मीडिया अब दलाली का दूसरा नाम है। यहाँ फर्जी खबरें भी बनायी जा रही हैं, दलितों और पिछड़ों पर झूठी एफआईआर करवाने की तो फर्जी न्यूज़ छप रही है, मेधा और मेरिट को लेकर!
फोटो को गौर से देखिये। कल यूपी के सभी अखबारों में एक “मेधावी ” लड़की की आत्महत्या करने की खबर खूब डिटेल में छपी थी, कारण आरक्षण को बताया गया। दोषी अखिलेश यादव को कहा गया। मगर हुजूर वो मेधावी तो इतना भी नहीं पढ़ सकी कि पुलिस भर्ती में महिला सामान्य की मेरिट महिला पिछड़ी जाति से बहुत कम गयी है !
अब आप क्या कहेंगे ? क्या यह खबर उस मेधावी की आत्महत्या के नाते छपी या फिर उसकी जाति के नाते जबरदस्ती पिछड़ों के अधिकारों पर हमला बोलने का बहाना बना कर मीडिया ने प्रदेश में शांति व्यवस्था भंग करने की साजिश की है?
सुनील यादव के एफबी वॉल से