मुख्यमंत्री श्री हरीश रावत के नाम खुला पत्र
प्रति,
श्रीमान मुख्यमंत्री,
उत्तराखंड शासन,
देहरादून.
आदरणीय मुख्यमंत्री जी,
उम्मीद है कि आप शीघ्र स्वस्थ होंगे. मैं आपका ध्यान एक बेहद गंभीर मसले की ओर एक बार फिर आकर्षित करना चाहता हूँ.
महोदय, दिनांक 17 जुलाई, 2014 को राज्य सभा में केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक प्रश्न के उत्तर में यह स्वीकार किया कि उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक श्री बी.एस. सिद्धू ने देहरादून के बीरगीरवाली में आरक्षित वन भूमि को खरीदने का षड़यंत्र रचा और इस भूमि पर खड़े साल के पेड़ भी काटे. केंद्रीय मंत्री का संसद के उच्च सदन में दिया गया यह वक्तव्य बेहद गंभीर और चिंताजनक है. सरकारी जमीन खुर्द-बुर्द करने का षड़यंत्र रचने वाला और पेड़ काटने वाला व्यक्ति आखिरकार किसी भी राज्य में पुलिस का मुखिया कैसे रह सकता है?
महोदय, यह पहला मौक़ा नहीं है जबकि श्री बी.एस. सिद्धू के खिलाफ इस तरह के गंभीर आरोप सामने आये हैं. इससे पहले नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में उत्तराखंड सरकार की ओर से राज्य के मुख्य सचिव श्री सुभाष कुमार ने भी शपथ पत्र देकर श्री बी.एस. सिद्धू के खिलाफ आरक्षित वन भूमि खुर्द-बुर्द करने, पेड़ कटवाने और वन कर्मियों के खिलाफ फर्जी मुकदमा दर्ज करवाने की बात स्वीकार की थी. उच्च न्यायालय, नैनीताल ने भी उक्त मामले की जांच के लिए एस.आई.टी. का गठन करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है.
महोदय, यह बात तो समझ से परे है कि जिस व्यक्ति को राज्य सरकार अपने शपथ पत्र में गंभीर अपराध का दोषी मानती है, केन्द्र सरकार भी राज्य सरकार की रिपोर्ट का हवाला देकर ही अपराधी करार देती हो, आखिर आपकी सरकार की क्या मजबूरी है कि ऐसे व्यक्ति को ही आपकी सरकार राज्य पुलिस का मुखिया बनाए हुए है? जिस पुलिस का काम राज्य में कानून व्यवस्था कायम रखना है, उस पुलिस का सर्वोच्च अधिकारी ही सरकार की स्वयं की स्वीकारोक्ति के अनुसार गंभीर अपराध में लिप्त है तो उस पुलिस से कानून व्यवस्था कायम रखने की अपेक्षा कैसे की जा सकती है? एक ओर बी.एस.सिद्धू के खिलाफ उत्तराखंड सरकार नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में शपथ पत्र देने से लेकर केन्द्र सरकार तक को उनके विरुद्ध रिपोर्ट देती है और दूसरी तरफ उन्ही बी.एस. सिद्धू को राज्य पुलिस का मुखिया बनाये रखती! यह विरोधाभास तो आपके नेतृत्व वाली राज्य सरकार की कथनी-करनी और मंशा पर ही सवाल खडा करता है. इस सारे वाकये को ऐसा क्यूँ नहीं समझा जाना चाहिए कि आपके नेतृत्व वाली सरकार एक अपराधी प्रवृत्ति के अफसर का संरक्षण कर रही है? दुर्भाग्यपूर्ण यह भी है कि मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा भी खामोश रह कर आपकी सरकार के इस कृत्य का परोक्ष समर्थन ही कर रही है.
महोदय, भाकपा(माले) की ओर से पूर्व में भी हमने श्री बी.एस. सिद्धू को तत्काल पद से हटाने की मांग की थी. पुनः मैं इस मांग को दोहराना चाहता हूँ कि श्री बी.एस. सिद्धू को तत्काल पद से हटाया जाए, उन्हें सरकारी जमीन खुर्द-बुर्द करने, पेड़ काटने और वन कर्मियों के खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करवाने के लिए गिरफ्तार कर जेल भेजा जाए. साथ ही इस सारे प्रकरण की जांच सी.बी.आई. या राज्य के बाहर की किसी अन्य एजेंसी से करवाई जाए.
महोदय, चूँकि आप निरंतर राज्य के मुद्दों को लेकर केंद्र सरकार को पत्र लिख कर समाधान की अपेक्षा करते हैं. मैं भी आप से इतनी भर अपेक्षा करता हूँ कि आप अपनी ही सरकार के शपथ पत्र और रिपोर्ट के प्रति गंभीर होकर अपराधी प्रवृत्ति के इस अधिकारी के खिलाफ तत्काल कार्यवाही करेंगे और इस पत्र का उत्तर देने की कृपा भी करेंगे.
सधन्यवाद,
सहयोगाकांक्षी,
इन्द्रेश मैखुरी,
गढ़वाल,
सचिव, भाकपा(माले)
purushottam asnora
November 9, 2014 at 7:52 pm
sarkar bhart noukarshi ki bandak ho gayi hai.