हर्षवर्धन त्रिपाठी-
सुब्रत रॉय सहारा ने अपने मित्रों-शुभचिंतकों के लिए बहुत कुछ किया। यह भी सच है कि, उन लोगों ने भी सुब्रत रॉय सहारा के लिए बहुत कुछ किया, तभी सुब्रत रॉय इतने बड़े व्यक्ति बन सके। अब सुब्रत रॉय सहारा के पुराने साथियों की आलोचना हो रही है कि, उनके निधन पर भी ऐसे लोग नहीं आए, लेकिन असली आलोचना जिसकी होनी चाहिए, नहीं हो रही है।
असली आलोचना होनी चाहिए, उनके दोनों पुत्रों- सुशांतो और सीमांतो रॉय की- समाचारों से पता चला कि, उनको मुखाग्नि उनके पोते ने दी है क्योंकि, दोनों पुत्र विदेश से भारत नहीं आए। साफ नहीं हो पा रहा था कि, असली वजह क्या थी।


अब पता चला कि, विदेशी नागरिकता लेकर सुब्रत रॉय सहारा के दोनों पुत्र विदेश में बस गए हैं। अब डर रहे हैं कि, भारत आने पर एजेंसियाँ पूछताछ करके गिरफ्तार कर सकती हैं, इसीलिए अपने उस पिता की अंत्येष्टि पर भी नहीं आए, जिसने बेटों को ऐशो-आराम का हर सुख दे दिया है। #Sahara
सुशील दुबे-
सहराशहर के इस भव्य द्वार के भीतर सुशांतों-सीमांतो की शादी में मेरा भी निमंत्रण था, सो मैं भी गया था। मेरी मेज रिजर्व थी। फिर कई दिनों तक आंखे चोंधियाती रहीं थीं।

आज सब कुछ था लेकिन दोनों लड़के नहीं थे। पत्नी भी नहीं थीं। सुनहूँ भरत भावी प्रबल कहें बिलख मुनि नाथ, लाभ हानि जीवन मरन यश अपयश विधि हाथ, सदगति हो!

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