Avanindr Singh Aman : बीएचयू में फिर लाठीचार्ज, आगजनी पथराव… बीएचयू में बीती रात की हिंसक घटनाओं के बाद विश्वविद्यालय परिसर को छावनी में तब्दील करके शांति बहाली की ओर बढ़ाया ही जा रहा था कि अचानक परिसर का माहौल एकाएक गर्म हो गया। दोपहर 12 बजे ब्रोचा छात्रावास के सामने से गुजर रहे ट्रैक्टर में आग लगा दी गई… वहीं एलडी गेस्ट हाउस चौराहे पर शांति मार्च निकाल रहीं छात्राओं पर प्राक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षाकर्मियों ने लाठीचार्ज कर दिया। लाठीचार्ज में आधा दर्जन छात्राओं के घायल होने की सूचना है। इसके बाद त्रिवेणी छात्रावास के पास आन्दोलनकारियों ने जमकर पथराव किया। मौके पर पहुंचे सुरक्षाकर्मियों ने लाठी पटककर आन्दोलनकारियों को तितर-बितर किया।
Rohin Verma : लड़कियां क्या मांग रही थी? स्ट्रीट लाईट, गार्ड, छेड़खानी करते लड़कों पर कारवाई। वीसी मिलने नहीं आए। पीएसी और पुलिस बुलाकर लाठी चलवा दिया। आंदोलनकारी घायल हुए। वीसी ने स्पष्ट संदेश दिया- मैं जीसी, बीएचयू का वीसी छेड़खानी करने वालों के साथ हूं। लंपटों के साथ हूं। कैसे भूल सकते हैं इस जीसी त्रिपाठी ने राजदीप को मारने की धमकी दी थी। तो क्या लड़कियों का आंदोलन डिफ्यूज़ कर दिया गया? हार गई? जिस बनारस और बीएचयू से मोदी का हो-हो शुरू हुआ करता था उस शहर और जूनियर मोदी को हिला देना अपने आप में बड़ी उपलब्धि है। आंदोलन कोई खेल नहीं जिसमें 1-0 टाईप जीत हार हो। उसका प्रभाव अहम है। बीएचयू के साथियों को इसे अलग-अलग तरीके से जीवंत रखना होगा। लाठीचार्ज मनोबल तोड़ने के लिए ही हुआ है। लेकिन मनोबल टूटना नहीं चाहिए। हक-अधिकारों की लड़ाई हर रोज कई स्तरों पर लड़ी जाती है। टूटना मत।
Ashwini Sharma : बीएचयू की घटना अत्यंत शर्मनाक है.. वो भी तब जब सांसद खुद प्रधानमंत्री हैं.. मैं और मेरे पिता समेत परिवार के लगभग हर सदस्य बीएचयू के ही छात्र रहे हैं..इसलिए मैं बेहद व्यथित हूं..समझ से परे है कि जब लड़कियां अनवरत धरने पर बैठी थीं तो उनकी समय पर सुध क्यों नहीं ली..आखिर वाइस चांसलर किस मिट्टी के बने हैं..क्या उनकी बेटियां नहीं जो इतनी कठोरता से पेश आ रहे हैं..जब दो लड़कियों के साथ कैंपस में छेड़खानी हुई तो बजाय आरोपियों के पकड़ने के वो लड़कियों को नसीहत देने लगे कि अंधेरे से पहले हॉस्टल में खुद को कैद कर लें..कपड़े सलीके से पहने..वाह सर वाह आप तो कमाल के निकले अपराधियों पर शिकंजा कसने की बजाय आप बेटियों को ही ऐसी ऊल जुलूल नसीहत देने लगे जो उन्हें नागवार गुजरे..बजाय सुरक्षा देने के आप लड़कियों को सुरक्षा कवच में रहने की हिदायत देने लगे..उन पर नाहक की बंदिशे लगा दी..बस क्या था कोमल दिल लड़कियों ने वाइस चांसलर के तुगलकी फरमान के खिलाफ एकजुट हो कर आंदोलन छेड़ दिया..मौका भी था और दस्तूर भी..खुद प्रधानमंत्री मोदी भी शहर में आने वाले थे और जब खुद ‘बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ’ का प्रणेता शहर में हो तो बेटियां नाफरमानी को लेकर अपनी आवाज बुलंद करने को आमादा होंगी हीं..समझ से परे है कि इन लड़कियों की प्रधानमंत्री से मुलाकात क्यों नहीं हुई..और क्या खुद को महिलाओं की संगिनी बताने वाली स्मृति इरानी दरियादिली दिखाते हुए बहनों से मुलाकात नहीं कर सकती थी..और क्या बनारस के लोकल नुमाइंदे खुद बेटियों को लेकर प्रधानमंत्री तक नहीं जा सकते थे..और भाई वाइस चांसलर महोदय आप तो लगता है किसी अंहकार में जी रहे हैं आप अति आत्मविश्वास से लबरेज ये सोच रहे थे कि मामला तो आप चुटकी में सुलझा लेंगे..एक तरह बेटियां बारिश में भींग कर दिन रात भूखे प्यासे आपके आत्याचार के खिलाफ सड़कों पर बैठी थीं उपर से आप किसी दानव की तरह आंख मूंदे सब कुछ देख सुन रहे थे..एक तरफ माहौल बिगड़ता जा रहा था देश दुनिया में महामना के बगिया की गंदी तस्वीर सामने आ रही थी और आप कुंभकरणी नींद सो रहे थे..वीसी साहब क्या आप नहीं जानते कि लड़कियों का आंदोलन जितना लंबा खिंचेगा उतना ही कुछ उल्लू सीधा करने वाले लोग अपनी रोटियां भी सेकेंगे ही..वही हुआ जिसका डर था..आपकी घोर लापरवाही की वजह से धीरे धीरे सभ्य लड़कियों की आड़ में कुछ अराजकतत्वों ने वीसी निवास के बाहर बवाल किया और महामना के करीब बैठी और शांति से आंदोलन कर रही लड़कियां शिकार हो गई..किसी के पैरे टूटे तो किसी के सिर से खून की धारा बह निकली..मैंने भी बीएचयू में वो दौर देखा है जब छात्रसंघ भंग करने पर बहुत बवाल हुआ था..तब भी कैंपस जल उठा था..बैंक तक को जलाया गया था..अराजक तत्वों के साथ सीधे सादे लड़के भी घायल हुए थे..मैं खुद अपने दोस्तों के साथ हॉस्टल के कमरे में कैद होने पर मजबूर हुआ था..और अब करीब बीस साल बाद फिर वैसी ही घटनाएं दोहराई गई है..इस घटना के लिए सीधेतौर से वीसी को जिम्मेदार मानते हुए उन्हें बर्खास्त करना चाहिए और जो भी दोषी हो उन्हें सजा मिलनी चाहिए..
सौजन्य : फेसबुक
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