चमचे पत्रकार अब भी कर रहे अखबार बंद होने का खंडन… मार्च में दिल्ली से नोएडा शिफ्ट हुआ प्रयुक्ति अखबार लंबे समय से चली आ रही पैसे की तंगी की वजह से छपना बंद हो गया है। 17 सितंबर के बाद से प्रयुक्ति अखबार बाजार में आना बंद हो गया है। इसके चलते संस्थान में काम करने वाले कई मीडियाकर्मियों की दो से तीन माह की सेलरी फंस गई है। सेलरी में लगातार हो रही देरी की वजह से यहां काम करने वाले मीडियाकर्मियों ने अखबार के मालिक संपत से काम करने से मना कर दिया था। उसी दिन से अखबार छपना बंद हो गया है।
17 सितंबर के बाद से अखबार का ईपेपर भी नेट पर मौजूद नहीं है। प्रिंटिग प्रेस का भी संपत की ओर भारी बकाया बताया जा रहा है। हालांकि अखबार प्रबंधन की ओर से ऐसे कुछ कर्मचारियों को 11 अक्टूबर की तारीख के चेक दिए गए हैं। लेकिन बैंक में बैलेंस नहीं होने की वजह से इनका क्लियर होना मुश्किल है। यहां के कर्मियों में भय बना हुआ है कि मालिक नोएडा स्थित अखबार के दफ्तर पर किसी भी दिन ताला लटका कर गायब हो सकता है। अपनी बकाया सेलरी मांगने वाले कर्मियों का फोन उठाना उसने पहले ही बंद कर दिया है। रिपोर्टिंग व पेजीनेशन स्टाफ से लेकर दूसरे विभाग के कर्मी अखबार को छोड़कर जा चुके हैं।
प्रयुक्ति अखबार का मालिक संपत
अखबार में अब केवल मुकुंद, जाहिद अली, रिषिपाल टोंकवाल, अशोक प्रियदर्शी और महबूब अली रह गए हैं। फोटोग्राफी हेड को संपत ने नौकरी से निकाल दिया है। फोटोग्राफी विभाग में भी अभी तीन लोग टिके हुए हैं। हालांकि इनकी सेलरी भी दूसरे कर्मियों की तरह लटकी हुई है। काम छोड़ने वाले कर्मियों में इस बात को लेकर भी गुस्सा है कि अखबार की हालत खराब करने में मालिक के कुछ खास चमचे पत्रकारों, जो कि बड़े पदों पर विराजमान हैं, की बड़ी भूमिका है। इन्हीं लोगों ने पहले कर्मियों को लेट होती सेलरी की बात को लेकर उकसाया था। इसके बाद जब सभी लोग मालिक के सामने सेलरी की बात को लेकर पहुंचे तो ये दोनों खुद पीछे हट गए। अब ये चमचे पत्रकार अखबार बंद होने का खंडन कर रहे हैं जबकि सच्चाई सबको पता है।
उधर, प्रयुक्ति में कार्यरत स्थानीय संपादक मुकुंद का कहना है कि अखबार बंद नहीं हुआ है, कृपया अफवाह न फैलाएं। जब उनसे 17 सितंबर से अखबार का ईपेपर भी न अपलोड किए जाने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। सिर्फ यही कहते रहे कि अखबार बंद नहीं हुआ है।
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