Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

सहाराश्री का जाना-2 : सबसे बड़ी प्राइवेट कंपनी, सबसे बड़ा मीडिया हाउस, सबसे बड़ी एयरलाइंस, सबसे बड़ा रियल स्टेट कारोबार… जो भी करना था सबसे बड़ा करना था!

अनिल भास्कर-

सहाराश्री को कम्पनी में लम्बे समय तक ‘बड़े साहब’ कहकर भी सम्बोधित किया जाता रहा। दरअसल वह रॉय परिवार में बड़े भाई थे। जयब्रत रॉय छोटे, इसलिए छोटे साहब कहलाते हैं। लेकिन मेरा तजुर्बा है कि सहाराश्री वाकई बड़े थे। बहुत बड़े। सिर्फ उम्र में नहीं। ‘बड़ा’ शब्द उनके व्यक्तित्व के हर टुकड़े से ध्वनित होता था। वह हमेशा कहते थे- सपने ‘बड़े देखो और उसे अपनी ज़िंदगी का ध्येय बना लो। कुछ बड़ा करो।’

Advertisement. Scroll to continue reading.

यह भी समझाते- ‘सपने देखने वाले लोग दो तरह के होते हैं। एक वो जो सपने देखते हैं और आंखें खुलने पर उन्हें पूरा करने निकल पड़ते हैं। दूसरे वो जो सपने देखते हैं और नींद टूटने पर करवट बदल कर दोबारा सो जाते हैं, एक नया सपना देखने के लिए। अब तुम्हें सोचना है कि तुम किस श्रेणी में हो।’ यह नसीहत वह दे सकते थे क्योंकि उन्होंने अपनी ज़िंदगी में इस फलसफे को बखूबी जीया था। किताबों की जगह उन्होंने ज़िंदगी को गहरे पढ़ा था।

तभी गोरखपुर जैसे गंवई संस्कृति वाले अल्पविकसित शहर में पला बढ़ा यह नौजवान बगैर बड़ी पूंजी और उच्च, तकनीकी या व्यावसायिक शिक्षा के देश का सबसे बड़ा बिजनेस हाउस बनाने का सपना लेकर चल पाया। वर्ष 2000 तक वह सहारा इंडिया को निजी क्षेत्र की सबसे अधिक कर्मचारियों वाली कम्पनी बनाने में सफल भी रहे। लखनऊ में सांध्य सहारा की छोटी पारी के बाद 1991 में जब नोएडा से राष्ट्रीय सहारा का प्रकाशन शुरू किया तो देश का सबसे बड़ा मीडिया हाउस खड़ा करने के सपने के साथ।

इसके बाद 1993 में जब एयरवेज की दुनिया में पहली उड़ान भरी, तब भी सपना देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस बनाने का था। बाद के वर्षों में सहारा इंडिया रियल एस्टेट कंपनी और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन की स्थापना के साथ रियल एस्टेट के कारोबार में उतरे तब भी। एफएमसीजी सेक्टर में प्रोडक्ट डिविजन बनाया तब भी। क्यू शॉप खोले तब भी और सहारा नेक्स्ट का आगाज़ किया तब भी। सहारा इवॉल्स बनाते समय भी सपना सबसे बड़े का था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

यह बात अलग है कि इन बड़े बड़े सपनों को परवान चढ़ाने के दौरान या बाद में वह बुलन्दियों को स्थायी नहीं बना पाए। मगर इस नाकामी की वजह व्यावसायिक दृष्टिकोण की अपरिपक्वता नहीं रही, बल्कि अपने शुरुआती दिनों के साथियों को आगे बढाने की भावनात्मक जिद थी। वह चाहते तो इन उद्यमों के व्यावसायिक प्रबंधन के लिए कॉरपोरेट जगत के दिग्गजों की टीम आयात कर सकते थे। पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। बल्कि हमेशा पुराने साथियों पर भरोसा जताया। उन्हें बेहतरी के अवसर उपलब्ध कराए। इसलिए यह कहना उचित रहेगा कि उन्होंने हमेशा व्यावसायिकता के ऊपर भावनात्मकता को तरजीह दी।

आप उनके इस बिजनेस फिलॉसॉफी को खारिज़ कर सकते हैं, क्योंकि इसने वित्तीय घाटा ही जना, मगर आपको यह भी स्वीकार करना पड़ेगा कि इसने पूरी कम्पनी को हमेशा भावनात्मक रूप से जोड़े रखा। उस दौर में शायद ही कोई कर्मचारी कभी कम्पनी से पलायन की सोच भी पाता था। यह और बात है कि इस बिजनेस मॉडल में कई अयोग्य और निरे अनुत्पादक भी बरसोबरस पलते रहे। उन्हें नौकरी से निकाला नहीं जा सकता था। जानते हैं क्यों? क्योंकि यह अधिकार 12 लाख कर्मचारियों वाली विशाल कम्पनी में सिर्फ और सहाराश्री के हाथों में सुरक्षित था।

Advertisement. Scroll to continue reading.

कभी कभी मैं सोचता था कि आखिर ऐसी भी क्या मजबूरी है भला? अगर कम्पनी को उन्नयन के मार्ग पर अग्रसर रखना है तो अकर्मण्यों की फौज ढोने का क्या फायदा? मगर उनकी सोच अलग थी। वह कहते- परिवार में सब एक समान कहां होते हैं? फिर भी सबको साथ लेकर चलना ही पड़ता है। तभी परिवार का आगे बढ़ता है। इसी में पूरे परिवार का कल्याण है।

आज सोचता हूं तो लगता है वाकई ऐसा कम्पनी मालिक कहां मिलता है दुनिया में? मिल ही नहीं सकता, क्योंकि धन कमाना अलग बात है, कर्मचारियों का समर्पण कमाना अलग बात। इस भौतिकवादी युग में जहां कम्पनी मालिक अपने कर्मचारियों का हद दर्जे तक शोषण करने पर आमादा दिखते हैं, वहां कर्मचारियों के कल्याण के लिए घाटे का सौदा सिर्फ सहाराश्री ही कर सकते थे। आज लाखों सहाराकर्मी अगर मर्माहत हैं, अनाथ महसूस कर रहे हैं तो यह सहाराश्री के जाने के बाद भी उनके जिंदा होने का प्रमाण है।
क्रमशः

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement