चंडीगढ़ में अवैध शराब बेचने वालों के हौंसले इस कदर बुलंद हैं कि वह अब किसी की जान तक लेने से पीछे नहीं हट रहे हैं। पिछले दिनों ऐसा ही एक मामला सामने आया जिससे मीडिया कर्मियों की सुरक्षा और चंडीगढ़ पुलिस की कार्रवाई पर बड़ा सवाल उठा है। मामले में अवैध शराब बेचने वालों के हमले का शिकार बने पत्रकार अमर शर्मा और उनके सहयोगी प्रदीप ने पुलिस पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं.
अमर अपने सहयोगी प्रदीप के साथ विकास नगर लाईट प्वाईंट पर खड़े थे, तभी वहां आये दो युवकों ने उनसे पूछा, ‘आप मीडिया से हो? कुछ बात करनी है।’ जिसके बाद पत्रकार युवकों की बात सुनने के लिए अपनी कार से बाहर आया तो युवकों ने उनसे कहा, ‘तुमने हमारी खबर चलाई है जिस कारण हमारे तीन शराब के अड्डे बंद हो गये।’ पत्रकार अमर शर्मा और उनका सहयोगी कुछ समझ पाता, इससे पहले ही युवक ने चाकू से हमला कर दिया। अमर बचने के लिए वहां से पीछे भागा तो वहां छ: से सात युवक मय हथियार मौजूद थे। उन्होंने दोनों पत्रकारों को घेर लिया और बीच सड़क लोहे की रॉड-चाकू से हमला कर उन्हे जंगल की ओर ले जाने लगे। इस दौरान मौके पर वाहनों की भीड़ लग गई। पत्रकार ने लोगों से मदद की गुहार लगाई लेकिन हमलावरों के हाथों में हथियार देख कोई भी मदद को आगे नहीं आया।
भीड़ में मौजूद एक महिला ने पुलिस को फोन किया, जब तक पुलिस की गाड़ी आयी हमलावर दोनों पत्रकारों को मारते रहे। हालांकि तब तक पीड़ितों का मोबाईल फोन, घड़ी, जेब का कैश व एक डिजिटल कैमरा सब लूट लिया गया। जब चंडीगढ़ पुलिस की पीसीआर आई तो हथियारबंद युवक जंगल की तरफ फरार हो गये।
घायल पत्रकार अमर शर्मा ने बताया की चंडीगढ़ मौली जगरा पुलिस स्टेशन का एक एएसआई रमेश आकर पीसीआर में बैठ गया और चालक को अस्पताल की बजाय चंडीगढ़ के मख्खनमाजरा पुलिस बीट बॉक्स में चलने को कहा। पुलिस बीट बॉक्स में ले जाकर एसएसआई रमेश और कांस्टेबल संदीप ने दोनों पत्रकारों से कहा कि, ‘पुलिस कंप्लेन्ट नहीं करो हम तुम्हारा समझौता करवा देते हैं।’ इस दौरान हमले में गंभीर घायल पत्रकारों का खून बहता रहा, वो दर्द से तड़पते रहे लेकिन उन्हे इलाज के लिए नहीं भेजा गया। अमर शर्मा ने बताया की एक घंटे से ज्यादा समय तक उन्हे पुलिस बीट बॉक्स में जबरन रखा गया।
पीड़ितों ने बताया की एक पुलिसकर्मी ने उन्हें अपना फोन दिया, जिससे उन्होंने अपने परिवार को सूचित किया। उसके बाद पुलिस कर्मियों ने एक और पुलिस पीसीआर बुलाकार दोनों घायलों को चंडीगढ़ सेक्टर-32 अस्पताल में दाखिल करवा दिया। चंडीगढ़ पुलिस ने हद तो तब कर दी जब आठ घंटे बाद दो पुलिसकर्मी घायलों का बयान लेने पहुंचे। यहां एएसआई अमरजीत सिंह घायलों का बयान सुनने की बजाय खुद ही बयान लिखने लगे। जब वहां मौजूद लोगों ने उन्हें टोका तो एएसआई अमरजीत सिंह भड़क गये और कहने लगे कि, ‘लिख दो की पीड़ित पुलिस कार्रवाई में सहयोग नहीं कर रहा है।
अस्पताल में मौजूद एक व्यक्ति जब अपने फोन से वीडियों बनाने लगा तो एएसआई अमरजीत वीडियो बनाने वाले व्यक्ति पर ही आरोप लगाने लगे। इस घटना को दो दिन बीतने के बाद भी चंडीगढ़ मौली जगरा पुलिस ने अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं किया और न ही पीड़ितों को पुलिस कार्रवाई पर भरोसा है। इस मामले में चंडीगढ़ पुलिस के उच्चाधिकारियों को भी जानकारी दी गई है।