Connect with us

Hi, what are you looking for?

सियासत

रूल्स आर मेड फॉर फूल्स… समरथ को नहीं दोष गुसाईं…

Ashwini Kumar Srivastava-

कल्पना कीजिए कि अगर सेकंड वर्ल्ड वार में हिटलर जीत गया होता तो हम क्या इतिहास पढ़ रहे होते ? इतिहास में आज जो जगह हिटलर की है, नरसंहार के दोषी नरपिशाच की वही छवि हिटलर की जीत के कारण शायद अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति की होती.

आज हम पढ़ते हैं कि हिटलर ने साठ लाख यहूदियों का नरसंहार किया और हिटलर को रोकने के लिए अमेरिका ने दो परमाणु बम गिराए. यानी इतिहास का नायक अमेरिका है और खलनायक हिटलर.

Advertisement. Scroll to continue reading.

चूंकि इतिहास हमेशा विजेता ही लिखते हैं इसलिए हिटलर अगर जीतता तो शायद इतिहास में तब यह लिखा जाता कि अमेरिका ने लाखों जापानियों का नरसंहार किया और हिटलर ने ऐसे नरपिशाच अमेरिकी नेता से दुनिया को मुक्ति दिलाई.

तब यहूदियों के नरसंहार को भी या तो इतिहास से गोल कर दिया जाता या उस नरसंहार के लिए भी कोई तर्क गढ़ लिया जाता , जैसे अमेरिकी परमाणु हमले के लिए गढ़ा गया है.
मेरे पिता जी अक्सर हमसे मजाक में लेकिन सच्चाई से अवगत कराने के लहजे में कहते हैं कि रूल्स आर मेड फॉर फूल्स… माइट इज राइट या समरथ को नहीं दोष गुसाईं जैसी कहावतें दुनिया में इसी सच्चाई का बोध कराने के लिए बनाई गई हैं.

Advertisement. Scroll to continue reading.

नियम कानून को मानने की बाध्यता हमेशा कमजोर (जिन्हें हम फूल्स यानी मूर्ख भी मान सकते हैं) के लिए होती है. उदाहरण के लिए देखिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने दुनिया भर के लिए अपने नियम कानून से जवाबदेही तय कर रखी है लेकिन इराक और अफगानिस्तान जैसे देशों में अमेरिका ने झूठे सच्चे आरोप लगाकर भारी विनाश किया.

फिर भी संयुक्त राष्ट्र संघ तो क्या दुनिया में कोई अमेरिका को इसके लिए कटघरे में नहीं खड़ा कर पाया.

Advertisement. Scroll to continue reading.

अब जबकि इस्राएल ने अपने नागरिकों की हत्या करने वाले हमास से बदला लेने के बहाने फलस्तीन के नागरिकों का नरसंहार शुरू कर दिया है, तो यही संयुक्त राष्ट्र संघ अपने नियम कानूनों को फिल्म गजनी के नायक की तरह भूल चुका है. क्योंकि इस्राएल के पीछे अमेरिका चट्टान की तरह खड़ा है.

जाहिर है, मौजूदा ताकतों यानी अमेरिका व इस्राएल आदि के प्रभाव के कारण जब भी इतिहास लिखा जाएगा तो उसमें केवल हमास द्वारा किए गए नरसंहार का जिक्र प्रमुखता से किया जाएगा.

Advertisement. Scroll to continue reading.

जबकि इस्राएल का जवाबी नरसंहार या तो इतिहास में दर्ज नहीं होगा या फिर इस तरह दर्ज किया जाएगा, मानों फलस्तीन के नागरिकों को नहीं बल्कि हमास को साफ किया जा रहा था.

इसलिए इतिहास पढ़िए जरूर लेकिन नायक कौन और खलनायक कौन है, इसका फैसला इतनी आसानी से मत कर लीजिए.

Advertisement. Scroll to continue reading.

क्या पता इतिहास जिसे नायक बताता आया हो, वही तब असली खलनायक रहा हो? या फिर इतिहास में कोई नायक रहा ही न हो बल्कि दोनों पक्ष खलनायक रहे हों… कोई कम तो कोई ज्यादा.

ताकतवर देश, संस्था हो या कोई व्यक्ति हो, खुद को सही अथवा नायक घोषित करना उसके बाएं हाथ का खेल है. जबकि कमजोर के लिए अपने को निर्दोष अथवा सही साबित करना केवल तभी संभव हो सकता है, जब खुद उसके पास वैसी या उससे बड़ी ताकत आ जाए…

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement