मनीष दुबे-
कानपुर के साढ़ स्थित पहेवा में बड़ा जातीय संघर्ष हो गया. अम्बेडकर-बौद्ध कथा को लेकर हुए झगड़े-झटके के बाद पुलिस ने विधायक के PRO समेत 8 पंडितों पर मुकदमा दर्ज किया है. इसके साथ पूरा पहेवा गाँव खाकी कर दिया गया है.
इन इलाकों में अक्सर इसी तरह के धार्मिक द्वेष वाले क्राइम दर्ज किये जाते हैं. इससे पहले साल 2020 के फरवरी माह में पहेवा से 20-21 Km दूर गजनेर के मंगटा में इसी तरह का संघर्ष हुआ था.
अक्सर होता क्या है, कई बातें मौके पर जाकर बदल जाती हैं. जमीनी हकीकत कुछ और निकलती हैं. कुछ खबरें मीडिया में आ चुकी थीं. लेकिन उनमें भिन्नता थी. पीड़ितों का ज्यादा कुछ जिक्र नहीं था.
खैर, सुबह घाटमपुर से एक रिपोर्टर को मंगटा पहुंचने को कहा. मैं वाया गजनेर होते हुए उस गाँव पहुंचा.
चारों तरफ पुलिस, फायर ब्रिगेड, वज्र वाहन, PAC बटालियन के लग चुके तम्बू और मुख्य सड़क पर पुलिस की बेरीकेडिंग अलग ही कहानी कह रही थी. इधर मीडिया में कहीं ये बात तो थी ही नहीं की दलित बिरादरी की एक दर्जन औरतें आदमी गंभीर रूप से जख्मी होकर हॉस्पिटलाइज हुए हैं. सवर्णो द्वारा घरों में सो रही औरतों बच्चों को लाठी-डण्डों से जमकर कूटा गया था. किसी का सिर किसी का हाथ, पांव, कमर तक पंडितों ने तोड़ दी थी. बर्तन भाड़े फोड़ दिए. घरों के बाहर बंधे जानवरों तक को फूस-लकड़ियों से जलाया गया था.
दलितों के परिवारों में मर्द लोग कथा में व्यस्त थे, इधर सवर्णों ने हमला बोल दिया. जिससे ज्यादातर महिलाएं जख़्मी हुई थीं. एक दो तो निपट भी गये थे, शायद.
पुलिस किसी पत्रकार या सोशल वर्कर को अंदर नहीं जाने दे रही थी.
मैंने पीड़ितों से बात करनी चाही, पहले मना किया गया. फिर जात, धर्म, लिंग (sex) देखकर मुझे इजाजत दे दी गई. लेकिन एक SI और एक कांस्टेबल को मेरे पीछे लगा दिया गया. हम तीन के साथ दो पुलिसवाले.
बिजली के खम्बे से लेकर मकान की दीवारें तक इस संघर्ष में टूटे पाए गए. पीड़ित पक्ष की तरफ एक घर के बाहर लगे पपीते व फूलों के पेड़ तक किसी धारदार हथियार से काटे गए लग रहे थे. वहां कुछ महिलाएं बैठी थीं. पहले उनने रोते हुए बात करने से इनकार कर दिया.
लेकिन ज़ब मैंने उन्हें, खुद को उनकी जात होना बताया तो वे कुछ सहज हुईं. उन्होंने कहा ‘भैया कई पत्रकार आवति हैं, पंडतनै का पक्ष लेत हैं.. हमार बात कउनो नहीं दिखावत.’
पंडितों की तरफ के लोग अधिकतर फरार थे. बच्चे औरतें घरों में थे, उन्हें मैंने मनीष दुबे के बतौर कन्वेन्स करने की कोशिश की पर उन्होंने हमसे बात करने से पूरी तरह से इनकार कर दिया.
इसके बाद एक मैदान नुमा जगह एकत्रित दलित बिरादरी के पुरुषों से बात हुई. पुलिसवाले दोनों खिसक चुके थे. खड़ंजे से घूमते ही सामने 4-5सौ आदमी जमा था. उनकी आँखों में बदले की आग साफ नजर आ रही थी. हम पाचों के कदम नजारा देख ठिठके. उसी दौरान ये नजारा देख दोनों पुलिस वाले निकल लिए.
बाद में यहां जमा लोगों ने मुझे इज्जत से बिठाकर सारी बात बताई. पुलिस प्रशासन पर एकतरफा कार्यवाही के आरोप लगे. हां यहां फिर मुझे दलित बनकर रिपोर्टिंग करनी पड़ी. क्या करता, मुझे अपना काम निकालना था.
मेरी इस रिपोर्ट ने हंगामा मचा दिया था. प्रियंका गांधी से लेकर भीम आर्मी और द वाशिंगटन पोस्ट तक ने संज्ञान लिया था. हालांकि, सत्ता और उसका ठंत्र बाद में सब मैनेज कर लेता हैं.
यहां देखें पूरा वीडियो.. कानपुर मंगटा दलित-ब्राह्मण बवाल