
एडवोकेट मदन तिवारी-
न्यायपालिका द्वारा हत्या : सहारा ग्रुप के संस्थापक सुब्रतो राय नही रहे। 74 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई। सहारा इंडिया एक बहुत बड़ी बचत कंपनी थी। सेबी के द्वारा निवेशकों को 24 हजार करोड़ वापस करने का आदेश हुआ और इसी की न्यायिक लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रतो को लगातार जेल में बन्द रखा जैसे वह कोई खूंखार अपराधी हो। निवेशकों ने कभी मांग नही की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट और सेबी अड़े रहे कि निवेशकों के फूली कन्वर्टेबल बांड का पैसा उनको वापस करो। 20 हजार करोड़ वापस भी हुआ लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 24 हजार करोड़ सेबी के पास जमा कराने के लिये कहा। यह डबल वापस करने जैसा था जिसकी कानूनी लड़ाई लड़ते लड़ते अपनी मां को खो दिया, खुद लंबे समय तक जेल में रहे। पेरोल पर बाहर आये फिर दुनिया से चले गए। यह हत्या थी, न्यायिक व्यवस्था द्वारा की गई हत्या जिसमे स्पष्टतः सुप्रीम कोर्ट कहीं न कहीं दोषी है।

अफजल गुरु को फांसी दी गई। उसको तो फेयर ट्रायल का भी अवसर नही मिला। वह भी हत्या ही थी। ये दो तो मात्र उदाहरण हैं। जीवन के बेशकीमती पल न्यायिक व्यवस्था छीन लेती है। फिर 10 साल, 12 साल बाद निर्दोष बताकर रिहा करती है। माफी भी नही मांगती। मुआवजे की तो बात ही छोड़ दीजिए। अब तो और गिरावट आ गई है। जल्द ही आरक्षण लागू होगा। फिर मर जाएगी यह व्यवस्था। न्याय की आशा एक भृमजाल है। हालांकि अभी भी आमलोगों को इस व्यवस्था में आस्था है। कब तक यह आस्था टिकी रहती है यह समय बताएगा। हाँ इतना तो स्पष्ट है कि हमारी न्यायिक व्यवस्था दम तोड़ रही है, न्याय देने का सिर्फ दिखावा भर रह गया है।
स्टॉक मार्केट मुल्क की रीढ़ होता है। आपके सपनो को रंग देता है। कोई भी व्यवसाय हो, चाहे कितनी भी पूंजी लगती हो, आपके पास 5-10 हजार भी है तो उस अरबो के व्यवसाय को आप उसके शेयर होल्डर बनकर कर सकते हैं। भारत मे इसपर गुजरातियों का आधिपत्य है कुछ मारवाड़ी, कुछ जैन,कुछ सिक्ख भी इक्का दुक्का नजर आ जाएंगे लेकिन कब्जा गुजरातियों का ही है। वे जो चाहते हैं वही होता है। बहुत गहरे स्तर का भ्र्ष्टाचार है वहां। उनके हितों की रक्षा हर सरकार करती है।
सेबी नामक भृष्ट संस्था के माध्यम से स्टॉक एक्सचेंज को नियंत्रित किया जाता है। सेबी के निर्णय और नियम अमूम्मन पक्षपातपूर्ण होते हैं। ये नियम निवेशकों के हितों की रक्षा के नामपर बनाये जाते है। निवेशकों की रक्षा क्या खाक होगी, हाँ कारपोरेट के हितों की रक्षा में कोई कोताही नही करता सेबी। सहारा इंडिया के सुब्रतो राय उसी गुजराती लाबी की भेंट चढ़ गए। सेबी ने शुरुआत की फूली कन्वर्टेबल डिबेंचर के माध्यम से जुटाए गए 24 हजार करोड़ रुपये को निवेशकों को वापस करने का आदेश देकर, कानूनी लड़ाई शुरू कराई। न्याय क्या मिलना ? कोर्ट की मूर्खता का सटीक उदाहरण है सहारा इंडिया का केस। सुब्रतो को न्यायालय की अवमानना में जेल में सुप्रीम कोर्ट ने डाल दिया।
सहारा इंडिया ने निवेशकों को बुला बुलाकर 20 हजार करोड़ वापस कर दिए। इसी बीच न्यायालय ने 24 हजार करोड़ रुपया सेबी में जमा करने का आदेश दिया, जबकि सहारा पहले ही निवेशकों को 24 हजार में से 20 हजार वापस कर चुका था। यह आदेश ही गलत था। फिर कानूनी लड़ाई शुरू हो गई, और सुब्रतो की बेरहमी से हत्या कर दी न्यायपालिका ने। यह न्यायिक हत्या ही मानी जायेगी। बेकसूर सजायाफ्ता को देखना हो तो किसी भी जेल में चले जाइये। 50% से ज्यादा बेकसूर मिलेंगे जो अपना जीवन जेल में गुजार रहे हैं।
144 अखबारों में 4 बार विज्ञापन निकाला। आओ भैया अपना पैसा वापस ले लो। सहारा इंडिया ने optionally convertible debenture से जो पैसा जुटाया था उसमें से 93% वापस कर चुका। बाकी पैसे से ज्यादा ब्याज सहित रकम सेबी के पास जमा है। जो सूतिये इस पूरे मामले को जाने बिना गबन का आरोप, पैसा नही वापस करने का आरोप सोशल मीडिया पर लगा रहे है वे सब के सब जाहिल हैं, मामला न तो गबन का था न हड़पने का।
सेबी ने जुरिसडिक्शन का मुद्दा उठाया था। सेबी का कहना था कि optionally convertible debenture निर्गत करने के पहले सेबी से अनुमति लेना था जबकि सहारा इंडिया का कहना था कि उसको रजिस्ट्रार आफ कम्पनी यानी ROC से अनुमति लेना था जो उसने लिया था। फिर भी सहारा इंडिया पर सेबी ने केस किया। किसी निवेशक के द्वारा कोई मुकदमा नही किया गया। अंत मे सहारा इंडिया ने कहा कि लो पैसा वापस कर देता हूँ। 93% निवेशकों को तलाश कर के उनको पैसा वापस किया। बाकी रकम ब्याज सहित जितना होता है उससे ज्यादा सेबी के पास जमा भी कर दिया। सहारा इंडिया पर लगाये गए कोई आरोप साबित नही हुआ। सहारा इंडिया अगर स्टॉक मार्केट में टिक जाता तो धीरूभाई की लिगेसी खत्म हो जाती। सेबी रखैल की तरह काम करती है। रिलायंस का डॉमिनेन्स स्टॉक मार्केट पर बना रहे इसलिये यह षड्यंत्र रचा गया।
Comments on “मेरा साफ़-साफ़ कहना है कि सिस्टम ने सुब्रतो राय की हत्या कर दी!”
वाह शानदार
शायद आपने सही कहा….
तुम लोग अफ़ज़ल जैसे आतंकी की तुलना सुब्रतु जी से कर रहे हो ग़लत है आप का यह कमेंट आतंकवाद को बढ़ावा देता है
Bilkul sach, desh ko gujrati bhediyo ne loot liya aur up vale moorkh bankar dhpli baja rahe hai.
Har jagah gujraati havi hai. Ab yogi aditynath ko barbad karne vali hai gujrati lobby
Very bitter truth
You are absolutely right
पूर्णतः सच है, लेकिन हमारे देश में चुटिया भक्त पैदा होते हैं काबिल कम
पहले तो सेबी सिद्ध करे की सहारा मे जो इन्वेस्टर है सब फर्जी है जो ऑनलाइन आवेदन चल रहे है उस को देख कर भी सेबी अब भी कहेगी ये फर्जी है सेबी कहती है हमने कई बार इन्वेस्टर के एड्रेस पर लेटर पोस्ट किया पर कोई भी नही आया हम कहते है हमे सेबी की और से एक भी लेटर नही मिला मेरे और मेरे और जानेवाले के 10/12a/c सहारा रियल एस्टेट में थे एक और उदाहरण हरिद्वार या द्वारका के नाम से किसी इंसान का नाम नहीं होता हम कहते है सेबी के अधिकारी हमारे पास आए इन दोनो नाम के इंसान से हम आप को मिलवाते है
सेबी कहती हैं सहारा मे काला धन लगा है हम ये जानना चाहते हैं काला धन कहा नहीं लगा कोई चोरी करके उस धन को सरकारी बैंक में जमा करे उसमे बैंक क्या कर सकता है नोटबंदी में कितना ब्लैक मनी आई ये सब को पता है लोगो ने अपने रिश्तेदारों के कर्मचारी के नाम से और किसी को पर्सेटेज देकर उनके अकाउंट में जमा करे सब ईमानदार साबित हुवे फिर सहारा को ही क्यों निसाने पर लिया
93% TO CONVERT KAR DIYA GAYA THA. TO PARTY KA PAISA KAHA MILA. CONVERT SE PAHLE SEVI 15% INTEREST KE SATH PAYMENT KA AADESH DIYA THA TO PALAN KYA NAHI KIYA SAHARA NE. APNE COMPANY TO DOS DE TABHI KISI DUSRE COMPANY KO DE . CHAMCHAE LOG RAHEGE TO KABHI SAHARA KO DOS NAHI DENGE. YAHI KARAN HAI KI SAHARA KA END HO RAHA HAI. DEPOSITOR KO CHORKAR KIRAYA , COMMISSION AUR SALARY KA BHUGTAN NAHI MILA JISKE KARAN KAI BRANCH BAND HO GAYE. KAI NAUKARI CHOR DIYA, KAI COMMISSION PAYMENT NAHI HONE KE KARAN HOUSE CHHOR KAR KAMANE NIKAL GAYA DUSRE STATE ME. MAKAN MALIK BRANCH ME TALA LAGA DIYA SABHI FRENCHISE BAND HO GAYA. KYA. JAB SAHARA KE PASS PAISA THA TO IN KA BHUGTAN KYA NAHI KIYA. AUR DOS DETE HO SARKARI SANSTHAN KO. SARKARI SANSTHAN KE PASS KAI COMPANY HAI SAHARA KI TARAH. APNI COMPANY ME JAHA CHARO TARAF JEE HAJURI HO DUBNA TAY HAI. AUR BHI COMPANY KYA NAHI DUBA . EXP . RELIANCE TATA ADANI GROUP ETC . IN TINO COMPANY ME SYSTEM SE WORK HONA, SAMAY PER LEN-DEN, OFFICE BAND HONA, JE HAJURI SE DOOR RAHNA, SAMAY AANE PER MANAGEMENT KA VIRODH KARNA AUR BHI BAHUT KUCH JO APNI COMPANY ME NAHI THA . MANAGERS LOG SAMAY PER KABHI NAHI AANA AUR JUNIOR PER HAR WAKT DABAB DALWANA AUR INCENTIVE KA BITRAN MUH DEKH KAR KARNA . IS LIA SIRF SAHARA KA DOS HAI. ISNE ETANE YEARS ME CASE KO FINAL NAHI HONE DEYA. MARNE KE BAD BHI AGAR SAHI RAH NAHI MILA TO SAHARA KO BAND HONA TAY HAI. AUR MANAGERS GROUP KO JEL JANA BHI TAY HAI.
100 percent sahi bjp nigal gyi Sahara ko .
wakil saheb ye aapaki soch hai sahara kitane garib logo ko beghar kar diye kitane ka jeevan chala gaya sirf agent avam sahara ke shuv cintko ko matra bhalai hua marana jeena ishwar ke hath hain aapki soch table par ki soch hai . Desh droh ko fare trial ki nashihat de kar aap apani thought ko sahi sabit nahi kar sakte hai. ye alag bat hai ki nyayapalika ki deri nirnay avam paper ke aadhar par nirnaya men natural justice nahi mil rahi
बिल्कुल सही कहा
Kyaa baat hai time pura hone ke baad bhi Mera Paisa nhi Mila bahan ke shaadi ke liye loan lekar Kiya ..
Ray sir ke sath galat huaa
Aapne sahi likha lakin mera aur mere relative ka paisa nhi mila. Mera apna half payment hi mila baki nhi mila uske liye kaya kere. Kyunki aapke sahara india ne rs ten thousand ki loking laga rakhi hai. Mai ek senior citizens hoon.
Anupam Srivastava lko.
You are absolutely right
You are right