वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव के खिलाफ दर्ज किये गये फर्जी प्रकरणों की जाँच शुरू, पुलिस हिरासत में सेनेटाइजर पिला कर जान लेने के सरकारी प्रयासो को लेकर NHRC सख्त
दिल्ली/रायपुरः- छत्तीगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार सुनील नामदेव के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज सभी फर्जी प्रकरणों की जाँच को लेकर राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग सक्रिय हो गया है। आयोग ने रायपुर के एसएसपी से एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है, इसके लिए पुलिस को चार हफ्ते का वक्त दिया गया है.
आयोग के लॉ डिविजन के असिस्टेंट रजिस्ट्रार इन्द्रजीत कुमार ने पुलिस को भेजे पत्र में निर्देशित किया है कि पत्रकार सुनील नामदेव की ओर से प्राप्त शिकायतों को लेकर एक्शन टेकन रिपोर्ट से आयोग को अवगत कराया जाये। आयोग ने पुलिस हिरासत में पत्रकार सुनील नामदेव को पानी की जगह सेनेटाइजर पिलाये जाने की घटना को काफी गम्भीरता से लिया है।
पुलिस पर आरोप है कि उसने पत्रकार सुनील नामदेव को सेनेटाइजर पिलाया था ताकि उन्हें मौत की नींद सुला दिया जाये। हालाकि साजिश का एहसास होते ही सुनील नामदेव ने फौरन घटना की जानकारी डॉक्टरों की दी। रायपुर के भीमराव अम्बेडकर अस्पताल के डॉक्टरों ने एमएलसी दर्ज कर उनका इलाज किया था। पत्रकार सुनील नामदेव ने इस घटना की जानकारी रायपुर सीजेएम कोर्ट को दी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि कुछ स्टिंग आपरेशन और समाचारों को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, ओएसडी सौम्या चौरासिया, आईपीएस आनन्द छाबड़ा और उनकी पत्नी शालिनी रैना, राम कुमार तिवारी और सूर्य कान्त तिवारी समेत खुछ अन्य अफसर उनकी जान के दुश्मन बन गये हैं।
मामले की गम्भीरता को देखते हुए कोर्ट ने फौरन घटना की जाँच के निर्देश दिए। पुलिस हिरासत में सेनेटाइजर पिलाये जाने की घटना का उल्लेख करते हुए कोर्ट ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही के निर्देश देते हुए उस कार्यवाही से कोर्ट को भी अवगत कराने के लिए कहा था। लेकिन इस घटना के बीत जाने के लगभग नौ महीने बाद भी पुलिस ने कोई जाँच नहीं की। आखिरकर मामले का संज्ञान लेते हुए एनएचआरसी ने केस दर्ज कर लिया।
पत्रकार सुनील नामदेव की ओर से एनएचआरसी से गुहार लगाई गई है कि उनके खिलाफ दर्ज किये गये सभी प्रकरणों की जाँच छत्तीसगढ़ कैडर से बाहर के वरिष्ठ अधिकारी से कराई जाये। इसके साथ यह भी सुनिश्चित किया जाये कि जाँच अधिकारी एसपी (आईपीएस) स्तर से नीचे का न हो।
उधर एनएचआरसी की एक्शन टेकन रिपोर्ट की मांग से राज्य के पुलिस और प्रशासनिक मुख्यालय में खलबली मच गई है। इस तथ्य की चर्चा जोरों पर है कि पत्रकार सुनील नामदेव के कम्प्यूटर और लैपटाप में ऐसे कौन से स्टिंग आपरेशंस थे, जिसे हासिल करने के लिए आला पुलिस अधिकारियों ने कायदे कानूनों को ताक में रख दिया था।
पुलिस ने बगैर सर्च वारंट के सुनील नामदेव के निवास और कथित ऑफिस में सर्च की। सर्च के दौरान चार कम्प्यूटर और चार लैपटाप लेकर पुलिस अधिकारी चंपत हो गये। इस दिन हुई सर्च और जब्ती का कोई हवाला न तो कोर्ट को दिया गया और न ही कोर्ट में प्रस्तुत चालान में इस कार्यवाही का ब्योरा पेश किया गया है। बताया जाता है कि यह महत्वपूर्ण तथ्य नहीं है कि सुनील नामदेव की गिरफ्तारी हुई और पुलिस हिरासत में उन्हें सेनेटाइजर पिलाया गया बल्कि यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि उनकी जान लेने के लिए आखिर क्यों मुख्यमंत्री और उनकी टोली जुट गयी? इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने का मकसद क्या था? ऐसा कौन सा स्टिंग आपरेशन था, जिसके चलते मुख्यमंत्री के करीबियों की नींद उड़ी हुई थी।
पुलिस ने सुनील नामदेव को हिरासत में लेकर एक के बाद एक चार प्रकरण उनके खिलाफ दर्ज किये थे। उनके निवास को तोड़ने के लिए एनआरडीए ने तीन नोटिस जारी किये। हालांकि हाईकोर्ट बिलासपुर में इस कार्यवाही को चुनौती दिये जाने पर उसने इन तीनों ही नोटिस को वापस ले लिया था। इतना ही नहीं पुलिस हिरासत में उनकी जान लेने का प्रयास भी हुआ। फिलहाल इस पूरे घटनाक्रम की सीबीआई जाँच के लिए पत्रकार सुनील नामदेव द्वारा सुप्रीम कोर्ट का भी रुख किया गया है।
देखें मानवाधिकार आयोग द्वारा पुलिस के लिए जारी किया गया पत्र-
Case No.- 728/33/14/2021
NATIONAL HUMAN RIGHTS COMMISSION
(LAW DIVISION)
Date : 20/12/2021
To,
THE SENIOR SUPERINTENDENT OF POLICE
Senior superintendent of police office, Raipur, Chhattisgarh
Sub : Complaint/Intimation from
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Subject: Action Taken Report Called for(ATR) -728/33/14/2021.
Sir/Madam,
The complaint/intimation dated 06/12/2021, was placed before the Commission on 20/12/2021. Upon perusing the same, the Commission directed as follows:
The complainant has alleged that her husband is a journalist and the Chhattisgarh police implicated her husband in a false and fabricated cases, when he exposed the corruptions in the various departments of State Governments. They arrested him in an illegal way for seven months and tortured him in the custody. During Police custody police personnel given her husband sanitizer in the pretext of water. He was hospitalized and the matter came to the knowledge of Jurisdictional Magistrate but till date no action has been taken against the erring police personnel. The Complainant said the due to Police pressure, she and her two small kids suffered inhuman, and mental torture. Even the Government authorities given him various notices to demolished their house.
Taking cognizance in the matter, the Commission considers it to be a violation of human rights of the nature illegal arrest and police atrocity.
Let a copy of complaint be transmitted to the SSP, Raipur, Chhattisgarh calling an Action Taken Report within four weeks.
Put up after four weeks.
Accordingly, I am forwarding herewith a copy of the complaint/intimation as an attachment for taking appropriate action in the matter as per the directions of the Commission. It is requested that an Action Taken Report be sent to the Commission within 4 weeks from the date of receipt of this letter.
Any communication by public authorities in this matter may please be sent to the Commission through the HRCNet Portal (https://hrcnet.nic.in) by using id and password already provided to the public authorities (click Authority Login), or through Speed Post/ at email-id [email protected]. Any Audio/ Video CDs/ pen drives etc. and bulky reports may be sent through Speed Post/ per bearer.
Your’s faithfully
Indrajeet Kumar
ASSISTANT REGISTRAR (LAW)
MANAV ADHIKAR BHAWAN, BLOCK-C,
G.P.O. COMPLEX, INA, NEW DELHI- 110023
Fax No.: 011-24651332
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