कंपनी के खिलाफ दर्ज हुआ कोर्ट में झूठ बोलने का केस, कोर्ट ने जारी किया नोटिस… गलत कामों को लेकर लगातार सुर्खियों में रहने वाली चाइनीज कंपनी UCWeb एक बार फिर मुसीबत में पड़ गई है। इस बार मामला और भी ज्यादा गंभीर है। गाजियाबाद कोर्ट ने कंपनी को नोटिस भेजा है और अदालत में झूठे साक्ष्य देने के आरोप में अपना जवाब दाखिल करने को बोला है। दरअसल मामला ये है कि UC Web कंपनी के पूर्व Associate Director और वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र सिंह परमार ने कंपनी के GM (India and Indonesia) Damon Xi उर्फ Yu Xi और एक अन्य चाइनीज कर्मचारी Steven Shi उर्फ Peiwen Shi पर मानहानि का Criminal केस दर्ज करवाया था।
दोनों को पत्रकार पुष्पेंद्र सिंह परमार ने 2018 में लीगल नोटिस भेजा था लेकिन इसका जवाब दोनों विदेशी आरोपियों ने नहीं दिया। इसके बाद इनके खिलाफ गाजियाबाद कोर्ट में मानहानि का क्रिमिनल केस दर्ज हुआ। कोर्ट ने पिछले साल नवम्बर 2018 में दोनों आरोपियों को Summons भेजे लेकिन दोनों ने फिर भारतीय कानून को हल्के में लिया और कोर्ट में नहीं पहुंचे।
लेकिन इस बीच UCWeb ने खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार ली। कंपनी ने कोर्ट में जवाब दिया कि जिस दिन सम्मन कंपनी के गुड़गांव वाले ऑफिस के पते पर मिले, उस दिन ये दोनों आरोपी उनके कर्मचारी नहीं थे। लेकिन कोर्ट ने कंपनी के वकीलों से जवाब लिखित में मांग लिया। कंपनी ने कुछ समय के बाद लिखित में जवाब दिया और बताया कि 22 सितम्बर 2018 को Damon Xi उर्फ Yu Xi का कंपनी में आखिरी दिन था, जबकि 1 दिसम्बर 2018 को Steven Shi उर्फ Peiwen Shi का आखिरी दिन था।
लेकिन शिकायतकर्ता वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र सिंह परमार ने कोर्ट में कंपनी के झूठ की पोल खोलने वाले दर्जनों सबूत पेश कर दिए। उन्होंने 50 से ज्यादा ऐसे सबूत पेश किए जिन्हें देखने के बाद कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ Non bailable arrest warrant का आदेश दे दिया। पुष्पेंद ने ऐसे वीडियो और फोटो समेत दर्जनों सबूत दिए जिनसे साबित होता है कि दोनों आरोपी कंपनी के आज भी कर्मचारी हैं और कंपनी ने उनको बचाने के लिए कोर्ट में झूठ बोला है।
शिकायतकर्ता वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र सिंह परमार के वकील नवांक शेखर मिश्रा के मुताबिक कोर्ट में झूठ बोलना बहुत बड़ा अपराध होता है और इस अपराध के लिए कोई भी कोर्ट किसी को भी बख्श नहीं सकती। हमने माननीय न्यायालय को 50 पेजों से ज्यादा के पुख्ता सबूत पेश किए जिनसे साबित होता है कि कंपनी ने अदालत को ना केवल गुमराह किया बल्कि आरोपियों को बचाने और देश से भगाने में पूरी मदद की। माननीय न्यायालय को सबूतों में दम दिखा, तभी तो कंपनी को नोटिस जारी किया गया।
चाइनीज कंपनी ने एक झूठ छुपाने के चक्कर में दूसरा झूठ बोला। नतीजा, अब कोर्ट ने कंपनी पर अदालत से झूठ बोलने के आरोप में CrPC की धारा 340 के तहत केस दर्ज कर लिया है यानी कि अब कंपनी के देशी-विदेशी डायरेक्टर्स और अन्य भारतीय-चाइनीज अधिकारियों की जेल जाने की नौबत आ गई है क्योंकि कोर्ट में झूठ बोलने के मामले को कोई भी जज हल्के में नहीं लेता और इस मामले में गंभीर सजा का प्रावधान कानून में दिया गया है।
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