कैसे कोई अख़बार अपनी ख़बर को मज़ाक की हद तक झूठा लिख सकता है, उसकी एक बानगी। अपनी एक खबर में हरिभूमि छाप रहा है कि दिल्ली से कनहर बांध गए जांच दल को गांव वालों ने बंधक बनाया था और रात में बघाड़ू गांव में जाकर पुलिस प्रशासन ने दल को रिहा करवाया।
सबसे ज्यादा दिलचस्प बात ये है कि समूची खबर को हमारे मित्र शिवदास के हवाले से लिखा गया है, जो हमसे वापसी के दौरान रॉबर्ट्सगंज में मिले थे और 19 की रात जब बघाड़ू में पुलिसवालों ने हमें घेरा और दुर्व्यवहार किया, उस दौरान वे लगातार डीएम और मीडिया को फोन करते रहे। हमारे दुद्धी सुरक्षित पहुंचने पर शिवदास ने ही तमाम पत्रकारों को वहां हमारा हाल लेने भेजा था। यह मामला इतना हलका नहीं है। मुझे लगता है कि जांच दल को अपना आधिकारिक खण्डन इस अखबार को तुरंत भेजना चाहिए और उसकी एक प्रति प्रेस काउंसिल में भी भेजी जानी चाहिए। शिवदास को भी अखबार पर कार्रवाई करनी चाहिए।
अभिषेक श्रीवास्तव के एफबी वॉल से
भड़ास पर उपरोक्त खबर पब्लिश होने के बाद हरिभूमि अखबार ने अपनी वेबसाइट से संबंधित खबर को रिमूव कर दिया है.