रवीश कुमार-
मैं ठीक हूं। कई लोगों ने कहा कि मैं कैसे ठीक हुआ, उस पर लिखूं। इस पर काफी सोचा और इस निर्णय पर पहुंचा हूं कि मैं यह नहीं लिखूंगा कि कब और कौन सी दवा ली। कोविड में मुमकिन है कि मेरा और आपका लक्षण एक हो लेकिन यह कत्तई ज़रूरी नहीं कि दोनों की दवा एक हो। मेरे और आपके शरीर की दुर्बलता और सबलता अलग अलग हो सकती है। डॉक्टर इसी के आधार पर दवा में मामूली से लेकर बड़ा बदलाव करते रहते हैं।एक आदमी की दवा दूसरे आदमी को नहीं दी जा सकती।
लेकिन अनुशासन से संबंधित कुछ बातें लिखना चाहूंगा।
इस बीमारी में अपने लक्षणों और बुखार को लेकर ईमानदार और सटीक होना पड़ता है। कई लोग जनरल बात करते हैं। राम कहानी बतियाने लगेंगे। कि तीन-चार रोज़ कुछ हुआ था। तापमान तो नहीं लिए लेकिन बुखार जैसा कुछ तो था। यह सटीक जानकारी नहीं हुई। कई लोग कहेंगे कि ज़रा सा दर्द तो हुआ था। लेकिन उसके बाद पता नहीं। ऐसा बिल्कुल न करें। आप कोविड के लक्षणों की सही जानकारी रखें। कई लोग बुखार का तापमान नहीं लेते हैं। कहने लगेंगे कि थोड़ा बुखार तो था।एक दिन में चार बार बुखार आएगा तो बोलेंगे कि लगता है दो ही बार आया। तापमान भी नहीं लेते हैं। कुछ जनरल सा बोल देते हैं। तो यह काम नहीं करना है। इस तरह से आप अपने डाक्टर से बात नहीं करेंगे। आप कहेंगे कि 3 तारीख को 99 था। फिर 100 था और शाम को 101 हुआ। फिर चार तारीख का इसी तरह बताएंगे। और पहले दिन से लेकर पांचवे दिन का पूरा एक चार्ट बनाएंगे। और कोई लक्षण है तो बुखार के साथ वो भी लिखेंगे। जैसे ही आप वो चार्ट अपने डाक्टर के सामने पेश करेंगे तो आपके डॉक्टर कम समय में सारी बात जान जाएंगे। दिनों को लेकर आपकी गिनती सही होनी चाहिए। ऐसे कहैे कि आज तीसरा दिन है और आज भी बुखार 100 से अधिक है। आज चौथा दिन है लेकिन मेरा बुखार 100 से कम ही रहता है। अपने डॉक्टर से एक सवाल ज़रूर करें। कितना बुख़ार आने पर क्रोसिन या पैरासिटामोल लेना चाहिए। यह सवाल आपके लिए बहुत अहम है।
कोविड के समय हर डॉक्टर के ऊपर सैंकड़ों मरीज़ों का भार है। ज़ाहिर है उनके पास वक्त कम है। इससे डॉक्टर को भी लगेगा कि मरीज़ अलर्ट है। एक ही नज़र में सारी जानकारियों को देख लेगा। इससे दवा देने में देरी नहीं होगी। लक्षण आने के पांचवें दिन 100 या 101 बुखार है तो अपने डाक्टर को तुरंत फोन करें और उनसे ज़रूरी राय लें। पांचवा दिन बेहद अहम हैं। दवा डाक्टर से पूछ कर लेंगे न कि दोस्तों से पूछ कर। व्हाट्स एप फार्वर्ड और वीडियो वायरल देखकर तो बिल्कुल ही नहीं।
कोविड में देखा गया है कि अस्सी फीसदी लोग अपने आप ठीक हो जाते हैं। ऐसे लोगों के आत्मविश्वास से बचिए। यही लोग कोविड के माहौल की गंभीरता को ख़राब करते हैं कि कोविड कुछ नहीं है। मैंने तो कोविड को हरा दिया। ऐसे विजेताओं को अस्पताल लेकर जाइये और कहिए कि जो लोग वेंटिलेटर पर हैं उन्हें भी जीतने का ज़रा तरीका बता दो। मुंह से आवाज़ नहीं निकलेगी। आसानी से ठीक होने वाले लोग कभी कहेंगे कि काढ़ा पीकर ठीक हो गया तो कभी कहेंगे कि मंत्र जाप करने से ठीक हो गया। इन लोगों को तो वैसे ही ठीक होना था अगर ये काढ़ा न भी पी पीते। इनसे सावधान रहें।
कोविड में 15-20 प्रतिशत मरीज़ गंभीर हो जाते हैं। कौन सा मरीज़ 20 प्रतिशत में है और कौन सा 80 प्रतिशत में आएगा, इसे पहले से नहीं जान सकते हैं। इसलिए सतर्कता तो बरतनी ही है। आपको खुद को तैयार करना है कि अगर आप 20 प्रतिशत में आते हैं तो क्या करेंगे, डाक्टर को क्या क्या बताएंगे। कोविड में आप कोई भी सूचना न ख़ुद से छिपाएं और न डाक्टर से छिपाएं। खाना ठीक से खाएं। मनोबल बनाए रखें।
कोई भी दवा लेने से पहले डाक्टर को बताएं। कई बार आप दवा नहीं खाते हैं तो वह भी बता दें। देखा गया है कि एक डाक्टर से दवा ली। दूसरे डाक्टर से भी ले ली। आधा इनका खाया और आधा उनका। ऐसा तो बिल्कुल नहीं करना है। जिस डाक्टर ने आपको दवा की पर्ची दी है, अगर आप उनकी दवा नहीं ले रहे हैं तो वह भी बता दें। आप डॉक्टर से ईमानदार रहें। उनसे छल न करें। जैसे फेसबुक पर मदद की अपील पोस्ट करने के चक्कर में दो दिन बाद ध्यान आया कि नेबुलाइज़र का इस्तमाल करना था। मैंने डाक्टर को यह बात बता दी कि ग़लती हो गई। अब क्या होगा। ख़ैर चिन्ता की बात नहीं थी। आपसे ऐसी चूक हो जाए तो आप डरेंगे नहीं बल्कि अपने डॉक्टर से सच बोलेंगे। सटीक जानकारी के साथ बोलेंगे। तारीख और दिनों की गिनती के साथ बोलेंगे। अपने लक्षणों को सही से समझ कर बोलेंगे।
बाकी जिस देश में लोग आक्सीज़न के बगैर तड़प कर मर गए हों, उस देश में यह बोलना निर्लज्जता है कि चिन्ता न करें सब ठीक होगा। इस तरह के ग़लत भरोसे में न रहें। आपको पता होना चाहिए कि सरकार ने न जाने कितने लोगों को डुबा दिया। वे असमय मर गए। इसलिए आप कोविड की चिन्ता तो करें मगर चिन्ता अपनी सर्तकता और सटीक जानकारी को लेकर करें। सरकार की लापरवाही को याद रखें।