अशोक कुमार पांडेय-
ख़बर आ रही है कि भाई Ravish Kumar ने NDTV से इस्तीफ़ा दे दिया। अड़ानी की टीम के साथ काम करना उनके लिए अपमानजनक ही होता।
लेकिन चुप रहना तो कायरों का काम है, रवीश को तो ‘बोलना ही है।’ उनका यूट्यूब चैनल आ ही चुका है।अब शायद वह और खुलकर बोल सकें।
मैं तो यही कहूँगा- आज़ादी मुबारक
आशुतोष उज्ज्वल-
जो बिका नहीं वो टिका नहीं। लोग जिससे प्यार करते हैं, जिसे सलाम करते हैं उसके लिए नौकरी का अंत जिंदगी का अंत नहीं है। नाचने वालों की खुशी वाजिब है लेकिन उन्हें डरना भी चाहिए क्योंकि इंस्टालमेंट्स और कंपनी पॉलिसीज से आज़ाद पत्रकार उनके लिए ज़्यादा खतरनाक है।
अमिताभ श्रीवास्तव-
रवीश कुमार प्रसंग में यह भी पढ़ लें। एक जनपक्षधर पत्रकार के तौर पर रवीश ने जो सम्मान अर्जित किया है, वह दुर्लभ है।
शांडिल्य निवेदिता-
रवीश कुमार ने NDTV से इस्तीफा दे दिया। बचपन से ही एनडीटीवी का मतलब रवीश कुमार ही समझा है।
आभा शुक्ला-
रवीश कुमार ने एनडीटीवी से इस्तीफा दिया..
रवीश की चिंता मत करिए… वो तो भारतीय जर्नलिज्म की आत्मा हैं… वो अगर सड़क पर खड़े होकर भी न्यूज पढ़ेंगे तो भी आधा भारत खड़ा हो जायेगा उन्हें सुनने के लिए…अपना यूट्यूब चैनल बनाकर वो एनडीटीवी से मिलने वाली सैलरी से कमा भी ज्यादा लेंगे…
चिंता तो एनडीटीवी को अपनी होनी चाहिए… एनडीटीवी बिना रवीश के शून्य है और सदैव शून्य ही रहेगी… ये शून्य कभी नही भरेगा…
एक पत्रकार से निपटने के लिए पूरा चैनल ख़रीद डाला.. सलाम है रवीश आपको…,जब इतिहास लिखा जायेगा तो साथ ये भी लिखा जायेगा की जिस दौर में कौड़ियों के भाव पत्रकार बिक रहे थे तो वहां एक रवीश नाम का अनमोल हीरा भी था जिसे खरीदा नही जा सका..
हाय रे फूटी किस्मत एनडीटीवी की…
अनिमेष मुखर्जी-
रविश कुमार का नोटिस पीरियड तभी से चालू हो गया था, जब से उन्होंने यूट्यूब पर वीडियो अपलोड करना शुरू कर दिया था। आज जो हुआ वो सिर्फ औपचारिकता थी।
प्रियंका-
रविश जहां खड़े हो जाएंगे वहां प्राइम टाइम शुरू हो जाएगा, और अब यही होगा!
मोहम्मद अनस-
एक Ravish Kumar को खरीदने के लिए सरकार ने पूरा चैनल खरीद लिया, पर अफसोस रवीश को नहीं खरीद सके।
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कहने की आज़ादी है इसलिए उपरोक्त कमेंट्स से असहमत हूँ।
1. सिर्फ एक व्यक्ति विशेष की आलोचना पत्रकारिता नही है।
2. आलोचना सिस्टम के गलत फैसलों की होनी चाहिए व्यक्ति विशेष की नही।
3. सिस्टम या व्यक्ति पूर्ण रूप से सिर्फ खराब नही हो सकता, अच्छाई उजागर करना भी असली पत्रकारिता है।
4. हमेशा संस्थान बड़ा होता है व्यक्ति नही।
5. .........एक पत्रकार व इंसान होने के तौर पर। रविश जी, भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
हर दिन रात नौ बजे रवीश कुमार का इंतजार रहता था। जब वे नहीं आते थे तो काफ़ी खलता था। बेटी भी फोन पर पूछती थी रवीश को देख रहे हैं क्या??? मैं अक्सर कहता कि आज आया नहीं बहुत छुट्टी लेता है।
रवीश ने NDTV को अलविदा कहा, जिस कारण से कहा अच्छा लगा। वैसे अपना यूट्यूब चैनल लाकर संकेत दे दिया था।
रवीश कुमार को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं भी।