Prashant Tandon : EVM हैकर का दावा कोरी किस्सागोई है क्या कुछ हकीकत भी है? लंदन में हुई एक प्रेस कान्फ्रेंस में वीडियो लिंक के ज़रिये एक हैकर ने कुछ ऐसे सवाल उठाये जिन्हे सामान्य तौर पर विश्वास कर पाना कठिन है. हैकर सैयद शुजा का दावा है कि 2014 का चुनाव EVM को हैक कर बीजेपी ने जीता. शुजा का दावा है कि बीजेपी लगातार EVM को हैक करती रही है अगर कुछ चुनाव वो हारी है वो इसलिये कि EVM को हैक करने की कोशिशों को शुजा की टीम विफल कर दिया. उसने गोपीनाथ मुंडे मौत और NIA अधिकारी तंज़िल अहमद, गौरी लंकेश की हत्या को भी EVM हौकिंग से जोड़ा है.
इसके अलावा उसने अपने और अपनी टीम के बारे में भी कुछ तथ्य रखे हैं जिनकी जांच संभव है – अगर शुजा के अपने बारे में किये गए दावों के बारे में सच्चाई है तभी उनके EVM हैक करने के बारे में किये गये दावों को गंभीरता से लेना चाहिये.
- शुज़ा का दावा है कि 2014 चुनाव के बाद हैदराबाद में उसके 12 साथियों की हत्या कर दी गई और इन हत्याओं को मुस्लिम सिख दंगो की शक्ल दे दी गई. ये सच है कि मई 2014 हैदराबाद में मुस्लिम सिख दंगा हुआ था जिसमे कुछ मौते भी हुई थी. शुज़ा अपने जिन साथियों की मौत के बारे में बता रहा है उन नामों\व्यक्तियों की खोजबीन होनी चाहिये.
- शुज़ा का दावा है कि वो किसी तरह जान बचा कर अमेरिका चला गया और उसने वहाँ राजनीतिक शरण ले ली. इस दावे की सच्चाई का पता करना मुश्किल नहीं है. खुद शुज़ा का दावा है कि राजनीतिक शरण के दस्तावेज़ मौजूद है.
- शुज़ा का दावा है कि वो 2009 से 2014 तक ECIL (EVM बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी) में काम करता था और चुनाव आयोग के साथ EVM के प्रोजेक्ट में शामिल था. जिसने पांच साल किसी कंपनी में काम किया हो उसका रिकॉर्ड तो होना चाहिये.
- शुज़ा ने दावा किया है कि एक मशहूर टीवी पत्रकार ने अमेरिका में उससे मुलाक़ात करके EVM हैकिंग का खुलासा करने का वादा किया था. शुज़ा के शब्दों में “ये मशहूर पत्रकार रोज़ रात में चिल्लाता है”. किसी के भी विदेश आने जाने और मुलाक़ात की जानकारी सामने आ सकती – खुद शुज़ा भी कुछ सुबूत दे सकते हैं.
उनके बाकी दावों पर तभी बात होनी चाहिये जब उनके अपने बारे में दी गई जानकारी में कुछ सच्चाई मिलती है.
हैकर सैयद शुज़ा के दावों ने EVM पर नई बहस छेड़ दी है
बात 2010 की है उस वक़्त हैदराबाद में रहने वाले हरी के प्रसाद को EVM चोरी के आरोप में जेल भेज दिया गया था. हरी प्रसाद ने जो पेशे से इंजीनीयर हैं EVM को हैक करने का दावा किया था. चुनाव आयोग ने उन्हे बुलाया कि कमीशन के सामने EVM हैक कर के दिखायें लेकिन आखिरी वक़्त में उन्हे EVM नहीं दी गई. उनके साथ बैठक का वीडियो भी बना था जो कभी बाहर नहीं आया.
हरी प्रसाद की रिहाई के बाद हमने उन्हे TV 9 के मुंबई स्टूडिओ में बुलाया था – तब मैं वहां मैनेजिंग एडिटर था. EVM पर विश्वसनीयता पर बहस तब से ही चल रही है. हरी के प्रसाद डा. एलेक्स हॉल्डरमैन और रॉप गॉग्रिज़्प के साथ मिल कर indiaevm.org चलाते हैं जिसके जरिये वो EVM के खिलाफ मुहीम चलाते हैं.
डा. एलेक्स हॉल्डरमैन मिशीगन यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर हैं जिनके वोटिंग मशीन वायरस के खुलासे के बाद कैलीफोर्निया के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग में पूरी तरह से बदलाव किये गए. रॉप गॉग्रिज़्प नीदरलेंड के टेक्नोलॉजी ऐक्टिविस्ट हैं जिनके प्रयासों के बाद नीदरलैंड में EVM हमेशा के लिए बैन हो गई. हरि प्रसाद हैदर शुज़ा के दावों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं लेकिन मानते हैं कि EVM के साथ छेड़ छाड़ संभव है.
मेरे एक दोस्त रवि प्रसाद वी एस प्रसाद देश के जाने माने टेक्नोलॉजी विशेषज्ञ हैं. आईआईटी कानपुर और कार्नेगी मिलेन में पढ़ाई कर चुके रवि भी EVM और VVPAT दोनों के भरोसेमंद होने पर सवाल खड़े करते रहे हैं. इसी बारे में इकनॉमिक टाइम्स में लेख छपा. रवि 1987 में BEL भी गए थे जब EVM का डिज़ाइन तैयार हो रहा था. चुनाव आयोग को शुज़ा के खिलाफ मुक़दमेबाजी में पड़ने के बजाय EVM की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवालों पर एक राष्ट्रीय सहमति बनानी चाहिये.
Dilip C Mandal : बीजेपी नेता गोपीनाथ मुंडे 2014 का लोकसभा चुनाव जीतकर दिल्ली आए ही थे. उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. परिवार से लेकर चुनाव क्षेत्र तक में खुशी की लहर थी. फिर अचानक 3 जून को खबर आई कि वे सुबह एयरपोर्ट जा रहे थे. रास्ते में एक टाटा इंडिका उनकी मारुति SX4 से साइड से टकरा गई और वे मर गए.
कुछ सवाल…
- उस दिन उनके साथ सिर्फ ड्राइवर वीरेंद्र कुमार और सेक्रेटरी सुरेंद्र नायर क्यों थे?
- कैबिनेट मिनिस्टर होने के बावजूद उनके साथ एक भी सुरक्षा गार्ड क्यों नहीं था? उस दिन उनका पीएसओ कहां था, जिसे हर हालत में उनके साथ रहना चाहिए. था.
- गाड़ी के साथ पायलट कार क्यों नहीं थी. एक अकेली गाड़ी में कैबिनेट मिनिस्टर सफर क्यों कर रहे थे?
- जिस एक्सिडेंट में पिछली सीट पर बैठा एक आदमी मर गया, उस एक्सिडेंट में बाकी दो लोगों को खरोंच भी क्यों नही आई?
- जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किसका था?
- जांच के दायरे में मुंडे की कार का ड्राइवर और उनका सेक्रेटरी क्यों नहीं था.
- जिन सुरक्षाकर्मियों को मुंडे के साथ रहना चाहिए था, उनके खिलाफ कौन सी कार्रवाई की गई. उनसे पूछताछ क्यों नहीं की गई.
- घटना के बाद बेटी पंकजा मुंडे ने शक जताते हुए जो फेसबुक पोस्ट लिखा, उसे डिलीट करने की जरूरत क्यों पड़ी?
औऱ आखरी बात
जिस कार का एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें मुंडे मृत पाए गए थे, वह थाना तुगलक रोड, नई दिल्ली में है. उसे हालत देखकर नहीं लगता कि इतने मामूली एक्सिडेंट में किसी की जान जा सकती है. और बाकी दो लोग इतने स्वस्थ बच गए कि मुंडे को अस्पताल ले गए और बयान भी दे दिया? अगर मुंडे के साथ हुई घटना की सर्वदलीय संसदीय समिति की निगरानी में जांच कराई जाए, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल और प्रशांत टंडन की एफबी वॉल से.