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उत्तर प्रदेश

यूपी में सपा की 80 में से 65 लोकसभा सीटों पर दावेदारी

अजय कुमार, लखनऊ

मध्य प्रदेश में चोट खाई इंडिया गठबंधन की प्रमुख भागीदारी समाजवादी पार्टी अब फूंक-फंूक कर कदम बड़ा रही है. एमपी विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने तय किया था कि समाजवादी पार्टी को इंडिया गठबंधन का हिस्सा होने के बाद भी सीटों के बंटवारे में हिस्सा नहीं मिलेगा,वहीं अब उत्तर प्रदेश को लेकर समाजवादी पार्टी ड्रांइविंग सीट पर है और उसने साफ कह दिया है कि वह(सपा) यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है, इसके बावजूद यदि इंडिया गठबंधन चलता रहा तो भी वह कम से कम 65 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी, यानी 80 फीसदी से अधिक लोकसभ सीटों पर समाजवादी पार्टी के ही प्रत्याशी नजर आयेगें,बाकी की 15 सीटें कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल के बीच में बंट जायेंगी.सपा नेतृत्व जिस तरह के तेवर दिखा रहा है,यदि वह उस पर अड़ा रहा तो यूपी में इंडिया गठबंधन संकट में आ सकता है.

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बहरहाल,गठबंधन को लेकर कांग्रेस से बढ़ती दूरियों के बीच यह यह पहला मौका है जब इंडिया गठबंधन में शामिल सपा लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर खुलकर सामने आई हैं. सपा प्रमुख अखिलेश ने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीटों के तालमेल को लेकर आखिरी समय तक उनकी कांग्रेस नेता कमलनाथ से बात होती रही.कमलनाथ ने भी कहा था कि मप्र में छह विधानसभा सीटों पर सपा अच्छा चुनाव लड़ेगी. इसी आधार पर कांग्रेस ने हमें सीटें देने का आश्वासन दिया था, लेकिन अंततोगत्वा कांग्रेस ने उस इकलौती सीट पर भी अपना प्रत्याशी उतार दिया जहां पिछले विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याषी की जीत हुई थी. सपा प्रमुख ने कहा कि उप्र में सपा बड़ी पार्टी है, लिहाजा लोकसभा चुनाव में उप्र में सीटों के तालमेल में उसकी निर्णायक भूमिका होगी.

खैर,गठबंधन का सूरत जो भी हो,परंतु सपा का शीर्ष नेतृत्व चुनाव तैयारियों मे कोई कमी नहीं रहने देना चाहता है.सपा अध्यक्ष ने लोकसभा चुनाव में पार्टी की चुनावी तैयारियों को उड़ान देने के साथ इस पर भी जोर दिया कि पार्टी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के कदम यथार्थ के धरातल पर टिके रहें.उन्होंने यह भी साफ किया कि जातिवार जनगणना की पैरोकारी करते हुए सपा की चुनावी तैयारियां ‘पीडीए’ (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) को फोकस में रखते हुए की जाएं।

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प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में प्रभारी नियुक्त करने के प्रयोग से असंतुष्ट सपा प्रमुख ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों को धार देने के लिए प्रदेश कार्यकारिणी के पदाधिकारियों व सदस्यों को हर विधानसभा क्षेत्र के प्रभारी का दायित्व सौंपा है। विधानसभा क्षेत्र प्रभारी पर संबंधित क्षेत्र में पार्टी के बूथ प्रबंधन व सदस्यता अभियान को गति व मजबूती देने के साथ मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान की निगरानी की जिम्मेदारी भी होगी. उसे आवंटित विधानसभा क्षेत्र में प्रत्येक बूथ अध्यक्ष, बूथ, सेक्टर व जोनल प्रभारियों का भौतिक सत्यापन करना होगा और विभिन्न कमेटियों के सदस्यों से परिचय प्राप्त करना होगा.

बूथ कमेटियों का सत्यापन करते हुए यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके गठन में पीडीए का फार्मूला लागू हुआ है और वह सही तरीके से काम कर रही हैं. उनसे विधानसभा क्षेत्र में 100 ऐसे बूथ चिन्हित करने के लिए कहा गया है जिनमें पीडीए का वर्चस्व हो और इन बूथों पर पार्टी के वोट बढ़ाने की हिदायत दी गई है.इसके अलावा विधानसभा क्षेत्र प्रभारी को क्षेत्र में सक्रिय रहना होगा और उन्हें माह के पहले शनिवार को होने वाली पार्टी की जिला इकाई की बैठक और महीने की पांच तारीख को होने वाली विधानसभा क्षेत्र की बैठक में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहना होगा. प्रत्येक माह के अंत में उन्हें विधानसभा क्षेत्र में चुनावी तैयारियों पर केंद्रित समग्र रिपोर्ट सपा के प्रदेश कार्यालय को भेजनी होगी.सपा प्रमुख ने प्रदेश कार्यकारिणी में कार्यकर्ताओं को कई नसीहतें भी दीं.

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