपा नेता का बेहूदा बयान- ”मुझसे बड़ा पत्रकार है क्या?”
नई दिल्ली। जहां एक ओर व्यापमं घोटाले को लेकर कवरेज करने गए पत्रकार अक्षय सिंह की मौत के बाद हर कोई अपनी संवेदना व्यक्त कर रहा है, वहीं दूसरी ओर बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने एक संवेदनहीन और बेहूदा बयान दिया है। मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके कैलाश विजयवर्गीय ने विवादित बयान दिया है। बीजेपी नेता विजयवर्गीय ने कहा- ”पत्रकार-वत्रकार क्या होता है और मुझसे बड़ा पत्रकार है क्या? पत्रकार की क्या बात करते हो? अक्षय की मौत हार्ट अटैक से हुई है।”
अक्षय, तुम दुबारा भारत में जन्म मत लेना और जन्म लेना भी तो पत्रकार मत बनना!
Rajat Amarnath : सुनो अक्षय, दूर कहीं जहाँ भी तुम भेज दिये गये हो वहाँ अपने बारे में सोचना कि क्या मिला तुम्हें. एक नपुंसक समाज, ख़बर बताने की जगह TRP के लिऐ ख़बर बनाने वाले न्यूज़ चैनल, “प्रधान सेवक” से सवाल दागने की जगह उनके साथ दाँत निपोरते हुऐ “सैल्फी” लेने वाले संपादक, असमय मौत. तुम्हारी जवान मौत पर मज़ाक उड़ाते संवेदनहीन नेता. आखिर क्या ज़रूरत थी तुम्हें किसी घोटाले को उजागर करने की? क्या तुमने अपने ही साथी “दीपक शर्मा” से कोई सबक नहीं सीखा था कि अगर नेता को नंगा करेंगे तो नौकरी गंवा दी जाती है या अपने पूर्व न्यूज़ डायरेक्टर “क़मर वाहिद नक़वी” से समझ लेते कि नेताओं की “चरण वंदना” ना करने पर क्या नतीजा होता है.
Institute CBI Enquiry into Akshay Singh’s death : DUJ
The DUJ is deeply grieved and shocked at the mysterious death of young Aajtak journalist Akshay Singh while investigating the Vyapam Scam in Madhya Pradesh. His sudden death cannot be isolated from the total number of 45 deaths of witnesses, accused and others connected to this Rs 2000 crore scam. The government of Shivraj Singh Chauhan has much to answer for. Why is it unable to stem the tide of murders and suicides in the Scam?
पत्रकार अक्षय प्रकरण पर रवीश कुमार ने शिवराज सिंह चौहान को खुला खत लिखा
माननीय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी,
“वो जो गहरे नीले कुर्ते में है न, हां! वही जो अभी बेसुध सी पड़ी है, ये..ये जो अब उठकर दहाड़ मार रही है। संभाल नहीं पा रही है खुद को। ये जो उठकर फिर गिर गई है।”
आग की उठती लपटों के कारण उसे देख तो नहीं पाया पर कान के पास कुछ आवाज़ें पत्रकार अक्षय सिंह के बारे में बताने लगीं। मैं उसकी चिता के करीब खड़े लोगों की तरफ देख रहा था। वो कौन लड़की है जिसके बारे में आप बता रहे हैं? “सर अब क्या कहें, ये अक्षय की मंगेतर है।” सुनते ही उसके चेहरे पर ज़िंदा अक्षय को खोजने लगा, तभी उसे संभालने एक और लड़की आ गई। “सर ये अक्षय की बहन हैं। चश्में में जो हैं।”
‘आजतक’ के पत्रकार विकास मिश्र ने अपने बगल की सीट पर बैठने वाले अक्षय को यूं याद कर दी श्रद्धांजलि
Vikas Mishra : दफ्तर में मेरी ठीक बाईं तरफ की सीट खाली है। ये अक्षय की सीट है। अक्षय अब इस सीट पर नहीं बैठेगा, कभी नहीं बैठेगा। दराज खुली है। पहले खाने में कई खुली और कई बिन खुली चिट्ठियां हैं, जो सरकारी दफ्तरों से आई हैं, इनमें वो जानकारियां हैं, जो अक्षय ने आरटीआई डालकर मांगी थीं। करीब तीन महीने पहले ही दफ्तर में नई व्यवस्था के तहत, अक्षय को बैठने के लिए मेरे बगल की सीट मिली थी। वैसे दफ्तर में रोज दुआ सलाम हुआ करती थी, लेकिन पिछले तीन महीने से तो हर दिन का राफ्ता था। अक्षय…हट्ठा कट्ठा जवान। उसके हाथ इतने सख्त, मोटी-मोटी उंगलियां। मिलते ही हाथ, सिर तक उठाकर बोलता-‘सर, नमस्कार’ …और फिर हाथ बढ़ाता मिलाने के लिए। इतनी गर्मजोशी से हाथ मिलाता कि पांच मिनट तक मेरा हाथ किसी और से मिलाने लायक नहीं रहता।
एक पत्रकार को अखिलेश सरकार ने फूंक दिया, दूसरे को शिवराज सरकार ने लील लिया…
Krishna Kant : अखिलेश सरकार ने एक पत्रकार को फूंक दिया. दो चार दिन के प्रदर्शन के बाद सब शांत हो गया. अबकी बार शिवराज सरकार ने एक को लील लिया. घोटाले करो. हत्याएं करो. जो जबान खोले उसकी हत्या कर दो. कौन पूछता है! मध्य प्रदेश सरकार के व्यापमं कारनामे के बाद इससे जुड़े गवाहों—आरोपियों और अन्य 44 लोगों को अबतक निपटाया जा चुका है. शिवराज सिंह इस देश के मिस्टर क्लीन मुख्यमंत्री हैं. हद है.
‘व्यापमं’ उर्फ एक व्यापक ‘राष्ट्रवादी’ घोटाला… क्योंकि यहां घोटाले के साथ दनादन हत्याएं भी होती हैं!
Krishna Kant : व्यापमं घोटाले की जांच से जुड़े मेडिकल कॉलेज के डीन भी निपट गए. पत्रकार अक्षय सिंह को कल निपटाया गया था. अब तक देश में जो घोटाले हुआ करते थे उनमें हत्याएं नहीं होती थीं इसलिए वे राष्ट्रवादी नहीं थे.. उनसे भारत की नाक कट रही थी. देश शर्मिंदा हो गया था. राष्ट्र की सोच बड़ी हो इसलिए घोटाला भी बड़ा होना चाहिए. दो चार आरोपियों वाले घोटाले शर्मिंदा कर देते हैं. इसलिए व्यापक तौर पर व्यापमं हुआ है. 2500 आरोपी. 500 फरार 55 केस. 45 हत्याएं. जनता को भी घोटाला सोटाला में टांग न अड़ाने के लिए सबक मिलना चाहिए. मजबूत भारत बनाना है, इसलिए रोज एक हत्या. इस तरह रोज एक प्राण की आहुति देने से घोटालों के देवता प्रसन्न होते हैं और राष्ट्र तरक्की करता है.
अक्षय की लाश अब भी मध्य प्रदेश से लेकर गुजरात के आसपास के बीच एंबुलेंस में टहल रही है.. शेम शेम आजतक!
Yashwant Singh : शेम शेम आजतक. खुद को नंबर वन बताने वाला ये नपुंसक चैनल फिर वही ड्रामा कर रहा है जो सुरेंद्र प्रताप सिंह के मरने के बाद किया था. लाश मौत हत्या को लेकर सूचनाएं दबा रहे हैं या गलत सूचनाएं दे रहे हैं. अब तक ये लोग अपने चैनल पर सिर्फ मरने की सिंपल खबर दिखा रहे हैं. कोई गुस्सा नहीं. कोई विरोध नहीं. कोई तनाव नहीं. आजतक के पत्रकार अक्षय सिंह को व्यापमं घोटाले के कवरेज के दौरान मारे जाने की सूचना मिलने के बाद यह चैनल अभी तक उनकी लाश को झाबुआ के सरकारी अस्पतालों से लेकर नजदीकी प्राइवेट अस्पतालों तक और पचास किमी पड़ोसी गुजरात राज्य के दहोद तक में घुमा रहा है और शिवराज सिंह से निष्पक्ष जांच कराने के लिए पत्र लिखकर अनुरोध कर रहा है.
अक्षय श्रद्धांजलि : किसी भी थाने में बेधड़क स्टिंग करता था… कोई उसे देख नहीं पाया… कमाल का लड़का है…
Padampati Sharma : ऐसे ही अगर तुम्हे जाना था अक्षय… तो तुम मिले ही क्यों थे? जी हां, मैं बात कर रहा हूं एक जाबांज, दिलेर पत्रकार की जिसकी हिम्मत के किस्से उसके साथी ही नहीं उसके सीनियर्स भी सुनाते नहीं थकते. अपनी मां का लाडला और एक बहन का प्यारा भाई आजतक का विशेष संवाददाता वही अक्षय सिंह कर्तव्य निभाते निभाते शहीद हो गया या यूं कहूं कि व्यापम घोटाले का वह एक और शिकार बन गया.
RIP Akshay Singh… You are a war hero…
Shesh Narain Singh : Was Akshay Singh of AAJ TAK reporting from a conflict zone that a bright professional had to lose his life? Why are the political establishment not taking vaapam scam seriously? RIP Akshay Singh. You are a war hero.
व्यापमं घोटालेबाजों ने अबकी पत्रकार अक्षय का किया शिकार… अब तो जागो हिंदुस्तान!
Yashwant Singh : व्यापमं घोटाला कवर करने गए आजतक के स्पेशल करेस्पांडेंट अक्षय सिंह की झाबुआ में लाश मिली… ये घोटाला कितने लोगों की जान लेगा और इस पर कब तक मौन साधे रहेंगे नरेंद्र मोदी व शिवराज सिंह चौहान… यह घोटाला तो सभी घोटालों का बाप साबित हो चुका है क्योंकि इसके असली बड़े आरोपियों को बचाने की कवायद में दनादन हत्याएं मौतें लाशें बिछ रही हैं… आजतक के एसआईटी हेड अक्षय के मारे जाने से पूरा प्रकरण अब बेहद अहम मोड़ ले चुका है… अब तो इन भाजपाइयों को शेम शेम कहना होगा… किस मुंह से ये न खाने और न खाने देने की बात कहते हैं… ये तो न सिर्फ खाते हैं बल्कि जो इनके खाने की पोल खोलता है उसे मार डालते हैं… शेम शेम…