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श्री टाईम्स, लखनऊ के 30 पत्रकारों का दिपावली में निकला दिवाला

: लखनऊ के सैकड़ों पत्रकारों को पड़े वेतन के लाले :  लखनऊ। राजधानी लखनऊ में हिंदी अखबार श्री टाईम्स के पत्रकारों का दिपावली का दिवाला निकल गया है। यह श्री टाइम्स अखबार की ही हालत नहीं बल्कि श्री न्यूज चैनल की भी दुर्दशा है। पत्रकारों का पिछले तीन से चार माह तक की तनख्वाह बकाया है। मगर अफसोस की बात कि उन्हें दिपावली के शुभ अवसर पर भी उनकी खुशियों को प्रबंधन द्वारा फीका करने का काम किया गया है। श्री टाईम्स अखबार की हालत यह कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिला ब्यूरो कार्यालय पर ताला लग गया है।

<p>: <span style="font-size: 14pt;"><strong>लखनऊ के सैकड़ों पत्रकारों को पड़े वेतन के लाले</strong> </span>:  लखनऊ। राजधानी लखनऊ में हिंदी अखबार श्री टाईम्स के पत्रकारों का दिपावली का दिवाला निकल गया है। यह श्री टाइम्स अखबार की ही हालत नहीं बल्कि श्री न्यूज चैनल की भी दुर्दशा है। पत्रकारों का पिछले तीन से चार माह तक की तनख्वाह बकाया है। मगर अफसोस की बात कि उन्हें दिपावली के शुभ अवसर पर भी उनकी खुशियों को प्रबंधन द्वारा फीका करने का काम किया गया है। श्री टाईम्स अखबार की हालत यह कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिला ब्यूरो कार्यालय पर ताला लग गया है।</p>

: लखनऊ के सैकड़ों पत्रकारों को पड़े वेतन के लाले :  लखनऊ। राजधानी लखनऊ में हिंदी अखबार श्री टाईम्स के पत्रकारों का दिपावली का दिवाला निकल गया है। यह श्री टाइम्स अखबार की ही हालत नहीं बल्कि श्री न्यूज चैनल की भी दुर्दशा है। पत्रकारों का पिछले तीन से चार माह तक की तनख्वाह बकाया है। मगर अफसोस की बात कि उन्हें दिपावली के शुभ अवसर पर भी उनकी खुशियों को प्रबंधन द्वारा फीका करने का काम किया गया है। श्री टाईम्स अखबार की हालत यह कि उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिला ब्यूरो कार्यालय पर ताला लग गया है।

वर्तमान में राजधानी लखनऊ कार्यालय में करीब 30 पत्रकारों का पिछले तीन माह से वेतन बकाया है। दिपावली के अवसर पर अखबार प्रबंधन ने उन्हीं कर्मचारियों को तनख्वाह दिया है, जिन्होंने प्रबंधन की चापलूसी और मक्खनबाजी में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। श्री टाईम्स के पत्रकारों की जैसी स्थिति है, कुछ इसी प्रकार की स्थिति राजधानी के बड़े संस्थानों की भी है। स्वतंत्र भारत और जनसंदेश टाईम्स ऐसे अखबार हैं जो प्रति वर्ष करोड़ों रुपये का विज्ञापन अर्जन करते है। लेकिन इन संस्थानों के पत्रकारों को पिछले 6-6 माह का वेतन नहीं मिला। कुछ तो ऐसे भी है जो पिछले 6-6 माह का बकाय वेतन न मिलने से नाराज होकर संस्थान को त्याग चुके हैं। होली, दिपावली या किसी अन्य त्योहारों पर इनके पत्रकारों और अन्य कर्मचारियों को कार्यालय से एक डिब्बा मिठाई भी नहीं मिलता है।

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कई महीनों से वेतन न मिलने के बावजूद श्री टाईम्स के कर्मचारी नौकरी नहीं छोड़ पा रहे हैं क्योंकि कर्मचारियों को इस बात की आशंका है कि नौकरी छोड़ने पर प्रबंधन उनका बकाया वेतन और भुगतान नहीं देगा। इसी प्रकार की घटना जन संदेश टाइम्स में घट चुकी है जहां कई महीनों का वेतन ना मिलने के बाद संस्थान को अलविदा कह चुके साथियों को अब तक वेतन का भुगतान नहीं हो पा रहा है। मथुरा आगरा से प्रकाशित अखबार कल्पतरू टाईम्स में भी वेतन को लेकर गड़बड़ियां चल रही हैं। इन स्थितियों में विभिन्न अखबारों में कार्यरत राजधानी के सैकड़ों पत्रकार भविष्य को लेकर आशंकित हैं।

लखनऊ से विनीत राय की रिपोर्ट.

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0 Comments

  1. manish

    October 27, 2014 at 9:26 am

    in choro ne channal mestringaro ka pesa ak saal se jyada ka maar liya ritenar bana kar bhi nahi diya.hamne laat maar di or dalalo ko stringar rakha hai unhe story ka pesa nahi de rahe hai to wo kya karenge aap soch sakte hai

  2. hari singh gahlot

    November 17, 2014 at 6:30 am

    मथुरा आगरा से प्रकाशित अखबार कल्पतरू टाईम्स में भी वेतन को लेकर गड़बड़ियां चल रही हैं। इन स्थितियों में विभिन्न अखबारों में कार्यरत राजधानी के सैकड़ों पत्रकार भविष्य को लेकर आशंकित हैं।

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