कल ऑस्ट्रेलिया ने भारत से आखिरी समय विश्व कप का खिताब झटक लिया. अहमदाबाद के स्टेडियम में खेले गये मैच की तमाम तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं. एक तस्वीर खिलाड़ी मिशेल मार्श की है, जो वायरल है. इस तस्वीर में मार्श ट्रॉफी पर पांव रख कर बैठे हैं. इसी तस्वीर में ट्रॉफी पर पांव रखने ना रखने को लेकर ट्वीटर पर पत्रकारों के बीच ज्ञान का आदान प्रदान चल रहा है. पढ़िए किसने क्या लिखा?…
पत्रकार शुभम शुक्ला ने ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी मार्श की तस्वीर शेयर कर लिखा है, ‘संस्कृति और सभ्यता का संस्कारों पर बहुत असर पड़ता है. हमारे यहां एक साइकिल लेन पर भी उसकी पूजा होती है, ये अनमोल विश्वकप ट्रॉफी पर पैर रखने को शान समझ रहे हैं. तस्वीर में मिशेल मॉर्श हैं.’
मॉलिटिक्स के पत्रकार मयंक लिखते हैं, ‘विश्व कप की ट्रॉफी की शुरुआत उसी पाश्चात्य सभ्यता में हुई, भारत ने नहीं की! विश्व कप जीतना होता है न कि ज़्यादा संस्कार वाले को दान/भेंट/उत्तराधिकार में मिलता है. वहां किसी अमित शाह का बेटा, क्रिकेट संघ का अध्यक्ष नहीं होता. वहां कोई कोच के पैर नहीं छूता, फिर भी अच्छा परफॉर्म करता है. क्या चाहते हो ब्राह्मण देवता कि जीतने वाले की जगह, इसकी पूजा करने वाले को ट्रॉफी दी जाए? ट्रॉफी है, लक्ष्मी गणेश की मूर्ति नहीं है.
आखिरी बात – बकवास बंद करो और काम पर फोकस करो, जिन देशों में विश्वकर्मा पूजा नहीं होती, इंजीनियरिंग और निर्माण में वो हमसे बेहतर हैं!’
पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने लिखा है, ‘वो लोहे/पीतल/धातु की चीज को पैरों में रखते हैं। फिर भी अब तक जितने विश्व कप हुए उनमें से आधे जीतते हैं। हम ट्रॉफ़ीज की पूजा करते हैं फिर भी हार जाते हैं। इसका अर्थ पूजा से कुछ नहीं होता।’
पढ़िए राजेंद्र सिंह की विस्तृत प्रतिक्रिया-
ट्रॉफी पर पैर रखने के लिए पहले ट्रॉफी जीतना पड़ता है!
राजेंद्र सिंह-
कोई भी खेल केवल खेल होता है, जिसमें कभी जीत तो कभी हार होती है। इसमें जीतता वही है जिसके बाजुओं में ताकत, कलेजे में हिम्मत और पैरों के जूतों में धमक होती है। ठीक जिंदगी भी यही है जिसमें हर कदम एक नई जंग आपका स्वागत करती मिलती है। इसे खुशदिली से जीने के लिए भी उपर्युक्त चीजों की ही जरूरत होती है। चाहे जिंदगी की जंग हो या खेल का मैदान इसमें विजयी होने के लिए आस्था, अंधश्रद्धा, पूजा की जरूरत के बजाय जुनून, जिद, जज्बा हर कदम पे ही चाहिए होता है।
यहाँ तक कि प्रतिष्पर्धा, जलन , ईर्ष्या जैसी भावनाएं भी आपकी रगों में रक्तसंचार तेज करते हैं। प्रभू हम तो तेरी भोली भेड़े मात्र हैं कहकर जंग नहीं जीती जा सकती । रोम का पोप जब नेपोलियन को फ्राँस का मुकुट पहनाने के उठा तो नेपोलियन ने तलवार उठाई और पोप को अपनी जगह बैठने के लिए कहा। फिर उसी तलवार से मुकुट उठाकर खुद के सर पे धारण कर लिया। बिस्मार्क ने भी वर्षाय के महल में जर्मनी का नक्शा यूरोपियन शक्तियों के सामने अपनी तलवार से ही खींचा था और उसका एकीकरण किया था ।
ऑस्ट्रेलिया में ट्रॉफी के लिये पूजा नहीं होती और ना वे ट्रॉफी पूजते हैं। वे खेल को खेल की तरह लेते हैं। बड़े टूर्नामेंट के लिए पैसा लीग IPL तक ठुकरा देते हैं। खेल को प्रोफेशनली लेते हैं, इमोशनली नहीं। उनकी पुरुष क्रिकेट टीम 6 वर्ल्ड कप टाइटल, 1 टी20 वर्ल्ड कप और एक बार डब्ल्यूटीसी टाइटल जीत चुकी है। वहीं महिला क्रिकेट टीम 7 वर्ल्ड कप, 6टी 20 वर्ल्ड कप और कॉमनवेल्थ गोल्ड जीत चुकी है। ऑस्ट्रेलिया में रग्बी और हॉकी भी पसंद किया जाता है। मेंस रग्बी टीम 2 बार वर्ल्ड कप जीत चुकी है। 4 बार की रग्बी चैंपियन है। उनकी मेंस हॉकी टीम 3 बार वर्ल्ड कप का ख़िताब जीत चुकी है। महिला टीम भी ये ख़िताब 2 बार जीत चुकी है। जैसे हमारे यहाँ क्रिकेट एक कल्चर है, उनके वहाँ खेल ही कल्चर है। वे मेहनत करते हैं, लड़ते हैं, जूझते हैं और फिर उसे अपने कदमों में रखते हैं। बात बस इतनी सी है। हाय तौबा मत करिए। ट्रॉफी पर पैर रखने के लिए पहले ट्रॉफी जीतना पड़ता है।
कृपया इसमें अपनी दो कौड़ी की आस्था और इमोशन को मत जोड़िए। ये दोनों चीजें मनुष्य जाति को कायर, भीरू और नपुंसक बनाती हैं। समाज और उसके सभी नागरिकों में भेड़ की सी मानसिकता को जन्म देती हैं। और जिस देश और देशवासियों में “लायन मोरल्टी” नहीं है वो किसी भी क्षेत्र में आगे नहीं बढ़ सकता, दुनियाँ का नेतृत्व नहीं कर सकता, नई सोच, नई दिशा, नई वैज्ञानिक खोजें, नए प्रयोग नहीं कर सकता..और हां विश्व गुरु तो किसी भी क्षेत्र में कदापि नहीं बन सकता। जूतों और बाजुओं के दम पे जीती गई ट्राफी कोई अपने मां बाप की आखिरी निशानी नहीं जिसे हम आजन्म सहेज के रखें, सर माथे लगाएं..ये सदैव जूतों के नीचे ही रहनी चाहिए। यही कल्चर उन्हे हमसे श्रेष्ठ बनाता और आगे ले जाता है। आज भी हम 1983 विश्वकप की तस्वीरों में ही अटके पड़े हैं..✍️
Sumit
November 23, 2023 at 11:01 am
Kya Ganesh ji luxmi ji ki murti pe pair rakh sakte ho aap